RE: Incest Kahani मेरी भुलक्कड़ चाची
तभी मा ने उपर से आवाज़ दी, चाची फिर उपर सीढ़ियों से जाने लगी फूफा वन्हि खड़े उनके मोटे चूतर और कमर को हिलता हुआ देख रहे थे, मे वन्हि खड़ा ये सब देख रहा था.फिर फूफा दालान मे चले गये. इस के बाद भी कई बार फूफा को चाची से मज़ाक करते देखा पर मुझे ये सब नॉर्मल लगा.
पर एक दिन मे उनका ये मज़ाक समझ नही पाया, मे बुआ के कमरे था फूफा भी टेबल पर बैठ कर कुछ लिख रहे थे, मे उनसे काफ़ी दूरी पर था और खिड़की से नीचे दालान की तरफ देख रहा था, तभी चाची वान्हा आई शायद उन्हे कुछ लेना था, अंदर आते ही उनकी नज़र फूफा पर पड़ी उन्होने एक शरारती मुस्कान देते हुए फूफा के पास से गुज़री फूफा भी मुस्कुराते हुए देख रहे थे, चाची नीचे झुक कर एक बोरे से चने की दाल निकाल रही थी, झुकने से उनके चूतर काफ़ी कामुक लग रहे थे और चूतर की दरार (आस क्रॅक) दिख रही थी. फूफा की तो नज़र ही नही हट रही थी उनके चूतर से, चाचीने भी एक दो बार घूम कर फूफा को देखा, फूफा ने पूछा "क्या निकाल रही हो?"
चाची: "दाल.."
फूफा:"क्या दाल?"
चाची" "अर्रे.. चने की दाल"
फूफा: "अछा दाल..मे तो कुछ और ही समझ रहा था"
चाची: "आप तो हमेशा, कुछ और ही समझ लेते है" इतना बोलते हुए वहाँ से गुज़री तब तक फूफा ने उनकी कमर पर चींटी ले लेली और उनका हाथ पकड़ लिया.
चाची: "हाए राजेसजी..आप तो बड़े बेशरम हो.."
फूफा: "बेशरम बोलही दिया है तो बेशरम भी बन जाते है"
चाची: "राजेसजी.. मेरा हाथ छोड़िएना, कोई देख लेगा तो क्या कहेगा"
फूफा: "किसीकि मज़ाल जो हमे कुछ कहदे"
चाची: "छोड़िएना...."
फूफा: "एक शर्त पर..मैने बहुत दिनो से मालिश नही करवाया है, तुम्हे मेरी मालिश करनी होगी...और वैसे भी हमारी बीवी के पास वक़्त नही है"
चाची: "तो क्या आपने हमे बेकार समझ रखा है"
फूफा: "अर्रे नही आप तो बड़े काम की चीज़ है..पर प्लीज़ ज़रा मेरी मालिश करदो"
चाची: "अभी?..यहाँ?...नही नही रात को कर दूँगी"
फूफा: "अर्रे आपको को रात को कहाँ फ़ुर्सत मिलेगी...प्रकासजी छोड़ेगा ही नही"
चाची: "अर्रे ऐसी कोई बात नही..वैसे भी आज कल वो शादी के काम मे बहुत बिज़ी है"
फूफा: "अछा तो साले को टाइम नही है.. इतना बड़ा काम छोड़ कर बेकार के काम करता है"
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