RE: XXX Sex Kahani रंडी की मुहब्बत
वो फिर से गुस्से में आ गई लेकिन इस बार मुझे उसपर गुस्सा नही बल्कि हँसी आयी और मैं हँस पड़ा
“क्या हुआ यू क्या दांत दिखा रहे हो “
“कुछ नही अरे वो इतना बड़ा थोड़ी होता है ,वो तो मेरे कॉपी जितना होगा ,कल आएगा तो देख लेना “
वो अपना मुह बनाने लगी जैसें मैंने उसे चिढ़ा दिया हो
“हा हा जानती हु सब ,फिल्मों में देखा है मैंने सब ,”
“तो तुम फिल्में देखती हो .”
“ह्म्म्म लेकिन बस सलमान और जॉन के “
वो इठलाते हुए बोली ,लगता है जॉन की दीवानी थी इसे पटा कर रखना मेरे लिए आसान होगा ,
“अच्छा सुनो अब मेरी बात ,खाने का पैसा लगेगा ,तुम्हे खाना बनाना आता है ?”
मैंने हा में सर हिलाया
“बढ़िया तो समान ले आना और एक समय का तुम बनाना,मैं बर्तन मांज दूंगी , एक समय का मैं बना दूंगी ,और तुम बर्तन धोना ,और अपना झूठ खुद ही धोना मैं उसे हाथ नही लगाउंगी ,बर्तन है की नही थाली भी तो नही दिख रही है तुम्हारी “
उसने मेरे समान की ओर देखते हुए कहा जिसमे महज एक बेग भर था ,
“ठीक है खरीद के ले आना कल ,और राशन का समान भी मैं लिख के दे दूंगी “
“वो ….वो मेरे पास अभी पैसे नही है ,अगर कल चम्पा मौसी कुछ दी दे तो ले आऊंगा ,वरना महीने के आखिर में तनख्वाह मिलेगी तो …”
मैं डरते हुए कहा ,वो फिर से मुझे घूर कर देखने लगी ,
“ठीक है ठीक है ,अभी के लिए तो हो जाएगा,चलो अभी रात का खाना बनाओ ,कल से कौन से समय का खाना बनाओगे “
“जी सुबह का बना दिया करूँगा “
“हम्म ठीक है ,चलो अभी तो बनाओ देखते है कितना अच्छा बना लेते हो ,नही तो साला कचरा ही खाना पड़ेगा “
मैं उठा और खाना बनाने की तैयारी करने लगा ,भगवान का शुक्र था की मेरे हालात ने मुझे खाना बनाना सीखा दिया था,मेरी माँ अक्सर बीमार रहा करती थी ,इसलिए मुझे सीखना ही पड़ा ,घर का इकलौता बेटा था ,ना कोई बहन ना भाई ,मैं सब्जियां देखने लगा ,फिर रानी की तरफ देखा जो मुझे ध्यान से देख रही थी ,
“क्या बनाऊ ??”
“जो बनाना है बना दे ,चल ऐसा कर भिंडी ही बना दे रोटी के साथ “
मैं भीड़ गया और रानी बाहर जाकर ना जाने किनसे बात करने लगी ,कई औरते कमरे में झांकती और मुझे देखकर हँसती हुई वँहा से निकल जाती और फिर रानी से बात करने लगती उसकी कुछ बाते मेरे कानो में भी पड़ रही थी ,
“अरे रानी ये तो अच्छा नॉकर मिल गया है तुझे “
“अरे मत पूछो मौसी ने गले बांध दिया है साले को ,ऐसे लड़का अच्छा है ,सीधा साधा “
“अरे लड़के कभी अच्छे होते है क्या बच कर रहना साला हुक्म ना चलाने लग जाय,मुफ्त में कुछ करने लगे तो बताना इसकी अच्छी खबर लेंगे “दूसरी औरत ने कहा और सभी हँसने लगे
“अरे ये बेचारा भी हमारे तरह ही तकदीर का मारा होगा,वरना यंहा रहने कौन आता है ,यंहा तो लोग अपनी हवस मिटाने ही आते है …”एक तीसरी महिला की आवाज मेरे कानो में पड़ी जिसकी आवाज से लग रहा था की उसकी उम्र कुछ ज्यादा रही होगी ,उसकी इतना बोलने से ही मुझे अपने यंहा होने का अहसास हुआ की मैं कंहा हु ,मैं इस जगह के बारे में ना अपने किसी दोस्त को बता सकता था ना ही अपने घरवालों को ,इतनी मजबूरी थी की मुझे रंडीखाने में रहना पड़ रहा है ,इसका अहसास होते ही मेरे आंखों में आंसू आ गए और मैं बस उस भिंडी को देखता रह गया जिसे मैंने अभी अभी काटा था………...
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