RE: bahan sex kahani बहना का ख्याल मैं रखूँगा
सुबह मैं जब जगा तो शालिनी सो रही थी, मैंने देखा कि उसकी समीज थोड़ा ऊपर हो गई थी जिससे नीचे की तरफ से उसकी दाहिनी चूंची दिख रही थी मैंने ये मौका हाथ से जाने नहीं दिया और धीरे से अपना हाथ उसके मखमली पेट पर रख कर ऊंगली थोड़ा सा उसकी चूचियों तक पहुंचाकर सोने की एक्टिंग करके लेटा रहा,,,,,
ऐसा करते ही मेरा लौड़ा जबरदस्त तरीके से खड़ा हो गया पर अब मेरी हिम्मत बढ़ चुकी थी,,,,
काफी देर बाद शालिनी उठी और मेरे हाथ को साइड में करके बाथरूम में घुस गई,,,,
अब मैंने भी अपनी आंखें खोली, मेरा दिल और लन्ड दोनों बल्लियों उछलने लगा, क्योंकि अब मुझे यकीन हो गया था कि जल्दी ही मैं अपना हाथ शालिनी की जानकारी में उसकी चूचियों तक पहुंचा लूंगा, दबा लूंगा ।
बाथरूम के दरवाजे के खुलने की आवाज़ के साथ मैंने फिर से आंखें बंद कर ली और सीधे होकर लेटा रहा, इस तरह लेटने से मेरा लन्ड सीधा छत की ओर निशाना साधे हुए था ।
शालिनी कमरे में आई और मुझे बंद आंखों से ऐसा लगा जैसे वो मेरे लौड़े को ही देख रही हो, और ये सोच कर ही मेरे लौड़े ने हल्का सा झटका खाया, ये शायद कुछ ज्यादा ही हो गया था । शालिनी के किचन में जाकर चाय बनाने की आवाज़ आई ।
कुछ मिनट बाद वो आई और
भाई जी,,,, भाई,, उठिए,,, योर बेड टी इज वेटिंग ....
और मैंने अपने लौड़े के उभार को उसकी ओर देखते हुए एडजस्ट करने की कोशिश करते हुए उसे गुडमार्निंग बोल कर चाय अपने हाथ में ले ली।
मेरी चाय पकड़ाकर शालिनी अपनी चाय भी किचन से ले आयी और सामने कुर्सी पर बैठ कर चाय पीने लगी, मैं बेड पर ही बैठा था,,,,, आज मैंने गौर किया तो रोज की तरह उसने समीज उतार कर टीशर्ट नहीं पहनी थी, वो अब भी समीज में ही थी, मुझे ये देखकर और अच्छा लगा.... मतलब अब शालिनी भी मेरे साथ कम्फरटेबल है , कम कपड़ों में या या... आने वाले दिनों में बिना कपड़ों के.... सोच कर ही मैं मन ही मन में मुस्कुरा उठा ।
रोज की तरह मैं डेली रूटीन के काम करते हुए, शालिनी के मदमस्त यौवन को देखते हुए, और नहाने के समय मुठ मार कर, तैयार हो कर नाश्ता करके आफिस के लिए निकल लिया, एक नये दिन और नई उमंग के साथ.....
दिन में मैंने हमेशा की तरह उसे कई बार वीडियो काल की, और उसने मुझे बताया कि उसने सारे कपड़े चेक कर लिए हैं, साइज और फिटिंग ठीक है। तो मैंने कहा मुझे क्या पता कि फिटिंग ठीक है कि नहीं ...तो उसने कहा आप खुद देख लीजिएगा आकर, मैं कहीं जा नहीं रही हूं,,,, और हंसते हुए उसने बाय बोल कर फोन कट कर दिया ।
दोपहर तीन बजे शालिनी की काल आई और उसने मुझसे पूछा ...
शालिनी- हेलो भाईजी, वो पेन किलर टैबलेट कहां रखी है आपने ?
सागर- क्यों, क्या हुआ मेरी स्वीटी....?
शालिनी- जी... जी, , वो मेरा पीरियड शुरू हो गया है और मुझे दर्द हो रहा है।
सागर- ओह,,,, वो मेरी बुक्स की साइड में जो डब्बा है उसी में है,देखो...
शालिनी- जी, मिल गई,
सागर- ज्यादा पेन हो रहा हो तो मैं आ जाऊं और हम किसी डॉक्टर के पास चलते हैं।
शालिनी- नहीं,,, नहीं, भाई जी, ये टेंशन तो हर महीने की है, शुरू के दो दिन पेन रहता है बट पेन किलर से आराम मिल जाता है, आप अपना काम करने के बाद ही आना.... आई एम फाइन भाई... डोन्ट वरी .... ।
सागर- ओके बेटा,,,, अपना ख्याल रखना मैं जल्दी ही आ जाऊंगा।।
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