RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
कितनी ही देर तक वो दोनो एक दूसरे से लिपटे प्यार में डूबे रहे.., प्रिया के बदन पर लगे चोटों के निशानों पर हाथ लगते ही वो कराह उठती…,
लेकिन फिर जैसे ही संजू को वास्तु स्थिति का भान हुआ तो उसने प्रिया को अपने से अलग करते हुए कहा –
होश में आओ प्रिया.., अब तुम्हारा संजू तुम्हारी दुनिया से बहुत दूर जा चुका है.. इतना दूर कि फिर कभी वापस तुम्हारे पास नही आ पाएगा…!
प्रिया चोन्क्ते हुए बोली – क्या मतलब.., नही मे नही मान सकती कि मेरा संजू मुझे अकेला छोड़ कर चला गया है.., आप झूठ बोल रहे हैं…!
संजू ने उसके चेहरे को अपनी हथेलियों के बीच लेकर कहा – यही सच है मेरी जान.., और इस सच को तुम्हें स्वीकारना होगा..!
मे बस तुम्हें यहाँ से निकालने तक हूँ.., तब तक तुम्हें वकील भैया की हर बात माननी होगी…!
मे – हाँ प्रिया अब मेरी बात ध्यान से सुनो.., तुम्हें भी काजल या औरों को इसी भ्रम में रखना है जैसा वो लोग सोच रहे हैं.., यानी कि तुम्हें मेरी बात पर भरोसा नही है…, और तुम अभी भी अपने फ़ैसले पर अडिग हो…!
अब तुम वहीं उसी कोठारी में जाओ.., जैसे ही कोई मौका लगेगा संजू तुम्हें आकर बता देगा.., एक और बात.. अब तुम खाना पीना मत
छोड़ना और कोशिश करना ये पता लगाने की और कितनी लड़कियाँ इस क़ैद से निकलना चाहती हैं…
प्रिया के जाने के बाद संजू बोला – गुड नाइट भैया.., अब आप आराम करो मे ज़रा उस रंडी की खबर लेता हूँ..,
मेने चोन्कते हुए कहा – अब क्या करने वाले हो.., ओ मेरे भाई.., तेरे हाथ जोड़ता हूँ, ऐसा वैसा कुच्छ मत करना यार.., आज मुझे यहाँ पहली
रात है.., और पहली ही रात में एक साथ कयि अप्रत्याशित घटनायें घाटी तो जल्दी ही मेरा भंडा फुट जाएगा…!
मे चाहता हूँ, यहाँ से सभी लड़कियों को सही सलामत निकालने के साथ साथ इस अड्डे को ही तबाह कर दिया जाए और हो सके तो उस मेन
बॉस का भी पर्दाफाश हो जाए…!
इसलिए कम से कम आज की रात और कोई धमाल मत करना मेरे भाई.., कल देखते हैं क्या क्या होता है.., हो सकता है मेरे जैसे नये
इंचार्ज के आने की वजह से बॉस का आना कल ही संभव हो जाए…!
संजू – ठीक है भैया, आप कहते हो तो मे आज की रात ऐसा कुच्छ नही करूँगा जिसकी वजह से आपको कोई परेशानी उठानी पड़े.., लेकिन कुच्छ तो करूँगा ही.., वरना मेरे दिल को चैन नही आएगा…!
उस हरामजादी खजैलि कुतिया ने मेरी प्रिया को बहुत सताया है वकील भैया.., इतना कहकर संजू एक हवा के झोंके की तरह कमरे से गायब हो गया..जिसे बस में खिड़की के रास्ते हवा में बिलीन होते देखता भर रह गया…!!!
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उधर विकी इतना डर गया था कि उसके गले से आवाज़ भी नही निकल पा रही थी.., वैसे भी उसे पता तो चल ही गया था कि हालत अब
उसके कभी फेवर में नही होंगे..,
अब किसी तरह यहाँ से निकल भागना होगा.., वरना ये वकील और संजू की आत्मा उसे भी उसके बाप की तरह तडपा तडपा कर मार
डालेंगे.., लेकिन फिलहाल आज की रात तो कम से कम उसे चुप-चाप इस क़ैद में ही काटनी पड़ेगी…!
थक हार कर बदन की पीड़ा की हरारत के कारण उसकी आँखें भारी हो गयी और वो पेट खाली होने के बावजूद भी उसी पलंग पर सो गया…!
अभी वो बहुत ज़्यादा देर नही सो पाया था कि अचानक से अपने बिस्तर पर उठकर खड़ा हो गया.., उसका चेहरा लाल सुर्ख भभूका सा हो
रहा था.., आँखें सुर्ख मानो दो दहक्ते अंगारे हों जो किसी को भी भस्म कर डालने की क्षमता रखते हों..!
अगर कोई इस समय विकी को देख लेता तो शर्तिया वो देख कर ही कपड़ों में मूट देता या फिर वहाँ से दुम दबाकर भाग खड़ा होता…!
वो सधे हुए कदमों से दरवाजे की तरफ बढ़ा.., और दाँत पर दाँत चढ़ाकर जबड़े कसते हुए उसने अपने पैर की भरपूर ठोकर दरवाजे पर दे मारी…!
भड़ाक से मोटी लकड़ी का मजबूत दरवाजा बाहर गॅलरी में जा गिरा.., बाहर बैठा गार्ड.., आवाज़ सुनकर दरवाजे की तरफ लपका तभी उसे किसी पागल हाथी की तरह कदम रखता हुआ विकी कमरे से बाहर आता दिखाई दिया…!
उस गार्ड ने उसे रोकने की कोशिश की.., विकी ने उसका गिरहवान पकड़कर अपने से दूर उछाल दिया.., उसका सिर गॅलरी की दूसरी साइड की दीवार से जा टकराया और वो कुच्छ पलों के लिए अचेत हो गया…!
वहाँ से सीधा वो वहीदा के कमरे की तरफ बढ़ गया.., इस समय सबके सोने का समय था.., तो लाजिमी है वो भी एक राउंड अपने खाविंद से
चुद-चुदकर दोनो गहरी नींद में सोई पड़ी थी…!
विकी ने बंद दरवाजे पर एक जोरदार लात मारी.., दरवाजे का लॉक उसके उस प्रहार को झेल नही पाया और भड़ाक से उसका गेट अंदर को खुलता चला गया…!
दरवाजे की भयानक आवाज़ से मियाँ बीवी दोनो की नींद खुल गयी.., एक साथ क्या मुशिबत आन पड़ी ये सोच कर वो दोनो हड़बड़ाकर बिस्तेर से उठ खड़े हुए..,
अपने दरवाजे पर इतनी रात को चेहरे पर अत्यंत ही ख़तरनाक भाव लिए विकी को देख कर एक बार को तो उन दोनो की गान्ड ही फट गयी.., और वो दोनो एक दूसरे से चिपक गये…!!!
विकी उन दोनो को खा जाने वाली नज़रों से घूर रहा था.., उसकी शोले बरसाती आँखों को देखकर दर के मारे वहीदा ने अपना मूह चादर मे च्छूपा लिया…!
जाकिर हिम्मत जुटाकर पलंग से नीचे आया और विकी के सामने खड़ा होकर बोला – क्या बात है विकी बाबू इस वक़्त यहाँ क्या कर रहे हो..? जाओ जाकर सो जाओ.., बहुत रात हो गयी है…!
उसकी बात का मूह से बिना कोई जबाब दिए विकी ने अपनी ठूंठ (कटा हुआ हाथ) जाकिर के पेट में दे मारी.., वो दर्द से चीख मारकर दोहरा होकर झुकता चला गया..,
वो अभी ढंग से झुक भी नही पाया था कि पैर की एक भरपूर ठोकर मार कर विकी ने उसे फुटबॉल की तरह दूर उछाल दिया…!
मादरचोद.. दो टके का आदमी.., भोसड़ी वाले तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरे साथ सवाल जबाब करने की…?
अपने शौहर की चीख सुनकर वहीदा ने चादर से मूह बाहर निकाल कर देखा.., अपने खाविंद की ऐसी दुर्गति होते देख वो चीखते हुए बोली – ये क्या हिमाकत है विकी.., क्यों मार रहे हो मेरे शौहर को…?
विकी ने खुले हुए गेट को अपने पैर से बंद किया.., और वहीदा की तरफ बढ़ता हुआ बोला – शौहर की चोदि.., यहाँ पड़ी पड़ी मौज ले रही
है.., और वहाँ शाम से ही उस वकील ने मेरी रेल बना रखी है…,
एक बार भी आकर देखा तूने कि मेने कुच्छ खाया पीआ भी है या नही…? थोड़े से पाँसे क्या पलटे.., भेन्चोद तेरी भी नज़र बदल गयी.., चल उठ मेरे लिए खाना लेकर आ…!
वहीदा विकी को अपनी तरफ आते हुए देख कर उसने एक नज़र अपने कमरे के कोने में पड़े दर्द से कराहते हुए शौहर पर डाली और फिर
गिड-गिडाने वाले स्वर में बोली…
इस वक्त खाना कहाँ मिलेगा विकी बाबू.., प्लीज़ अभी आप जाइए सुबह होते ही मे खुद खाना आपके पास पहुँचा दूँगी…!
तेरी माँ को चोदु… भोसड़ी वाली कुतिया…, साली रंडी यहीं पड़े पड़े बहाने बनाती रहेगी या उठकर देखने भी जाएगी.., चल उठ.. किचन में जाकर देख.., कुच्छ तो पड़ा होगा…!
वहीदा बिना एक पल गँवाए पलंग से उठ खड़ी हुई और कमरे से बाहर चली गयी.., उसके बाहर जाते ही विकी ने जाकर जाकिर को फिरसे लपक लिया और दे लात दे घूँसा उसका जब तक वहीदा लौट कर कमरे में आई तब तक उसने उसे मार-मारकर उसका कीमा बना दिया…, वो अब बेहोश पड़ा था…!
रसोई में वहीदा को कुच्छ नही मिला.. कुच्छ मिलना भी नही था.., लेकिन अपनी जान बचाने के चक्कर में वो बस विकी के कहने से देखने भर चली गयी थी..!
वहीदा को खाली हाथ लौटते देख विकी का पारा सातवें आसमान पर जा पहुँचा.., कमरे में आकर वो उसे बताने ही वाली थी कि उसे रसोई में
कुच्छ नही मिला कि तभी उसकी नज़र पलंग पर बेसूध पड़े जाकिर पर पड़ी…!
उसका चेहरा लहू लुहान हो रहा था.., कपड़े फट कर शरीर पर झूल रहे थे.., उसकी हालत देख कर वो अंदर तक काँप उठी..,
इससे पहले कि वो विकी से इसका सबब पूछती उसने उसे धर दबोचा और जबरन उठाकर जाकिर की बगल में ही पलंग पर फेंक दिया.., और खुद उसके उपर चढ़ बैठा…!
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