RE: Incest Kahani मेरी भुलक्कड़ चाची
फूफा: “तो कितने बजे आओगी”
चाची: “कुछ बोल नही सकती, पर तुम 2.30 बजे के करीब दालान मे ही रहना”
फूफा: “ठीक है”
मैं सोच मे पड़ गया, कि मे उस कमरे मे ये सब देखूँगा कैसे क्यूँ कि उस कमरे मे कोई खिड़की नही थी. काफ़ी देर सोचने के बाद मुझे याद आया कि उस कमरे मे उपर की तरफ एक जगह है जहा पर काफ़ी अंधेरा है और बहुत सारे वेस्ट समान पड़े है, मे वहाँ आराम से बैठ कर ये सब देख सकता हूँ वो जगह मैने छुपा छुपी (हाइड & सीक) खेलते वक़्त ढूंढी थी, पर उपर जाने की लिए मुझे सीढ़ी (स्टेर) की ज़रूरत थी मैं तुरंत गया और दालान मे रखी लकड़ी की सीढ़ी वहाँ लगा आया और पूरी तरह देख लिया कि मे वहाँ महफूज़ हूँ कि नही.
दोपहर का समय था इसीलिए घर मे काफ़ी सन्नाटा था, मे गेस्ट रूम मे जा कर बैठ गया, कुछ देर बात फूफा वहाँ आए और लेट गये ह्मने कुछ देर बाते की फिर फूफा सोने लगे मे वहाँ से उठा और दरवाज़े पर रखी चेर पर बैठ गया वहाँ से किचन और आँगन दिखता था. तकरीबन 3 बज गये थे तभी मे चाची को आते देखा उनके हाथ मे एक बाल्टी थी जिसमे झूतान भरा हुआ था, मे तुरंत दबे पैर वहाँ से निकला और दालान के आखरी वाले कमरे मे उपर जा कर छुप गया. 5मिनट. बाद चाची अंदर आई और बाल्टी नीचे रख कर यहाँ वहाँ देखने लगी तभी फूफा भी अंदर आ गये और दरवाज़ा बंद कर लिया और तुरंत एक दूसरे से लिपट गये और किस करने लगे ऐसा लग रहा था कि जैसे वो सालो के बाद मिल रहे है. फूफा ने चाची की सारी को उपर कर दिया और चूतर को मसल्ने लगे, चाची भी जोश मे किस करने लगी, 2, 3 मिनट. बाद फूफा बोले “कोमल लंड चुसोगी?”
चाची: “छीई... नही मैने कभी पहले नही लिया”
फूफा: “अर्रे एक बार लेके तो देखो बड़ा मज़ा आएगा”
चाची: “ना बाबा...मैं नही लेती मूह मे...कोई भला मूह मे भी लेता है”
फूफा: “अर्रे औरते तो को तो लंड चूसने मे बड़ा मज़ा आता है, कमल भी चुस्ती है...उसे तो चूत से ज़्यादा मूह मे लेना अच्छा लगता है, तुम भी एक बार ले के देखो...अगर अच्छा नही लगा तो दोबारा मत लेना”
चाची: “नही नही मुझे वॉमिट हो जाएगी”
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