RE: XXX Sex Kahani रंडी की मुहब्बत
काजल के कोमल होठ मेरे होठो में थे,उसके होठो का स्पंदन मेरे दिल की धड़कनों के साथ साथ ही बढ़ने लगे थे,हमे जैसे ही अपने स्तिथि का आभास हुआ हम अलग हुए,काजल शर्म से मुझसे नजर ही नही मिला पा रही थी ,वही स्तिथि मेरी भी थी लेकिन मैं अगल बगल झांकने लगा,काजल के चहरे पर इतना गहरा शर्म मैंने आजतक नही देखा था ,उसकी कोमल आंखे नीची झुकी हुई थी ,होठो में अब भी हल्की हल्की हलचल मालूम पड़ती थी ,इतने दिनों से दोनों के दिल में जो प्यार की लहर चल रही थी वो आज प्रगट हुई थी,आज इस खुसी के मौके पर जब मैंने अनजाने में ही सही लेकिन कुछ ही घंटो में इतना पैसा कमा लिया था,और इसी खुशी में हम फिसल गए..
मैं वंहा से तुरंत ही उठा और बाहर को निकल गया मैं नही चाहता था की मेरे कारण काजल और भी असहज हो जाए …
मैं बाहर खड़ा हुआ नीचे को देख रहा था,मैं अपने को रोकने की बहुत ही कोशिस कर रहा था लेकिन साली जुबान से मुस्कान थी की जा ही नही रही थी,तभी मुझे लगा की कोई मेरे पीछे आकर खड़ा है,
“अब यंहा क्या देख रहे हो ..”
वो काजल ही थी,वो शायद मुझे सहज करने की गरज से यंहा आयी थी ..मैंने उसके चहरे को देखा लगा जैसे आंखों में कुछ नमी हो लेकिन होठो की मुस्कान भी एक अलग ही कहानी कह रही थी,
“कुछ नही बस यही सोच रहा हु की जो हुआ वो …….”मैं आगे नही बोल पाया
“क्या हुआ ??”काजल के चहरे में मासूमियत और आंखों में शरारत ने घर कर लिया था,मैं भी थोड़ा चौका ..
“मतलब..जो अंदर हुआ “
“वही तो पूछ रही हु की क्या हुआ “
उसके होठो में अब मुस्कान साफ साफ दिख रही थी साथ ही आंखों में एक शरारत भी थी,
“बोल के बताऊँ या करके “
मैं भी पीछे थोड़ी ना रहने वाला था,मेरी बात सुनकर वो बुरी तरह शरमाई
“धत्त कुछ भी “
वो बस इतना ही बोलकर मेरे बाजू में आकर खड़ी हो गई ,मैं उसके उस हसीन चहरे को ही देख रहा था,एक बार उसने मुझे देखा और आंखों से ही पूछा की क्या देख रहे हो ,मैंने भी सर हिला कर कह दिया की कुछ नही ..
वो सामने देखने लगी ,कही आसमान में ना जाने वो क्या देख रही थी ,उसके चहरे में आयी हुई मुस्कुराहट धीरे धीरे गुम होने लगी थी,उसका चहरा संजीदा होने लगा था,मैं उसके भाव को पढ़ रहा था,हमारे बीच जो हुआ वो महज एक इत्तेफाक ही तो था लेकिन देखा जाए तो ये कोई इत्तफाक नही था,इतने दिनों से हम साथ थे,हम एक दूसरे को चाहने लगे थे,मन ही मन ही सही लेकिन दोनों को ही पता था की हमारे अंदर क्या चल रहा है,हम इसे दोस्ती का नाम दे रहे थे लेकिन ये दोस्ती से कुछ अलग था,बस इसे व्यक्त करने का एक माध्यम हमे मिल गया था और वो ही हुआ जो होना था,भावनाओ के तूफान ने हमे डुबो दिया था..
काजल का संगीन चहरा देखते ही देखते बदल रहा था,उसके आंखों में कुछ आंसुओ की बूंदे आने लगी थी,उसने मुड़कर मुझे देखा मैं अब भी उसके चहरे को देख रहा था,
मुझे अपनी ओर देखता हुआ पाकर वो थोड़ी हिचकिचाई और आंखों से आंसू को पोछते हुए तुरंत ही अपने कमरे में चली गई ,मैं भी उसके पीछे बढ़ा…
वो कमरे में अपने बिस्तर पर पाव सिकोड़े बैठी थी ,मैंने उससे कुछ भी नही कहा और उसके करीब जाकर बैठ गया…
“जो हुआ वो भूल जाओ राहुल ,सोचो जैसे कुछ हुआ ही नही..”
उसने मुझे देखे बिना ही कहा था
“क्या नही हुआ “मैं उसके होठो में मुस्कान लाने की गरज से बोला,उसने एक बार मुझे देखा और उसके होठो में कोई भी मुस्कान नही थी,उसका चहरा संजीदा ही था..
“यही की हम एक दूसरे से प्यार करते है,ये नही हुआ हमारे बीच ...हम एक दूसरे से प्यार नही कर सकते राहुल ..”
उसके आंखों से जैसे बांध सा टूट गया था,उसके आंसू बहते ही चले गए ..वो अपना सर छिपकर सिसक रही थी..मैं उसके और भी करीब जा चुका था..
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