RE: XXX Sex Kahani रंडी की मुहब्बत
हम दोनों अविनाश की कार से केशरगढ़ के लिए निकल गए थे,साथ ही अविनाश के दो दोस्त भी थे ,राकेश और जॉनी,दोनों की ही छबि एक गुंडे की थी ,लड़ने और मरने मारने में आगे रहते थे शायद इसी लिए अविनाश ने इन्हें अपने साथ रखा था ..
केशरगढ़ प्रकृति की गोद में बसा एक शहर,वहां के सदियों पुराने महल जो की अब खण्डार हो चुके थे बेहद प्रसिद्ध थे साथ ही प्रसिद्ध था वंहा का एक इंसान नाम उनका थोड़ा अजीब था,’डॉ चुन्नीलाल तिवारी यरवदा वाले ‘लोग उन्हें डॉ चूतिया के नाम से जानते थे,पहले वो एक डॉ हुआ करते थे ,सुना था की वो एक जासूस भी थे और अपने जीवन में कई बड़े केस उन्होंने साल्व किये थे,लेकिन अब वो सब छोड़कर केशरगढ़ में जा बसे थे और यंहा लोगो को ज्ञान बाटने के लिए एक आश्रम चलाते थे ,
खैर हमे उनसे क्या हमे तो शकील को ढूंढना था लेकिन मेरे दिल में उनसे मिलने की एक तमन्ना थी शायद वही से कुछ रास्ता मिल जाए ……..
गाड़ी के बड़े घर के पास पहुची हमारा समान घर के नॉकर ने उठाया और उसे अंदर ले गया ,सभी घर के अंदर गए ये अविनाश का घर था ,घर देखकर ही मुझे समझ आ गया था की अविनाश एक बेहद ही अमीर परिवार से तालुक रखता है ,हवेली के जैसा घर था और घर में कई नॉकर चाकर थे ,उसके माता पिता भी बेहद ही मिलनसार थे और जैसे ही उन्हें प्रिया यानी काजल के बारे में पता चला उन्होंने हमे पूरी मदद करने का आश्वासन दिया,
यंहा मुझे काजल के अतीत के बारे में बहुत कुछ जानकारी मिली ,पहली ये की उसके माता पिता का देहांत बहुत पहले हो चुका था और उसके पिता अविनाश के पिता के बहुत अच्छे दोस्त थे इसलिए काजल की परवरिश अविनाश के साथ ही उसके ही घर में हुई थी,दोनों में बहुत ही अच्छी दोस्ती थी वो भाई बहन के जैसे एक दूसरे को प्यार करते थे ,जब वो जवान हुए तो अविनाश के जीवन में एक लड़की आई जिसका नाम काजल था,अविनाश के पैसों की लालच में उसने अविनाश को फसाया था,और प्रिया की अच्छी दोस्त बन गई ,लेकिन बाद में इन्हें पता चला की वो किसी और की मासूका है...आगे क्या हुआ ये तो शकील और काजल ही जानते है लेकिन इन बातो से मुझे ये जरूर समझ आ गया था की अविनाश के लिए काजल की क्या अहमियत थी…
आज भी अविनाश के घर में काजल के बचपन से जवानी तक के फ़ोटो थे उन्हेंने उसे ढूंढने की भी बहुत कोशिस की लेकिन उनकी प्रिया कही नही मिली ,और अब जब वो मिली तो फिर से ये घटना हो गई ……..
हम दोपहर में ही केशरगढ़ पहुच चुके थे और शाम से ही हम शकील का ठिकाना ढूंढने निकल पड़े ,पुलिस स्टेशन से उसके पुराने क्रिमिनल रिकार्ड निकलवाये और शकिल के जितने पुराने दोस्त थे उन्हें टारगेट किया ,वंहा का इंस्पेक्टर भी हमारे साथ था अविनाश के पिता की यंहा अच्छी चलती थी शायद इसलिए इंस्पेक्टर भी हमारी पर्सनली मदद करने को राजी हो गया था ,रात तक हमारे पास पूरी जानकारी थी ,अब बात थी की उन ठिकानों पर छापे मारना,हमने तीन टीम बनाई एक में मैं ,इंस्पेक्टर और कुछ सिपाही थे,दूसरे में अविनाश और कुछ सिपाही थे और तीसरे में राकेश ,जॉनी और कुछ सिपाही थे ,तीनो टीम को एक साथ अलग अलग जगहों में छापा मरना था जंहा से जो भी मिले उसकी जानकारी वाकी टोकि के द्वारा हम सभी टीमो तक पहुचा सकते थे ,
हमने पूरी रात छापे मारे,शकील के सभी पुराने दोस्त या सहयोगी हमारी गिरफ्त में थे लेकिन शकील और काजल का कही कुछ भी पता नही लगा ना ही ये पता लगा की शकील यंहा आया है या किसी को लाया है …….
सुबह के 5 बज चुके थे जब सभी टीम फिर से पुलिस स्टेशन में इकट्ठा हुई ……
“ये ऐसी तो कुछ नही बताएंगे 3rd डिग्री देना पड़ेगा सालों को फिर मुह खोलेंगे “
अविनाश ने इंस्पेक्टर को देखते हुए कहा,हमने कुछ लोगो को गिरफ्तार भी कर लिया था जो शकील के खास सहयोगी हुआ करते थे …
“हा लेकिन तिवारी साहब शकील कई साल पहले यंहा से जा चुका है मुझे नही लगता की इन लोगो से उसका कोई संपर्क रहा होगा…”
इंस्पेक्टर ने अविनाश से कहा
“कोई कितनी भी दूर क्यो आ चले जाए अपने बचपन के दोस्तो और सहयोगियों से अलग नही रह सकता,और शकील तो ऐसे बिजनेस में था की उसे इन जैसे चोर उचक्कों की जरूरत पड़ते ही रहती होगी,ट्राई करने में हर्ज ही क्या है “
अविनाश ने इंस्पेक्टर को मना ही लिया और फिर शुरू हुई कुटाई ,,,
और एक दो लोगो ने शकील से कनेक्शन होनी की बात भी कबूल ली,फिर हुई और कुटाई ,और आखिर 3-4 घण्टो की महेनत के बाद एक ने अपना मुह खोला …
“शकील भाई का सुबह फोन आया था की वो केशरगढ़ आये यही और उन्हें छिपने की जगह चाहिए लेकिन केशरगढ़ से बाहर ,वो जानते थे की अगर पुलिस उन्ह ढूंढेगी तो वो कभी ना कभी यंहा जरूर पहुचेगी इसलिए वो यंहा नही रहना चाहते थे,उन्होंने अपनी गाड़ी यंहा ठिकाने लगाई और दूसरी गाड़ी लेकर निकले,सच कह रहा हु साहब हमे नही पता की वो कहा गए लेकिन वो जंगल की तरफ बड़े है …”
उसने रोते रोते कहा
“अच्छा तो वो कितने लोग थे “
“नही पता साहब वो तो गाड़ी लेने अकेले ही आये थे शायद वो नही चाहते थे की उनके साथ कौन कौन आया है उसकी हमे भनक भी लगे ,वो उन लोगो को किसी दूसरी जगह छोड़ कर आये थे ….”
उस आदमी के कबूलनामें के बाद हमारे लिए चीजे थोड़ी और सुलझ गई थी ,हमे उस गाड़ी का नंबर पता था जिसमे वो भागा था,इंस्पेक्टर ने आस पास के थानों में बात की और घेरा बंदी की बात कह दी साथ ही उस गाड़ी का पता लगाने की बात कही ,सभी लोग बहुत थक चुके थे लेकिन सच बताऊँ तो मेरे और अविनाश के चहरे से थकान जैसी कोई भी चीज कोसो दूर थी …
“हमे जंगलों की तरफ निकलना चाहिए ,हम यंहा यू की नही बैठ सकते”
मैं बोल उठा ,इंस्पेक्टर ने मुझे एक अजीब निगाह से देखा
“उन लोगो के पास हथियार हो सकता है,अगर वो मिल भी गए तो तुम 4 लोग उनका क्या ही बिगड़ लोगे “
“जितना मुझे पता है शकील के साथ 8 से ज्यादा आदमी नही हो सकते और हमारे पास ही हथियार है हम उनसे निपट लेंगे क्यो अविनाश “
मैंने वो माउजर इंस्पेक्टर को दिखाई जो अविनाश ने मुझे दी थी ,अविनाश ने भी मेरी बात पर सहमति जताई ,
“घर चलते है कुछ समान और रख लेते है और फिर निकलनेगे “
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