RE: Incest Kahani मेरी भुलक्कड़ चाची
मैं किचन मे गया और कुछ देर बाद फूफा, प्रकाश और प्रेम चाचा भी आ गये थे हम सब बैठ कर नाश्ता करने लगे तभी चाची किचन मे आई और चाइ पीने लगी, फूफा तिरछी नज़र से चाची को देख रहे थे चाची भी देख रही थी दोनो मुस्कुरा रहे थे. मैं और प्रकाश चाचा हाथ ढोने के लिए बाहर आए तभी मैने देखा फूफा कुछ चाची को इशारा कर रहे है पर चाची कुछ समझ नही पा रही थी फिर फूफा भी बाहर आए, चाचा और फूफा कुछ बाते कर रहे थे. तभी चाची वहाँ आई और चाचा से कहने लगी "आप शाम मे कब तक आज़ाओगे?"
प्रकाश चाचा: "कुछ ठीक नही है..रात हो जाएगी, क्यूँ कुछ काम था"
चाची: "नही...कुछ बाज़ार से समान मंगाना था"
प्रकाश चाचा: "तो ठीक है देदो मे आते वक़्त ले आउन्गा"
चाची: "रहने दीजिए मे किसी और से मॅंगा लूँगी"
फूफा: "क्या लाना है मुझे बता दीजिए मे ले आता हूँ"
प्रकाश चाचा: "हाँ...राजेश जी भी बाज़ार जाने वाले है, इन्हे देदो ये ले आएँगे"
फिर प्रकाश चाचा और फूफा दालान मे चले गये, मैं समझ गया आज दोपहर मे चाचा नही है, फिर तो फूफा आज ज़रूर मज़े करेंगे. उनके जाते ही भूरा आया और चाची को नाश्ते के लिए बोला.
चाची:" भूरा नाश्ता करके ज़रा ये चावल की बोरी छत पर पहुँचा दे!"
भूरा:" जी मालकिन"
चाची: "और हां...अभी तू कहीं जाना मत थोड़ा छत पर काम है, कपड़े सुखाने है और थोड़ा कमरे की सफाई करनी है"
भूरा: "ठीक है मालकिन मे कर दूँगा"
इतना बोलते हुए चाची नाश्ता लाने अंदर चली गयी, भूरा वही आँगन मे बैठ गया जब चाची नाश्ता देने के लिए झुकी उनकी चूंचिया नीचे लटक गयी ये देख कर भूरा की आँखे बड़ी हो गयी. नाश्ता करने के बाद भूरा ने चाची को आवाज़ दी "छोटी मालकिन ये बोरी कहाँ रख ना है?" चाची: "कमाल के कमरे मे रखना". भूरा ने बोरी उठाई और उपर ले गया चाची भी कपड़े की बाल्टी लिए उपर आ गयी, ये देखते ही भूरा ने बाल्टी चाची के हाथ से ली और छत पर चला गया. चाची कपड़े सुखाने लगी, भूरा वही खड़ा था और चाची के बदन को घूर रहा था, चाची ने सारी थोड़ी उपर चढ़ा रखा था जिनसे उनके गोरे गोरे पैर साफ दिख रहे थे चाची जब जब कपड़े लेने के लिए नीचे झुकती भूरा अपना लंड सहलाने लगता, पानी लगने की वजह से चाची की ब्लाउज थोड़ी गीली हो गयी और निपल दिख रहे थे. भूरा बड़े मज़े से ये सब देख रहा था तभी चाची बोली "भूरा जाके नीचे के दोनो कमरे साफ कर्दे" भूरा बोला "और कुछ काम है मालकिन" चाची बोली " नही तू जा मैं ये कपड़े सूखा लूँगी".
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