RE: bahan sex kahani बहना का ख्याल मैं रखूँगा
कल रात शालिनी के सोने के बाद मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसे चिपका कर सो गया ,,,
अगले दिन सुबह शालिनी नार्मल बिहेव कर रही थी...ये देख कर मैने ये सोचा की या तो शालिनी को मेरे उसकी चूचियों को पीकर उसकी बुर चोदने के इरादे का पता नहीं चल रहा है या पता है फिर भी वो अनजान बन के मजे ले रही है.... ।।
मैंने सुबह जब शांति से विचार किया तब मैंने बहुत सोचा और ये तय किया की अब मैं कम से कम दिन में तो शालिनी से थोड़ा दूरी बना के रहूंगा,,, क्यू की ये सब बहुत ज्यादा हो रहा था। इस सब के चक्कर में कहीं शालिनी की पढ़ाई ना डिस्टर्ब हो जाए ,,,
लेकिन जब एक बार ऐसा कुछ होता है .. तो होते रहने का दिल करता है...... एक बार कोई मर्द किसी औरत को छू लेता है तो दोनों ही एक दूसरे से ज्यादा देर दूर नहीं रह सकते और शालिनी पर कयामत के जैसे जवानी आयी थी,, उसका रुक पाना नामुमकिन हो गया था...कलरात जो भी हुआ था उससे मेरी हिम्मत और भी बढ़ गयी थी।
आज शालिनी पहले दिन कालेज में क्लास अटेंड करने के लिए जाने के लिए तैयार हो रही थी, मुझे कई बार शालिनी के शरीर को हल्के फुल्के अंदाज में टच करने का सुबह सवेरे मौका लगा । आज शालिनी ने ब्लैक कलर की टी-शर्ट के साथ ब्ल्यू शार्ट जींस पहनी थी,, उसके अंदर पर्पल कलर की ब्रा पहनी थी जिसकी एक पट्टी देख कर मैंने जाना,, गौर से देखने पर ब्रा अपना पूरा शेप दिखा रही थी,, शालिनी की मस्त चूचियां और गजब ढा रही थी ।
ये अजब खेल हो रहा था हम दोनों के बीच,,, दोनों को पता है कि अब हम दोनों सिर्फ भाई बहन नहीं रहे,,,, मगर ये भी नहीं पता कि क्या हो गये हैं , ,,, हो रहे हैं ,,,.... प्रेमी-प्रेमिका..... पिछले दिनों से जैसे हो रहा था और अब ये रुकने वाला भी नहीं था,,,
लेकिन मैं भी ,,,,, जो खुद शालिनी को अपनी तरफ से उकसा रहा था जानबूझकर ,,, मेरे में अभी भी इतनी हिम्मत नहीं हुई थी कि मैं शालिनी को सीधे सीधे छू लूं बिना किसी बहाने के ,,
जो भी भाई या बहनें इस तरह के रिलेशनशिप में रहे हैं या रहना चाहते हैं, उनको पता है कि ये इतना आसान नहीं है सगी बहन को एक झटके में चोद देना ,,, पकड़ कर चूंची दबा देना ,,, किस कर लेना ,,,,
मगर शायद अब आग तो दोनों तरफ लगी थी किसी को कम और किसी को ज्यादा ......
पहल कौन करेगा,,, लाज शर्म का ये आखिरी पड़ाव कब और कैसे पार होगा ,,, लेकिन जैसा भी चल रहा है,, बहुत मजेदार है ।।
,,, कहां मैं चूचियों की एक झलक पाने को तरसता रहता था । और अब मेरे हाथों से इतनी हसीन चूचियां मसली जा रही हैं वो भी इतनी गोरी स्पंची, और परफेक्ट साइज ३४बी की चुचियों को अपने गिरफ्त में लेने के लिए बस एक छोटे-से बहाने की जरूरत है बस..... चूचियां हाथ में .... कुछ दिन बाद शायद बहाने की जरूरत भी ना रहे और ये रसीले उरोज हमेशा हमेशा के लिए मेरे हो जाएं ।
शालिनी ने नाश्ता वगैरह का काम बहुत स्पीड में निपटाया और मेरे साथ ही अपने बैग को लेकर बाईक से कालेज के लिए निकल पड़ी । बाईक पर हम दोनों के बीच हवा जाने की भी जगह नहीं थी इतना चिपक कर बैठ गई थी शालिनी बात करने के बहाने से , खैर,,, मुझे तो दिन भर की एनर्जी मिल गई थी उसकी चूचियों की रगड़ से अपनी पीठ पर ,,,
कालेज पहुंच कर गेट के पास मैंने शालिनी को बाईक से उतारा और बेस्ट ऑफ लक और गुड डे बोल कर मैं भी अपने काम पर निकल पड़ा ।
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