RE: Incest Kahani मेरी भुलक्कड़ चाची
फूफा: "क्या हुआ"
चाची" "नही मे इस पर से गिर जाउन्गि"
फूफा: "अर्रे नही गिरोगि"
चाची: "नही ये हिल रहा है"
फूफा : "तुम खड़ी हो जाओ मे तुम्हे पीछे से पकड़ लेता हूँ.."
चाची: "अर्रे नही मुझे शरम आती है, और कोई देखेगा तो क्या कहेगा"
फूफा: "ठीक है फिर वही खड़े रहो"
चाची के पास कोई दूसरा चारा नही था, वो उसे पर खड़ी हो गयी और फूफा ने पीछे से पकड़ लिया, अब चाची की चूतर फूफा के लंड के शीध मे थी. फूफा ने पीछेसे चाची की कमर को पकड़ा हुआ था पर उनकी उंगलिया (फिंगर) चाची के नाभि (नेवेल) को छू रही थी. चाची का ध्यान तो मंडप पर था, मे ये सब खिड़की के पास से देख रहा था, बाकी लोगो का भी ध्यान मॅडप पर ही था, हम काफ़ी पीछे थे इसीलिए कोई हमे देख नही सकता था.
फूफा का लंड काफ़ी तन गया था, पॅंट की उभार साफ दिख रही थी और फूफा बड़े मज़े से चाची की चूतर को अपने लंड से दबा रहे थे, अचानक चाची थोड़ी सहम गयी शायद चाची फूफा के लंड को महसूस कर रही थी उन्होने एक दो बार पीछे भी मूड कर देखा पर कुछ बोली नही, पर बोलती भी क्या.
चाची: "राजेसजी..लड़कीवाले तो बड़े कंजूष निकले, समान बहुत कम दिया है"
फूफा: "अर्रे लड़की दे रहे है और क्या चाहिए..पर आपके से तो ज़्यादा दहेज दे रहे है"
चाची: "अर्रे..वो तो बड़े भैया ने दहेज के लिए हां करदी थी नही तो वो भी नही मिलती, पिताजी तो दहेज के खिलाफ थे और इतनी खूबसूरत लड़की दे रहे थे और क्या चाहिए था"
फूफा: "बात तो ठीक कह रही है आप...अगर हम प्रकाश की जगह होते तो, हम दहेज देते आपको..आख़िर आप हो ही इतनी खूबसूरत"
चाची: "अब हमारी फिरकी मत लीजिए"
फूफा: "क्यूँ..तुम खूबसूरत नही हो"
चाची: "हमे क्या पता"
फूफा: "क्यूँ प्रकाश ने कभी कहा नही"
चाची: "अर्रे उनके पास हमारे लिए वक़्त कहाँ, ऑफीस से आए और किताब मे घुसे गये"
फूफा: "बेवकूफ़ है..."
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