RE: Incest Kahani मेरी भुलक्कड़ चाची
गतान्क से आगे..............
चाची: "हाई राम.. ये क्या कर रहे है आप?"
फूफा: "देख रहा हूँ..हाथ की तरह आपके बाकी बदन भी काफ़ी कोमल है"
चाची: "हाथ निकालिए ना..कोई देख लेगा"
फूफा: "अर्रे इतनी रात को कॉन उपर आने वाला है"
चाची: "बच्चे देख लेंगे"
फूफा: "अर्रे वो तो गहरी नींद मे सो रहे है"
चाची: "नही प्लीज़ हाथ निकालिए..मुझे शरम आ रही है"
फूफा: "रात मे भी आपको शरम आ रही है"
चाची: "क्यूँ.. रात को क्या लोग बेशरम हो जाते है"
फूफा: "क्यूँ तुम प्रकाश के सामने भी इतना शरमाती हो"
चाची: "उनकी बात और है"
फूफा: "मे भी तो तुम्हारा नंदोई हूँ, मुझसे कैसी शरम"
चाची: "हाथ निकालिए ना.. मुझे बड़ा अजीब लग रहा है"
फूफा: "अजीब..क्या अजीब लग रहा है"
और ये बोलते हुए फूफा ने अपना हाथ और अंदर कर दिया अब वो चाची की चूतर को अछी तरह छू रहे थे. चाची ने फूफा का हाथ पकड़ा हुआ था और चेहरा नीचे झुकाए हुए थी, फूफा बड़े मज़े से चाची की चूतर को दबा रहे थे और उनकी आँखों मे देखने की कोशिस कर रहे थे.
चाची: "मुझे नही पता, अप हाथ निकालिए..तिलक के दिन भी आपने बहुत बदमाशी की थी"
बुआफ़: "तिलक के दिन?..मुझे तो कुछ याद नही की मैने कुछ बदमाशी की थी आपके साथ..आप ही बता दीजिए क्या किया था मैने"
चाची: "उस दिन आपने!!.......मुझे नही कहना"
फूफा: "आरे तुम बताओगि नही तो पता कैसे चलेगा की मैने क्या बदमाशी की थी"
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