RE: bahan sex kahani बहना का ख्याल मैं रखूँगा
शालिनी- भाई,, इसे पकड़ लो नहीं तो पानी में बह जाएगी,,,
मैं- ठीक है,,, आराम से करो,,,, मैं हेल्प करूं,,,,,,
शालिनी- (थोड़ा सा हंसते हुए) तुम बस उधर देखो,, मुड़ना नहीं,,,
मैं- मेरा तो देख लिया ,,,अब अपने टाईम बड़ी शरम आ रही है,, करो,, करो,,,, मैं चोरी से नहीं देखता,,, जब दिखाओगी तभी देखूंगा,,,,
शालिनी- अब तुम चुप भी हो जाओ,,,आह,,,स,,सा,,,सी,,,,,
अब मुझे पानी की आवाज के अलावा भी आवाजें आने लगीं और उनमें से शालिनी की हल्की हल्की सिसकियां भी शामिल थीं,,
मैं बिल्कुल इमानदारी से खड़ा रहा और अपने पीछे देखने का बिल्कुल भी प्रयास नहीं किया,,,,
पीछे मुझे महसूस हो रहा था कि शालिनी ने अपनी बुर में उंगली डाल दी है और अब वो भी मदहोशी की ओर बढ़ रही होगी,,,, कुछ देर तक खामोश हो कर मैं भी आस पास के मनोरम वातावरण को देखकर उत्तेजित अवस्था में शांति से खड़ा रहा जिससे मेरी बहन के हस्तमैथुन करने में कोई व्यवधान उत्पन्न ना हो,,,,,
मेरे हाथों में उसकी सिल्की कपड़े वाली पैंटी थी और मैं उसे अपने चेहरे के पास लाकर उसे सूंघने लगा,,,, और कुछ एक मिनट के बाद मुझे ऐसा लगा कि शालिनी के हाथों की रफ्तार कुछ तेज़ हो गई है एक तेज आवाज के साथ उसने मेरे कंधे पर पीछे से हाथ रख दिया और,,,
शालिनी- भाई ईईईई,,, मेरी पैंटी,,,,
मैंने बिना मुड़े उसकी पैंटी को उसके हाथ में दे दिया और उससे पूछा,,,
मैं- हो गया,,,
शालिनी- ह हां,, ,,,, मैं पैंटी पहन नहीं पाऊंगी,,, पानी में,,,
मैं- बाहर निकल कर पहन लो,,,
और तभी शालिनी के पानी से बाहर की तरफ निकलने की आवाज आई और साथ ही मैं भी घूम गया और पानी से बाहर निकलती हुई एक मदमस्त हसीना के पिछवाड़े को देखकर उत्तेजित हो कर अपने आप मेरा हाथ मेरे लन्ड को मसलने लगा फ्रेन्ची के उपर से ही,,, मैं पहली बार इस तरह किसी जवान बदन के नंगे चूतड़ों को आपस में रगड़ते हुए देख रहा था,,,,
शालिनी ने किनारे पर जाकर एक टीले पर बैठ कर अपनी पैंटी पहनी और फिर से पानी में मेरे पास आ गई,,,
मैं- रिलैक्स होने के बाद चेहरा और खिल जाता है,, है ना,,, ब्यूटी क्वीन,,,
मैं उसके चेहरे पर पड़ती हुईं धूप में खिले हुए उसके गोरे गोरे मुखड़े को देखकर बोला,,,
शालिनी- क्यों क्या पहले मेरा चेहरा मुरझाया हुआ था,,
मैं- नहीं यार,,, डिस्चार्ज होने के बाद एक अलग ही निखार आता है,,,
शालिनी- हूं,,, तभी तुम्हारे चेहरे पे ज्यादा ही निखार रहता है आजकल,,, हा हा हा हा हा,,,,
मैं- ज्यादा कैसे,,
शालिनी- तुम तो दिन भर में जाने कितनी बार डिस्चार्ज होते हो,,, अभी अभी किया था और देखो तो तुम्हारा छुन्नू फिर से मचल रहा है,, हा हा हा हा
उसने मेरी फ्रेन्ची में भीगने से खड़े लंड को पानी के अंदर भी देख लिया था और उसी की ओर इशारा करते हुए बोली थी,,,
मैं- वैसे पानी में मैंने कभी किया नहीं,,कैसा लगा,,,, कुछ अलग मजा आया क्या ?
शालिनी- ठीक लगता है पानी में ,,,बट खड़े होकर बैलेंस नहीं बनता,,, तुम लोगों के मजे हैं,, चाहे जैसे करो,,,
मैं- हां,, ज्यादा मजे के चक्कर में ही तो राहुल और सोनिया उधर पानी में गये हैं,,,
शालिनी- हां,, तुम्हारा मन अभी भी नहीं भरा है शायद,,,
बट भाई अब बहुत मस्ती हो गयी है ,, हम लोगों को चलना चाहिए,, नहीं तो घर पहुंचने में अंधेरा हो जायेगा,,,
हम लोगों को इस हसीन वादी में घूमते, नहाते और चुदाई देखते हुए हस्तमैथुन करने में काफी मजा आ चुका था और ज्यादा मजे के चक्कर में कहीं कुछ गड़बड़ी ना हो जाए,,,
हम दोनों कुछ देर तक ऐसे ही पानी में और मस्ती करते हुए पानी से बाहर निकल कर अपने बैग के पास आगये और शालिनी ने बैग से अपने पहनने के लिए कपड़े निकाल लिए और मेरी तरफ देख कर बोली
शालिनी- भाई, मैं चेंज कर के आती हूं,,,, और वो पत्थर के पीछे चली गई,,,
मैंने भी अपनी गीली फ्रेन्ची निकाल कर बिना अंडरवियर के ही जींस पहनी और शालिनी का वेट करने लगा,,,,,
तभी शालिनी पत्थर के पीछे से निकल कर आई और मैं अपलक उसे देखता ही रह गया,, उसने टी-शर्ट और पैंटी पहनी थी,,, पैंटी उसकी निक्कर टाईप की थी और उसकी जांघों को और आकर्षक बना रही थी,,, और उसने अपनी दूसरी जींस बैग से निकाल ली,,, और,,,
शालिनी- भैय्या,,, ये वाली जींस अभी हल्की सी गीली ही है,, दूसरी ही पहन लेती हूं,,,
और उसने वहीं पत्थर पर टेक लगाकर जींस पहनी,,, और हम दोनों एक-दूसरे के हाथ में हाथ डाल कर अपनी बाइक की ओर चल दिए,,,,
बाइक स्टार्ट करके हम लोग घर की ओर चल पड़े,,, शालिनी की सबसे अच्छी बात यह है कि वो सबकुछ करने और देखने के बाद ज्यादा बात नहीं करती है,, सेक्स सम्बन्धी बातों के बारे में,,, अभी अभी हम दोनों ने साथ में एक भाई बहन की चुदाई देखी,,, मैंने उसके साथ खड़े होकर मुठ मारी और उसने मेरे पीछे खड़े होकर पानी में अपनी चूत में उंगली डाली, मगर अब भी हम दोनों ने एक-दूसरे के किसी भी अंग को नाजायज तरीके से छुआ तक नहीं था,,, शालिनी का बचपना अभी तक बरकरार था और मेरी चुहलबाज़ी बढ़ती जा रही थी दिन प्रतिदिन,,,,,
रास्ते में बाइक पर मैं बराबर शालिनी से हल्की फुल्की छेड़छाड़ वाली बातें करते हुए मज़े के साथ ड्राइविंग करते हुए घर के करीब पहुंचने वाला था तो मैंने शालिनी से कहा कि हम लोग सीधे घर ही चलते हैं तो उसने भी कहा,, हां,, सीधे घर चलो,,, और मैंने हाइवे से बाइक अपने घर की ओर बढ़ा दी,, शाम हो चुकी थी और आसपास घरों में लाइट जल रही थी,,,,
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