RE: Incest Kahani मेरी भुलक्कड़ चाची
गतान्क से आगे..............
फूफा: “अर्रे हमने तो सारा घर ढूँढ लिया और आप यहाँ बैठी हैं”
चाची: “क्यूँ ऐसा भी क्या ज़रूरी काम आ गया था कि हमे ढूंड रहे थे”
फूफा: “यही बताउ या फिर कहीं और चलें?”
चाची: “यहीं बता दीजिए”
फूफा: “ठीक है”
चाची: “उ माआ..... क्या कर रहे है आप, कोई ऐसे दबाता है, मेरी तो जान ही निकाल देते हो...जाइए मे आपसे बात नही करती”
फूफा: “तुम तो बहुत जल्दी नाराज़ हो जाती हो, अच्छा बताओ दोपहर मे कहाँ मिलॉगी”
चाची: “नही...मुझे आज बहुत काम है”
फूफा: “ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी”
चाची: “आअहह...ये क्या कर रहे हो... कोई आ जाएगा दरवाज़ा खुला है....आअहह अऔच दर्द हो रहा है छोड़ो ना!”
फूफा: “पहले वादा करो दोपहर मे आओगी”
चाची: “नही..”
फूफा: “ठीक है..”
मैने सोचा क्यूँ ना थोड़ा देखा जाए क्या हो रहा है पर डर भी लग रहा था. मे दीवार से चिपकते हुए दरवाज़े के अंदर देखने लगा. चाची बिस्तर पर लेटी हुई थी और फूफा एक हाथ से चाची के चूंचियों को दबा रहे थे और दूसरे हाथ से सारी उपर कर रहे थे. चाची तुरंत खड़ी हो गयी और कपड़े ठीक करने लगी, फूफा ने चाची को पीछे से पकड़ा और उनके गालो पर किस करने लगे, तभी चाची बोली “छोड़िए ना...ठीक है मे दोपहर मे आ जायूंगी, अब तो छोड़िए”
फूफा: “ये हुई ना बात..”
चाची: “पर कहाँ?”
फूफा: “यही पर... तुम्हारे कमरे मे”
चाची: “नही नही दीदी (मेरी मा) दोपहर मे यही सोती है”
फूफा: “तो ठीक है मेरे कमरे मे आ जाना”
चाची: “नही नही वहाँ पर कोई ना कोई आता जाता रहता है”
फूफा: “फिर कहाँ?”
चाची: “एक काम करो मे जब मे जूटन (वेस्ट फुड) डालने दालान मे आउन्गि तो तुम मुझे वही मिलना”
फूफा: “दालान मे?”
चाची: “हां....वहाँ जो आखरी वाला कमरा है जिसमे जानवरों के लिए घास रखी है वही पर”
फूफा: “पर वहाँ तो भूरा होगा ना”
चाची: “नही होगा मे उस बाज़ार भेज रही हूँ, कुछ घर के लिए समान लाने के लिए”
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