RE: bahan sex kahani बहना का ख्याल मैं रखूँगा
कल दिन भर की लम्बी बाइक ड्राइविंग और सुबह सवेरे शहर से चलते हुए रास्ते में हुए मजेदार वाकये ने मुझे और भी कामुक बना दिया था और कल रात में ना चाहते हुए भी मेरा मन अपनी बहन के साथ साथ माम के बदन को भी देख देख कर कुछ ऐसा वैसा हो रहा था,,,, इससे बचने का एक ही उपाय था कि मुझे जल्द से जल्द कोई असली सेक्स पार्टनर मिल जाए और मैं अपनी कामवासना को उसके बदन के अंदर उड़ेल दूं,,, नहीं तो मेरे ये कामुक विचार और आगे बढ़ते ही जाएंगे और आज जो भूख शालिनी के बदन को भोगने के लिए मुझसे जो कुछ करवा रही है,,, मैं वही सब कहीं किसी और के साथ ना कर बैठूं,,, माम के लिए मैंने निश्चय किया कि अब कुछ भी हो जाए मगर मैं उनको सेक्सुअल होकर नहीं देखूंगा,,,,, यही सब सोचते हुए मैं रात में बड़े ही प्यार से चिपक कर माम और शालिनी के साथ सोया हुआ था और सुबह जब मेरी आंख खुली तो बेड पर सिर्फ मैं और शालिनी ही थे,,, माम उठकर जा चुकी थी,,,,
हम दोनों करवट लेटे हुए थे और पिछले काफी दिनों से सोकर उठने के बाद हम दोनों का पहला काम एक दूसरे को चूमते हुए गुड मार्निंग बोलने का होता था,,,,
मैं इसी उधेड़बुन में था कि यहां घर पर माम की मौजूदगी में शायद शालिनी को ठीक ना लगे,,,, वैसे भी वो बातों ही बातों में या कभी कभी इशारे से कह ही देती है कि उसे हमारे बदलते हुए रिश्ते में हो रही छेड़छाड़ से कोई परेशानी नहीं हो रही है मगर ये सब कुछ हम दोनों के बीच रहे और सार्वजनिक ना हो तो अच्छा है,,,,
खैर मेरी उलझन को जल्दी ही विराम मिल गया और शालिनी ने बेड से उठ कर दरवाजे के बाहर देखते हुए दरवाजे को फिर से ढलका दिया और पलटकर उसने मुझे पकड़ा और मुझे किस करने लगी मैं भी उसके होंठ चूसने लगा ,,, मैं सीधा लेटा हुआ था और शालिनी झुककर मुझे होंठों पर गुड मार्निंग किस्सी दे रही थी,,,,,,वो आज कुछ ज्यादा ही जोश में पागलों की तरह मेरे होंठ चूस रही थी और मैं उसके होंठ चूस रहा था,,,,,, ये हर रोज कुछ सेकंड होता था सुबह सवेरे मगर आज जब वो अलग होने लगी तो मैंने फिर उसे अपनी तरफ खींचा और किस करते हुए मैंने कमर के पास उसकी टी शर्ट के अंदर हाथ डाल दिया और उसके चिकने नंगे पेट पर अपनी उंगलियों को फिराने लगा,,,,, हम दोनों की नजरें आपस में टकराईं और शालिनी ने आंखों ही आंखों में इशारे से उसे छोड़ने को कहा,,,,
मेरे हाथ की गुदगुदी से शालिनी थोड़ा सा असहज हुई और हम दोनों बेड पे गिर गए, मैं अभी भी होंठ चूस रहा था फिर मैंने अपना हाथ बाहर निकाला और उसे किस करते हुए उसकी पीठ पर हाथ फिराने लगा,,,,
हम लगातार एक दुसरे को किस कर रहे थे ,,, आज मुझे ऐसा लगा कि शालिनी भी सिर्फ गुड मार्निंग बोलने वाला किस नहीं कर रही है बल्कि एक प्रेमिका सबकी नजरों से बचाकर अपने प्रेमी को सुप्रभात कह रही है,,,,,, अब तक का ये सबसे लम्बा चलने वाला किस था हम दोनों के लिए,,,,,,
तभी माम ने आवाज लगाई और हम दोनों अलग हुए हम दोनों ने एक दुसरे को देखा मुझे बहुत नशीला सा लग रहा था मेरा सर हल्का हल्का घुमने लगा था,,,,,
एक दूसरे से अलग होकर बिस्तर से उठने के बाद हम दोनों ने हंसते हुए कहा,,,, गुड मार्निंग,,,,,
शालिनी- आज आपने रोज़ की तरह पहले गुड मार्निंग नहीं बोला,,,
मैं- मैंने सोचा आज तुम्हें मौका देता हूं पहल करने का,,, क्या रोज़ रोज़ मैं ही करूं ,,,
शालिनी- (मुस्कुराते हुए) थैंक्स,,, भाई,,, वैसे अब जो पहले जगेगा वहीं तो गुड मार्निंग पहले बोलेगा,,,
मैं- थैंक यू मत बोलो शालिनी,,, वो जरा उस तरह बोलो ना,,, क्या कहती हो तुम,,, लव यू हमेशा ,,,,बोलो ,,
शालिनी- (मुस्कुराते हुए) "धत ..... और वो दरवाजे को खोलकर बाहर निकलने के लिए बढ़ी मगर मैंने आज उसके मूड को देखते हुए फिर से उसे अपनी ओर खींच लिया और मैं अपने होंठ उसके पास ले जाने लगा तो उसने बोला
शालिनी- भैया ,,,हटो ना यार,,,नहीं तो मम्मी आ जाएगी ,,,
मैं दूर हो गया मम्मी की वापस आवाज आई और शालिनी बलखाती हुई मम्मी के पास चली गई शायद नाश्ता बनवाने,,,,,,
मैं बहुत खुश था क्योंकि शालिनी भी अब मुझसे प्यार करने लग गई थी उसके पास होने से उसको छूने से उसके बदन की खुशबू से ही मुझे कुछ होने लग जाता था तभी मैं फ्रेश होकर वाशरूम से बाहर निकला तो सामने किचन में शालिनी अकेले खड़ी थी,,,,, मैं अपने कमरे की तरफ बढ़ा तो शालिनी ने मुझे किचन से आवाज दी मैं अंदर गया तो शालिनी परांठे बनाने के लिए आटा गूंथ रही थी और मम्मी बाहर गई थी मैंने पीछे से शालिनी को देखा*
शालिनी- भाई,, ये डब्बा उपर से उतार दो,,,
मैंने डब्बा उतार के रख दिया और शालिनी को छेड़ने के लिए उसकी कमर में गुदगुदी कर दी और साथ ही उसको पीछे से पकड़ के उसके कान के पास धीरे से बोलते हुए किस किया और
मैं- एक किस दो ना स्वीटू ,,,
शालिनी- "पागल हो क्या मम्मी आ जाएंगी" ,, बाहर ही हैं घर के,,,
मैं - वो तो बाहर हैं प्लीज दो ना"
और ये कहते हुए मैंने उसको पीछे से टाइट पकड़ लिया ,, कमर के पास से और उससे चिपक गया ,,,
शालिनी- "छोड़ो ना भैया " (हंसते हुए) तुम ना आज बहुत बेसबरे हो रहे हो,,,
लेकिन मैंने उसे नहीं छोड़ा*
मैंने पीछे से पकड़े हुए ही उसकी कमर के पास टी-शर्ट उठा कर अपनी उंगलियों को काम पर लगा दिया और कहा
मैं- पहले किस दो,, छोटी सी,,
शालिनी- अभी तो दी थी रूम में,,
मैं- एक और दो ना तुम्हारे होंठ है ही इतने मीठे,, एक से मेरा क्या होगा,,,
वो मुस्कुराते हुए पीछे मुड़ कर बोली
शालिनी- अरे साइड में तो आओ मुंह पीछे कैसे घुमाऊं भैया ,, तुम मानने वाले तो हो नहीं ऐसे,, जल्दी से कर लो,,
" मैंने उसे घुमा लिया और अपने होंठ उसके होंठो पे रख दिए ,,, शालिनी भी मुझे किस करने लगी और मैं भी उसके नरम मुलायम होंठो को चूसने लगा उसके होंठ चूसते चूसते मैं उसकी टी शर्ट के ऊपर से उसकी पीठ को सहलाने लगा उसे दबाने लगा तभी उसने मेरे होंठ छोड़ दिए और बोली
शालिनी- बस अब हो गया,,,
मैं- क्या ,,,बस इतना सा
वो मुस्कुराते हुए बोली
शालिनी- हाँ इतना सा ,,, जाओ अब यहाँ से भैय्या,,,
और मैं भी मुस्कुराते हुए बाहर आ गया थोड़ी देर बाद मम्मी अंदर आई ,, जो काम मुझसे अकेले रहते हुए नहीं हुआ था वो आज यहां माम की मौजूदगी में हो गया,, जाने कैसे मेरे अंदर हिम्मत आई और मैंने पहली बार शालिनी से खुलकर उसको किस करने की इच्छा जताई और उसने भी अपने भाई की इच्छा को पूरा करने में कोई कसर नहीं रखी,,,, गुड मार्निंग के बहाने से लिए किस और एक आन डिमांड किस में बड़ा फर्क होता है,,, आज पहली बार ही मैंने किस करते हुए अपने हाथ को उसकी टी-शर्ट के अन्दर घुसाया था,,, इसके पहले शालिनी की जानकारी में मैंने कभी उसकी टी-शर्ट के अन्दर उसके मखमली बदन को सहलाया नहीं था,,, वो अलग बात थी कि उसके सोने के बाद मैं जितना सम्भव हो उतना उसके बदन को सहला लेता था,,,,,,
सरोजिनी माम- अरे शालिनी ये ड्रेस तो चेंज कर ले इसी में काम कर रही है क्या??
शालिनी- हाँ मम्मी नहाउंगी अभी तो चेंज कर लूंगी ,,,
मैं उनकी बात सुनके सोचने लगा शालिनी नहाने वाली है मैं उसको नंगी नहाते हुए देखूं या उसके साथ ही मैं भी नहा लूं ,,,, आह,, ये सब सम्भव भी है और नहीं भी,,, अंगूर अभी तक खट्टे ही है,,,
मैं यही सब सोच रहा था इतने में शालिनी मेरे पास आकर बैठ गयी और बोली
शालिनी- क्या सोचरहे हो भैया
मैंने धीरे से कहा
मैं- नहाने की सोच रहा हूं,,ओय चल तेरे साथ ही नहा लेता हूँ ,,,और क्या??
शालिनी- रहने दो कोई जरुरत नहीं है,,, पागल यहां माम के घर में होते हुए,,
मै- क्यों बेबी,,, माम से मैं बोल दूं क्या कि मेरी पीठ पर मैल लगा है और,,,
तो वो मुस्कुराते हुए धीरे से बोली
शालिनी- तुम भी ना भैया,,,मुझे नहलाते नहलाते आप कुछ और ही करने लग जाओगे
मैं- क्या करने लग जाऊंगा
शालिनी- चुप रहो आप ,, जैसे तुम्हें कुछ पता नहीं है,,,
मुझे शालिनी से ऐसी बातें करने में बहुत मजा आ रहा था,, शहर में जब सिर्फ हम दोनों होते हैं तो छेड़छाड़ में उतना मजा नहीं आता जितना यहां माम की मौजूदगी में शालिनी को उकसाने में आता है,, चोरी चोरी प्यार का मजा ही कुछ और है,,, उस से ऐसी बातें करते हुए मेरा लंड टाइट खड़ा हुआ था इतने में मम्मी का फोन बजा मम्मी फोन उठाने बेडरूम में गयी*,, हमारे सामने से निकलते हुए,,,
और मैंने शालिनी को अपनी बाँहों में जकड़ लिया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर चूमने लगा ,,,, शालिनी मुझसे छूटने की कोशिश करने लगी,,,इस तरह मैंने आज तक उसे अचानक कभी नहीं पकड़ा था,,, लेकिन मैं उसे चूमता रहा,,,,, इधर उधर उसके गालों पर चूम लिया और उसके नरम होंठ चूसता रहा तभी मम्मी की बात करने की आवाज आने लगी और मैंने जल्दी से शालिनी को छोड़ दिया जैसे ही मैंने उसे छोड़ा वो बोली
शालिनी- ओए पागल हो गये हो क्या भैया आप,,, अगर मम्मी देख लेती तो, बस मौका ही ढूंढते रहते हो मुझे परेशान करने का,,,,,, मैंने तुम्हारी सुबह सवेरे वाली डोज इसीलिए ज्यादा ही दी थी,,, मगर तुम ना,, पेट ही नहीं भरता तुम्हारा,,,,,कभी फंस जाएँगे हम लोग,,
मैं- तुम कम्पलीट किस देती ही नहीं हो कभी,,
शालिनी- लालची इन्सान ज्यादा लालच मत किया करो कभी मम्मी ने पकड़ लिया ना तो दोनों फंस जाएँगे बहुत बड़ी प्रॉब्लम हो जाएगी,,, बड़े आये कम्पलीट किस वाले,,,
मैं उसकी बात सुनके हँसने लगा फिर वो उठ कर जाने लगी तो मैंने पूछा
मैं- "कहा जा रही हो बेबी
शालिनी- नहाने जा रही हूँ,,,, और क्या
मैं- मैं भी चलू क्या"
शालिनी- चुप करो बदमाश,,
मैं- प्लीज ,, अच्छा एक काम करते हैं,,, आज हम दोनों लोग अपने खेत वाले ट्यूबवेल पर चलते हैं और वहीं नहाते हैं,,,,,
शालिनी उठकर खड़ी हुई और जाते हुए बोली,,,
शालिनी- अच्छा अभी नहाने दो मुझे,,,,, वैसे अपने शहर के मकान वाला शावर ज्यादा अच्छा है,,,,,, बहुत अच्छी फुहारें निकलती हैं उसमें,,, है ना भैया,,,
और वो मेरे सामने से बलखाती हुई अपने कमरे में चली गई
और मैं अभी अभी उसके बोले शब्दों का मतलब निकालने लगा तो सोच कर ही मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा,,,,,,
शालिनी इशारे इशारे में कह गई थी कि वो मेरे साथ हमारे शहर के मकान में अकेले रहते हुए साथ में नहाने की मेरी इच्छा पूरी कर सकती है मगर यहां नहीं,,,,,, मुझे अपनी बेवकूफी भरे उतावलेपन पर हंसी आई और साथ ही शालिनी की समझदारी पर फक्र भी हुआ कि वो रिश्तों की मर्यादा की दहलीज पार करने में कोई जल्दबाजी नहीं कर रही थी ,,, मगर एक बात काबिले गौर थी कि यहां माम की मौजूदगी की वजह से शालिनी का कान्फीडेन्स कुछ अलग ही दिखाई दे रहा था,,, उसकी बात चीत में हम दोनों के नये बनते हुए रिश्ते को छुपाने की कोशिश भी रहती है और वो बातों ही बातों में माम को ये भी बताती है कि मैं उसका कितना ख्याल रखता हूं और उसकी हर जरूरत को पूरा करता हूं,,,,,!!
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