RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
अब ज़रा अपनी मोहनी मूरत के दर्शन भी करा दो मियाँ… ये कहते हुए मेने जैसे ही अपनी सीट से उठने की कोशिश की तभी खट्ट..खट्ट..
की आवाज़ के साथ कुर्सी के हाथों पर लगे लोहे के क्लॅंप्स ने मेरे दोनो हाथों को जकड लिया..,
मे अपनी जगह पर बैठा पूरी तरह से बेबस और लाचार होकर रह गया…!!!
ये सब देख रेशमा हत्प्रत सी रह गयी.., तभी वो ग्लास की दीवार एक तरफ को सरकती चली गयी.., स्याह लबादे में क़ैद एक भारी भरकम
कद काठी का व्यक्ति मेरी आँखों के सामने एक शानदार सिंघासन नुमा कुर्सी पर बैठा नज़र आया…!
बॉस – हैरान ना हो रेशमा.., मे ये नही कहूँगा कि तुमसे जान बूझकर कोई भूल हुई है.., जिन हालातों में इसने तुम्हारा फ़ायदा उठाया है उसमें तुम्हारी जैसी कोई भी जवान प्यासी औरत धोखा खा सकती है…!
उसके ये शब्द सुनते ही रेशमा को जबरदस्त झटका लगा, अभी वो कुच्छ कहने ही वाली थी कि बॉस आगे बोला….,
अन्न..आनन्न… चोन्कने की ज़रूरत नही है.., हमें सब पता होता है कि हमारा कोन आदमी किस वक्त क्या कर रहा है..,
देखा जाए तो इस मामले में हम तुमसे ज़्यादा शेर सिंग को लापरवाह समझते हैं…,
खैर.. कम ऑन बेबी इधर आओ हमारे पास.., डरो नही.., हमें तुम्हारे इन लज़ीज़ होठों की लज़्जत की इस समय सख़्त ज़रूरत है.., बहुत
दिनो से इनका स्वाद जो नही लिया है हमने…,
रेशमा किसी कठपुतली की तरह चलती हुई उसके पास जा पहुँची.., उसने अपना हाथ आगे बढ़ा कर उसे अपनी गोद में खींच लिया.., देखते
ही देखते उसने अपना स्याह काला नकाब अपने चेहरे से हटा दिया…,
उसका नकाब हटते ही मेरे हाथ कुर्सी के हत्थो पर कसे होने के बावजूद भी मेरी गान्ड मारे हैरत के कुर्सी से हवा में उठ गयी और मूह से
एक साथ निकला… सलाउद्दीन तुम…, तो तुम हो इन सबके बॉस…!
रेशमा उसकी गोद में बैठी मुस्कराते हुए बोली – हाँ वकील साब.., इन्हें तो जानते ही होगे.., अलबत्ता इन्हें कॉन नही जानता…,
यूपी की हर सरकार में इनका बोल बाला हमेशा रहता है…, ये कहकर उसने अपने रसीले होठ उस बड़ी बड़ी मुन्छो के पीछे सलाउद्दीन के
मोटे-मोटे खुश्क होठों पर टिका दिए…!
उधर शेर सिंग अपने सभी मेहमानो को अड्डे के गॉडाउन में ले जाकर हथियार और गोला बारूद का निरीक्षण करा रहा था..,
जहाँ इतना असलह और बारूद था कि अगर ग़लती से भी कोई आग की चिंगारी उन बक्सों पर गिर जाए तो ये समुचा विशालकाय अड्डा
पलक झपकते ही रख के ढेर में तब्दील हो सकता था…!
दूसरी तरफ संजू ने प्रिया को यहाँ से निकल भागने का सिग्नल दे दिया था.., खंडहर वाला रास्ता जो केवल अंदर से ही खोला जा सकता था संजू ने उसे खोल दिया था..!
अलबत्ता उधर कोई खास सेक्यूरिटी नही होती थी.., जो भी एक दो सेक्यूरिटी वाले थे उनको संजू ने पलक झपकते ही निपटा दिया था…, ज़्यादातर हथियार बंद गुंडे शेर सिंग आंड कंपनी के साथ ही थे…!
बचे खुचे आगे की सेक्यूरिटी पर थे जिसमें ऑफीस का एरिया भी आता है…!
कुच्छ औरतें और लड़कियाँ जो अब प्रिया पर भरोसा करने लगी थी उन सबने जैसे तैसे करके वाकी की लड़कियों को भी बहला फुसलाकर
पीछे वाले रास्ते की तरफ ले गयी…!
सीडीयाँ पार करते ही वो उस खंडहर वाले मकान में थी.., इस तरह अब वो खुली हवा में साँस ले पा रही थी…!
इधर रास्ता सॉफ करते ही संजू ने ऑफीस की तरफ रुख़ किया.., उसने जैसे ही मुझे गिरफ़्त में पाया.., मुझे इस हालत में देखकर उसने अपने सिर पर हाथ मारा….!
मेरे कान में फुसफुसा कर बोला.., क्या वकील भैया.., आपसे ये उम्मीद नही थी…, अब ये कैसे खुलेंगे मुझे भी नही पता…!
मेने भी फुसफुसा कर कहा – कुच्छ तो करना पड़ेगा संजू प्यारे.., जग से न्यारे..वरना मेरे यहाँ हो जाएँगे वारे न्यारे…!
देखो वहाँ उसकी टेबल के आस पास कोई बटन होगा जिससे ये कंट्रोल होते हैं…,
हां भाई.., अब मुझे ही कुच्छ तो करना ही होगा.., इतना कहकर संजू मेरे पास से लुप्त हो गया…,
उधर वो दोनो एक दूसरे के होठों का रस्पान कर रहे थे.., जो सिर्फ़ मुझे जलाने के लिए था..,
एक दूसरे को किस करते हुए ही सलाउद्दीन ने टेबल पर पड़ी गन उठा ली.., मेरा निशाना लेते हुए बोला – गुड बाइ मिस्टर. अंकुश शर्मा..,
कहने के साथ ही उसने मेरे उपर फाइयर झोंक दिया…!
मुझे अपना अंत निकट दिखाई देने लगा था.., गन की बुलेट निरंतर मेरी ओर आती हुई किसी यमदूत जैसी लग रही थी…!
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