RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
इससे पहले कि वो बुलेट मुझे आकर छू पाती कि तभी संजू मेरे ठीक सामने प्रकट हुआ और उसने वो गोली अपनी मुट्ठी में क़ैद कर ली..,
मुझे सही सलामत जिंदा अपने सामने देख कर सलाउद्दीन और रेशमा की आँखें मारे हैरत के फटी की फटी रह गयी…!
इससे पहले कि वो मुझ पर दूसरा फाइयर करता अचानक ही रेशमा ने उसकी बड़ी बड़ी मुन्छो को अपनी मुत्ठियों में जकड लिया और पूरी
ताक़त से उसे फडफडा दिया…!
सलाउद्दीन के मूह से चीख उबल पड़ी.., चिल्लाते हुए उसने रेशमा के गाल पर एक झन्नाटे दार थप्पड़ रसीद कर दिया.., वो बेचारी एक ही थप्पड़ में टेबल के उपर उलट गयी…!
उसके टेबल पर गिरते ही.., उसी टेबल पर मौजूद वो बटन दब गया जिससे ये मेरी वाली कुर्सी के क्लॅंप्स कंट्रोल होते थे.., हाथ आज़ाद होते ही मेने एक नारा सा लगाया…!
ज़य हो संजू भैया की…, ज़य श्री-राम… हो गया काम…!
ये इशारा था संजू को.., जिसे सुनते ही उसने मुझे आतिशीघ्र अड्डे से बाहर निकल जाने का इशारा किया और मेरे देखते ही देखते वो खुद वहाँ से गधे के सिर के सींग की तरह गायब हो गया…,
सलाउद्दीन के थप्पड़ से रेशमा का होठ फट गया था.., संभाल कर वो उठी और अपने बॉस को विश्मय से देखते हुए बोली – बॉस आपने मुझे थप्पड़ क्यों मारा….?
इससे पहले कि वो उसकी बात का कोई जबाब देता मौका लगते ही मेने एक लंबी सी छलान्ग उसके कॅबिन की तरफ लगा दी..,
फ़ौरन उसने रेशमा को एक ठोकर मारकर अपने से दूर किया और साथ ही एक और फाइयर मेरी तरफ झोंक दिया…!
तब तक मे जंप लगा चुका था तो जाहिर सी बात है गोली को तो बेकार ही जाना था..,
उधर ठोकर खाकर रेशमा फिलहाल उठने की स्थिति में नही थी.., मेने सलाउद्दीन के संभलने से पहले ही उसे धर दबोचा..,
हम दोनो एक दूसरे में गुत्थम गुत्था हो गये.., वो डील डौल में भले ही मुझसे ज़्यादा था.., लेकिन मेरे जितनी फुर्ती और ताक़त कहाँ से लाता…!
मेने उसे ताबड तोड़ तोड़ना शुरू कर दिया.., पिटते पिटते एक बार उसे मौका लग गया.., और ना जाने उसने कॉन सा बटन दबाया कि
कमरे की पीछे की दीवार एक तरफ को खिसकती चली गयी और उसमें से बाहर जाने का एक रास्ता दिखाई पड़ने लगा…!
उसने उस खुले हुए दरवाजे में छलान्ग लगा दी.., इससे पहले कि वो दूसरी तरफ से उस दरवाजे को बंद कर पाता मेने भी दरवाजे के उस
पार छलान्ग लगा दी और उसे वहीं धर दबोचा…!
हम एक दूसरे से भिड़े हुए उस सुरंग नुमा रास्ते पर बढ़ते चले जा रहे थे कि तभी एक कर्दभेदी धमाका हुआ..,
धमाके की इंटेन्सिटी इतनी ज़्यादा थी कि मे उसी रास्ते की सुरंग नुमा छत से टकराता हुआ लगभग 50 फीट दूर बाहर की तरफ जाकर गिरा…!
इसका मतलब था संजू ने उस गॉडाउन को उड़ा दिया था.., साथ ही साथ वो पूरा अड्डा भी मलबे के ढेर में तब्दील हो चुका था.., उसमें मौजूद
एक एक आदमी मौत की आगोश में समा चुका था…!
यहाँ तक कि उस सुरंग नुमा रास्ते की छत भी जगह जगह से धँस कर रास्ते में गिर चुकी थी.., मे कयि पलों तक अवचेतन अवस्था में पड़ा रहा.., मेरे उपर भी मिट्टी का ढेर जमा था…!
कुच्छ देर बाद मुझे होश आया.., जैसे तैसे अपने उपर से मेने मिट्टी हटाई कैसे भी करके अपने आप को बाहर निकाला..,
इधर उधर देखा तो मेरे से थोड़े ही फ़ासले पर अड्डे की तरफ सलाउद्दीन भी एक मिट्टी के ढेर के नीचे दबा हुआ दिखाई दिया…!
मिट्टी इतनी ज़्यादा थी कि वो खुद से तो नही हटा सकता था.., अगर कुच्छ देर और कोई मदद ना मिली तो उसकी साँसे दबकर दम तोड़ देने वाली थी…!
उसने जैसे तैसे मिट्टी के बाहर पाना हाथ निकाल कर मुझसे मदद की गुहार लगाई, लेकिन मे ऐसे देश और समाज के गद्दार को कतई माफ़ करने के मूड में नही था..,
सो उसे वहीं गुड बाइ कहकर वहाँ से चंबल के किनारे की तरफ चल दिया जहाँ वो तमाम निरीह अबलायें खड़ी इस पाप की लंका को तबाह और बर्बाद होते हुए अपनी आँखों से देख रही थी जहाँ वो सब कुच्छ पल पहले तक मौजूद थी,
वो सबकी सब अब प्रिया को सच्चे दिल से दुआयं दे रही थी…!
और प्रिया… वो तो बस नदी के एकांत में ठंडे ठंडे रेत पर बैठी.., चाँद की चाँदनी में अपने प्रियतम संजू के चेहरे को निहारे जा रही थी…,
जो सिर्फ़ उसे ही दिख रहा था वाकियों के लिए प्रिया अकेली गुम सूम अपने आप से बातें करती जान पड़ रही थी…!
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