RE: XXX Sex Kahani रंडी की मुहब्बत
हम उसी टापरी में थे जंहा कल चाय पी रहे थे,संजय सर किन्ही लोगो के सामने हाथ बंधे खड़े थे,मैं उन्हें देखकर तुरंत पहचान गया था वो अविनाश था कालेज का ही नही बल्कि यूनिवर्सिटी का नेता था ..हमने जाकर उसे विश किया और हाथ बंधे संजय सर के साथ ही खड़े हो गए …
अविनाश की नजर हमपर पड़ी ..
“क्या रे छोटे लोग कैसे हो ..”
“बढ़िया है सर ..’
“क्यो बे ..क्या नाम है तेरा ..’उन्होंने मेरे तरफ उंगली की थी
“सर राहुल ..”
“ह्म्म्म फ्रेशर पार्टी में क्यो नही गया था ..तेरे सीनियर तेरी कंप्लेन कर रहे थे ,और एक हाथ क्या मारा किसी ने रोने लगा,मादरचोद तू इंजीनियर बनने आया की झाटु ..”
“सर...वो ..”मैं कुछ बोलने ही वाला था की संजय सर बोल उठे ..
“सर गरीब लड़का है ,रहने के लिए घर भी नही है इसके पास .उसी दिन इसे धर्मशाला वाले भी धक्के मार के भगा दिए थे,पेपर सर पर है और ऐसे में कोई इसे मारे तो बेचारा रोयेगा ही ना..”
अविनाश ने एक बार मुझे घूरा..
“अरे सालो तो मुझे क्यो नही बताया तुम लोगो ने ,तू भी मादरचोद संजय मुझको बड़ा भाई बोलता है और अपने लौंडो की प्रॉब्लम भी नही बताता ,नेता क्या झांट उखड़ने के लिए बना हु मैं..क्यो बे हॉस्टल के लिए अप्लाई नही किया था क्या..”
“किया था सर लेकिन सीट फूल हो गई थी …”
“ह्म्म्म तो अभी कोई जुगड हुआ है की नही ..”
मैं सोच में पड़ गया था की अब क्या बोलूं ..
“हो गया है सर एक जगह नॉकरी कर रहा हु वही रहने को भी जगह मिल गई है ..’
“चल ठीक है तेरा अगले साथ हॉस्टल में जुगड करवा देंगे ...ठीक,मेरे सम्पर्क में रहना ,यंहा साले सब रहीस के चोदे भरे पड़े है,गरीब लोग अगर साथ ना रहे ना तो ये हमे अपनी जूती की धूल भी नही समझेंगे ..क्यो शंभु काका सही कहा ना ..”उसने चाय वाले को कहा
“सही कहात हो भैया आपे तो एक हो जो इन चुतिया मन के गांड फाड़ के रखे हो ..”शंभु अपने पान से रचे दांत दिखाते हुए बोला ..
“और संजय जो बोला उसपर ध्यान दे ,इस बार चुनाव में खड़ा हो जा ..”
अविनाश ने फिर से संजय सर पर ध्यान लगाया ..
“सर मैं यंहा पड़ने आया हु …”अविनाश सर ने उन्हें बड़े प्यार से देखा
‘भोसड़ी के मैं भी यंहा पड़ने ही आया हु ,जानता है ना यूनिवर्सिटी टॉपर हु ,लेकिन फिर भी पॉलिटिक्स में हु जानता है क्यो???क्योकि असली पवार इसी में है बेटा ,इन रहीस के चनों को उनकी औकात में रखने का यही तरीका है और साथ ही अपने भाई बंधुओ की बात रखने का भी ..वरना साला हम जैसे फटे जेब वालो की यंहा पर सुनता कौन है बे...सरकारी कालेज में भी साले पैसा और पवार के बल पर आ गए है भोसड़ी वाले …”
अविनाश दिल का बहुत अच्छा आदमी था,पढ़ने में तेज था.,जात का ब्राम्हण था,गरीब घर का था लेकिन बोलने में तेज था और गली से ही बात करता था ,जब वो किसी बड़े व्यक्ति से बात करता तो उसकी भाषा ही बदल जाती थी ...तेज तर्रार इतना था की यूनिवर्सिटी पॉलिटिक्स में छा गया था और कई बड़े नेताओ से मिलना जुलाना भी था...वो चाहता था की संजय सर भी पॉलिटिक्स में आये लेकिन संजय सर ठहरे गांव के सीधे साधे आदमी जिसे पड़कर अपने घर को सम्हालना था ..
“चल सोचना मेरी बात को ..चलो बे लवडो इलेक्सन आने वाला है और भी तैयारी करनी है …”
वो अपने बुलेट में बैठा और चल दिया साथ ही उसके कुछ दोस्त भी थे …
उसके जाने के बाद संजय सर भी मुस्कुराने लगे …
“क्या हुआ सर क्यो मुस्कुरा रहे हो ..”प्यारे बोल उठा
“कुछ नही यार वक्त भी कैसा बेरहम है साला इतने अच्छे सीधे साधे आदमी को क्या से क्या बना दिया “
“सर मैंने सुना ही जो भी होता है अच्छे के लिए होता है क्या पता नेता बनना भी इनके काम आ जाए “
“हा ये भी है ...तू सुना कैसे बीती कल की रात ..”
संजय सर मुस्कुराए वही प्यारे हँस पड़ा ,मैंने सर को सभी बात बताई ,उन्होंने ध्यान से सुना और एक सेकंड हैंड लेपटॉप का भी जुगड कर दिया …
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