RE: Indian Sex Kahani चुदाई का ज्ञान
प्रिया तो जैसे दीपक के बोलने का ही इंतजार कर रही थी.. झट से उसने लौड़े को सहलाना शुरू कर दिया।
दीपाली- अच्छा मेरे आशिक.. मेरी गाण्ड भी मारनी है.. तो लाओ अभी लौड़े को चूस कर तैयार कर देती हूँ।
प्रिया लौड़े को सहला रही थी मगर दीपाली तो लंड की प्यासी थी। सीधे होंठ रख दिए लौड़े पर और सुपाड़े पर जीभ घुमाने लगी। उसको देख कर प्रिया भी लेट गई और गोटियाँ चूसने लगी।
दीपक- आहह.. मेरी रानियों.. चूसो मेरे लौड़े को. मज़ा आ रहा है. अभी तो सिर्फ दीपाली की गाण्ड मारूँगा और रात को प्रिया की.. साली, ना मत कहना.. ऐसा मौका दोबारा नहीं आएगा…
प्रिया- मार लेना भाई.. जब चूत आपको दे दी तो गाण्ड में क्या है.. मार लेना. जी भर कर मारना, बस….
दीपक का लौड़ा चूसाइ से फनफना गया और अपने असली रूप में आ गया।
दीपक- बस साली रण्डियों.. अब चूसना बन्द करो.. आहह.. लौड़ा मस्त खड़ा हो गया। अब बन जा घोड़ी, साली.. तेरी गाण्ड मारने का समय आ गया है।
दीपाली भी अब देर नहीं करना चाहती थी. वो उसकी बात मान गई और घोड़ी बन गई।
दीपाली- आ जा प्रिया, आगे बैठ जा. तेरी चूत चाट देती हूँ।
प्रिया- नहीं दीपाली, आज के लिए बस मेरा हो गया.. तुम मज़ा करो.. मैं बस देखती हूँ कि भाई गाण्ड कैसे मारते हैं।
दीपक ने दीपाली की गाण्ड को बड़े प्यार से सहलाया.. उसके छेद में ऊँगली डाली तो दीपाली थोड़ी सी आगे हुई.. जिससे दीपक को लगा गाण्ड ज़्यादा खुली हुई नहीं है.. तभी दीपाली आगे खिसकी…
दीपक- वाह साली, तेरी गाण्ड तो बड़ी मुलायम है.. मारने में बड़ा मज़ा आएगा.. तेरी गाण्ड को देख कर लौड़ा भी देख कैसे झटके मारने लगा है.. आहह.. क्या मस्त गाण्ड मिली है, मक्खन जैसी।
दीपाली- हाँ मेरे आशिक, पेल दे लौड़ा गाण्ड में.. उसके बाद देख तेरे को कितना मज़ा देती हूं!
दीपक ने सुपाड़े को गाण्ड पर फिराया और फिर उसे गाण्ड के छेद पर रख कर ज़ोर से धक्का मारा. लौड़ा फिसक कर निशाना चूक गया।
दीपाली- आहह.. क्या कर रहा है, बहनचोद? गाण्ड मारना आता नहीं और चला है मारने.
दीपाली ने जानबूझ कर ये दीपक को शर्मिंदा करने के लिए कहा था पर यह भी सच था कि दीपक को गांड मारने का तरीका नहीं पता था।
दीपक का सर शर्म से झुक गया क्योंकि उसने वास्तव में पहले गांड नहीं मारी थी. उसने सोचा था कि गांड पर लंड रख कर धक्का मारना है और काम हो जायेगा. उसकी मुश्किल आसान करते हुए प्रिया ने कहा – भाई से नाराज़ क्यों होती है, दीपाली? तू ही बता दे ना कि इन्हें कैसे मारनी है?
दीपाली – हूं, वही करना पड़ेगा. ऐसा कर कि तू पहले अपने भाई के लंड पर अच्छी तरह थूक लगा. ... लगा दिया? ठीक है, अब तू मेरे चूतड़ों को फैला और इसे कह कि ये मेरी गांड के छेद पर जोर से थूके. ... ठीक है, अब इसका लंड छेद पर रख ... हाँ, पकडे रख. और दीपक, तू धीरे-धीरे लंड घुसा. ... हाँ, ऐसे!
दीपक- आह.. मज़ा आ गया, रानी. लौड़ा अन्दर जाते ही खुश हो गया. तेरी गाण्ड तो प्रिया की कुंवारी चूत से भी टाइट निकली ... लगता है तेरे यार ने ज्यादा बार नहीं मारी है!
दीपाली- आहह.. पूरा डाल, साले. तुझे नहीं पता कि गांड हमेशा ऐसी ही टाइट रहती है, चाहे कितनी ही बार मार लो!
दीपक ने लौड़े को पूरा बाहर निकाला और ज़ोर से झटका मारा.. लौड़ा जड़ तक गाण्ड में समा गया।
दीपाली- वाह, क्या शॉट मारा है! तेरा लौड़ा अच्छा है, रे! आहह.. अब मार धक्के ... आहह.. मार ... आहह.. और ज़ोर से ... आहह मेरी गाण्ड को तेरे रस से भर दे. आहह.. भर दे पूरा लण्ड-रस मेरी गाण्ड में..... आहह!
दीपक ने रफ़्तार पकड़ ली.. प्रिया बस उनका यह खेल देख रही थी।
दीपाली- आ साली कुतिया, ऐसे फ्री बैठी है. आह, चल मेरे नीचे आ आहह.. मेरी चूत चाट आहह.. गाण्ड के साथ-साथ चूत को भी मज़ा मिल जाएगा आहह.. आ जा जल्दी से…
प्रिया- हाँ छिनाल.. आ रही हूँ.. तू इतनी बड़ी चुदक्कड़ है.. तुझे चूत में खुजली होगी ही.. ले अभी चाट देती हूँ…
प्रिया नीचे से चूत चाटने लगी और दीपक गाण्ड की ठुकाई में लगा रहा। ये खेल करीब दस मिनट चला। दीपाली की चूत ने तो पानी फेंक दिया जिसे प्रिया ने चाट लिया मगर दीपक का लौड़ा अभी भी जंग लड़ रहा था।
दीपक- उहह उहह आहह.. दीपा रानी, आहह.. क्या मस्त गाण्ड है तेरी.. आहह.. मज़ा आ गया आहह.. उहह उहह…
दीपाली- अई आह अबे भड़वे आहह.. कब से मेरी गाण्ड का भुर्ता बना रहा है.. आहह.. अब तो मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया.. आहह.. अब निकाल दे पानी! आहह…
दीपक- बस मेरा भी होने वाला है आहह.. उफ़फ्फ़ आ अई आह…
दीपक के लौड़े ने भी लंबी दौड़ के बाद हार मान ली और वीर्य दीपाली की गाण्ड में भर दिया। कुछ देर तक लौड़ा गाण्ड में रखने के बाद दीपक ने बाहर निकाला।
दीपक- आह ले मेरी रंडी बहन, चूत-रस तो तू पी गई.. अब ये लण्ड भी चाट ले।
प्रिया- हाँ मेरे बहनचोद भाई.. अभी चाट देती हूँ.
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