RE: Incest Sex Kahani रिश्तो पर कालिख
रात हो चुकी थी हम सब अपने अपने रूम्स में सोने की कोशिश कर रहे थे...
देर रात किसी को अपने पास पा कर मेरी नींद खुल गयी....नीरा मेरे सीने पर अपना हाथ रख कर सो रही थी....इस वक़्त उसके चेहरे की मासूमियत मेरे दिल को सुकून दे रही थी....ऐसा लग रहा था जैसे में किसी गार्डन में बैठ कर रंग बिरंगे फूलों को निहार रहा हूँ....तभी उसकी एक जुल्फ उसके चेहरे पर आ गयी थी....इस तरह उसकी जुल्फ का चेहरे पर आना मुझे ऐसा लग रहा था जैसे पूर्णिमा के चाँद के सामने एक छोटा सा काला बादल आ गया हो...
मैने अपनी एक उंगली से उसकी जुल्फ को उसके कानो के पीछे दबा दिया....मेरे इस तरह से करने से नीरा की आँखे खुल गयी....उसकी आँखे किसी बड़ी झील की तरह शांत लग रही थी इस समय....
नीरा--ऐसे क्यो देख रहे हो मुझे....
में--क्या करूँ तुझे इस तरह प्यार से मेरे पास सोता हुआ पाकर में तुझे देखने से खुद को रोक नही पाया....
नीरा ने अब मुझे कस कर अपने आलिंगन में भर लिया था...उसके बदन की खस्बू मेरी सांसो में समाने लग रही थी....
में--तू यहाँ कब आई....
नीरा--मुझे नींद नही आ रही थी तो सोचा थोड़ी देर आपसे बाते करलूँ लेकिन यहाँ आपको सोते देख कर में भी आपके पास ही सो गयी....
में उसके माथे पर किस करते हुए....उसकी पीठ पर हाथ फिराने लग जाता हूँ...
नीरा--आप मुझ से कितना प्यार करते हो....
मैने उसकी इस बात का कोई जवाब नही दिया...और में उसके गले पर किस करने लग जाता हूँ....
नीरा--सुनो ना.....क्यो तंग कर रहे हो आप मुझे....पहले मुझे मेरे सवाल का जवाब दो उसके बाद में आपको कुछ भी करने से नही रोकूंगी.....
में--कुछ भी करने से???
नीरा--मेरी हर साँस पर आपका अधिकार है....मेरे जिस्म का रोम रोम आपके अंदर समा जाना चाहता है....क्या आप भी ऐसा महसूस करते हो.....बताओ ना कितना प्यार करते हो मुझसे....
में--तू जान है मेरी...में तुझे पाने के लिए किसी भी हद तक चला जाउन्गा....में कैसे बताऊ तुझे में कितना प्यार करता हूँ....मुझे खुद भी नही पता....तेरे इस सवाल का जवाब कैसे दूं में....इसके जवाब का ना मुझे कही अंत दिखता है और ना ही शुरुआत....
नीरा ने मेरी ये बात सुनकर मेरे होंठो को अपने होंठो से दबोच लिया.....आज पता नही क्यो में उसे रोक नही पा रहा था किसी भी बात के लिए....मैने भी उसके होंठो का मीठा मीठा रस चूसना शुरू कर दिया.....
काफ़ी देर तक हम एक दूसरे के होंठो को ही चूमते रहे...जब हम दोनो की साँसे उखड़ने लगी तब जाकर हम अलग हुए.....
नीरा--अपनी सांसो पर काबू पाते हुए....पहले मुझे ऐसा लगता था जैसे मैने आपको शादी करने की कसम दे कर ग़लत किया....लेकिन अब मेरे मन से वो सारी बाते चली गयी है....आप मुझे कभी छोड़ना मत वरना में मर जाउन्गि आपके बिना....आप से ही साँसे चलती है मेरी और आपसे ही दिल.....
में--तेरी कसम.....मेरी जान में तुझे कभी खुद से अलग नही करूँगा चाहे इसके लिए मुझे सब कुछ छोड़ना पड़े....
ये कह कर मेने नीरा को अपने अंदर समेट लिया और इसी तरह एक दूसरे की बाहो मे हम दोनो को सोया देख नींद भी अपनी बाहे फैला कर हम दोनो को अपनी बाहो में भर लेती है.....
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