RE: bahan sex kahani बहना का ख्याल मैं रखूँगा
कुछ देर बाद गेट को हल्का सा खोल कर शालिनी ने भी भाभी को गुड मार्निंग बोला और हालचाल पूछा,,, कुछ देर बाद हम लोग अपने अपने घर में अंदर आ गये ,,
शालिनी- क्या हो रहा था बाहर
मैं- मतलब, अरे यार मैं बाईक साफ कर रहा था और क्या ?
शालिनी- हूं,,, हाथ तो बाइक साफ कर रहे थे और आंखें ,,,
शायद शालिनी ने भाभी के बड़े गले से दिखती हुई चूचियों को मुझे घूरते हुए देख लिया था ,,,
मैं- क्या मतलब है आंखें कहां थी ?
शालिनी- तुम्हें पता है कहां थी तुम्हारी आंखें ,,, भाभी सा ने सुबह सवेरे अपने देवर राजा को मस्त दर्शन करवाए हैं,, हा हा हा,,
मैं- क्या यार ,, क्या बोल रही हो,, भाभी सा ने कौन से दर्शन करवाए हैं मुझे,, मैं समझा नहीं??
शालिनी - वैसे भाभी ब्लाउज़ बहुत अच्छे पहनती हैं,,, है ना,,,
और शालिनी खिलखिला कर हंसते हुए अपने कपड़े लेने पीछे कमरे में चली गई और मैं अपने लैपटॉप से कुछ मेल्स भेजने लगा और शालिनी नहाने के लिए बाथरूम में चली गई,,
मुझे लगा कि शालिनी को रात की पहली बार चूत में उंगली करने और मेरे मुठ मारकर उससे चिपक कर सोने की कोई शिकायत नहीं है मगर शायद किसी और महिला की तरफ मेरे देखने से भी उसे बुरा फील हो रहा है,,,
मतलब क्या शालिनी अब मेरे लिए पजेसिव हो रही है,,, ऐसा तो तब होता है जब कोई लड़की किसी लड़के के साथ अफेयर में होती है तो उसे बुरा लगता है जब उसका ब्वायफ्रेन्ड किसी और की तरफ अट्रैक्ट होता है या देखता है,,, उसका आज सुबह मुझे खुद से होंठों पर किस करना ,,,, क्या शालिनी को भी मुझसे प्यार हो रहा है धीरे धीरे,,, मेरी तरह,,,
खैर मैं यही सब सोचते हुए अपने काम को निपटा रहा था लैपटॉप पर कि तभी मुझे वही जानी पहचानी मादा महक कमरे में महसूस हुई और मैंने नजर उपर उठाई तो मेरी धड़कन तेज हो गई,,,,,,,
शालिनी ने सिर्फ टावेल लपेट रखा था जो मैं उसके लिए लाया था,,,,और अंदर बाथरूम से बिना कुछ पहने,,, निकल कर मेरे सामने से होती हुई पीछे कमरे में चली गई,,,, आह,,, सुबह सुबह उसके अधनंगे बदन पर पानी की बूंदें उसके पैरों पर बहते हुए बड़ी तेजी से उपर से नीचे उतर रही थी और मैं उसके पैरों को ही देखता रहा उसके कमरे में जाकर दरवाजा हल्का सा बाहर की ओर धकियाने तक ,,,,
मैं जब तक उसके इस टावेल में लिपटे हुए रूप के सम्मोहन से बाहर आता उससे पहले ही शालिनी की आवाज आई- भाई,, जरा यहां आना,,,
मैं हां बोलकर बिना कुछ सोचे-समझे जैसे ही कमरे के हल्के खुले दरवाजे को धकियाते हुए अंदर घुसा तो एक हसीन नजारा मेरी आंखों के सामने था..............
शालिनी मेरी तरफ पीठ करके खड़ी थी और उसके हाथ पीछे ब्रा के हुक को लगाने की कोशिश कर रहे थे,,,,, उसकी गोरी चिकनी पीठ पर सफेद ब्रा की स्ट्रिप.....आह,,, ये सब काफी था... मेरे होशोहवास खो जाने को.... और जैसे ही मेरी सरसरी नजर शालिनी के निचले शरीर पर गई तो ऐसा लगा .... कि लंड बरमूडे को फ़ाड़ कर बाहर निकल आने को आतुर है........
शालिनी ने एक व्हाइट कलर की लेगी पहनी हुई थी और उसके अंदर से उसकी प्रिंटेड पैंटी उसकी कामुकता से भरपूर जांघों को छुपाने के बजाय और दिखा रही थी,,,
शालिनी- भाई,,, अब खड़े रहोगे या मेरा काम भी करोगे ,,,
मैं अपने ख्यालों से बाहर निकलकर तुरन्त बोला- हां बोलो बेबी,,,
शालिनी- मेरी ब्रा का हुक ...
इतना सुनते ही मैंने आगे बढ़ कर उसकी साइड से दिखती हुई चूचियों को हल्के से उंगली से छूते हुए हुक को लगा दिया और मैं एक सीधे मासूम बच्चे की तरह कमरे से बाहर निकल आया,,,,,,
मजबूरी थी क्योंकि मैं शालिनी के साथ सुबह सवेरे या दिन भर सेक्सुअल हरकतें करना नहीं चाहता था और अपने आप को रोक भी नहीं पाता था,,,
कभी कभी अजीब सी उत्तेजना और आत्म ग्लानि मिश्रित विचार मन में आ ही जाते थे,,,
मैं सीधा बाथरूम में नहाने के लिए घुसा मगर कुछ सोच कर बाहर निकल कर रस्सी पर टंगी हुई शालिनी की ब्रा को उठाया और उसे लेकर बाथरूम का दरवाजा बंद कर लिया,,,
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