RE: XXX Sex Kahani रंडी की मुहब्बत
फिर से सुबह हुई हम अविनाश के घर में थे ,सुबह ही हमारे मोबाइल पे उसी नंबर से फिर से एक वीडियो आ गया था ,आवाज अब भी शकील की ही थी ,कोई लड़का काजल के मुह में अपना लिंग जबरदस्ती डाले हुए उसके बालो को अपनी ओर खिंच रहा था…
“ढूंढो चुतियो ढूंढो इसे बहुत गुमान था ना तुम्हे अपने प्यार पर अब देखो मैं कैसे इसे असली रंडी बनाता हु ,”
वो दरिंदगी से भरा हुआ हँस रहा था,मैंने काजल की आंखों में देखा एक आंसू उसके आंखों में ठहर गया था वो बह तो नही रहा था लेकिन गिर भी नही रहा था,मेरे दिल में एक जोरो की टीस उठी ,ऐसा लगा की अभी उस कुत्ते को जान से मार दु लेकिन …..
लेकिन वो मेरी पहुच के बाहर था …..
मैं और अविनाश नाश्ता करके डॉ चूतिया के आश्रम की ओर बढ़ गए …
एक दम शांति ,इतनी शांति मैंने अपने जीवन में महसूस नही की थी ….नही नही काजल के गोद में मुझे इतनी शांति मिलती थी..
लोग यंहा वंहा ध्यान में बैठे हुए थे,हम डॉ को ढूंढते हुए आगे बड़े और के पेड़ के नीचे कुछ लोगो के साथ वो ध्यान में बैठे हुए मिल गए ….
हम भी जाकर उसी भीड़ के साथ बैठ गए ,थोड़ी देर बाद जब सब उठकर जाने लगे तो डॉ की नजर अविनाश पर पड़ी …
उन्होंने हम दोनों को अपने पास बुलाया …
“तुम तिवारी जी के बेटे हो ना “
“जी ..”
“तुम्हारे पिता जी से मेरे अच्छे संबंध है वो यंहा आते रहते है,मुझे पता चला उस लड़की के बारे में बहुत दुख हुआ “
डॉ की नजर मुझपर पड़ी ,उन्होंने मेरे बारे में पूछा और हमने उन्हें शुरू से लेकर अंतिम तक सभी बातें बता दी ,कैसे मैं काजल से मिला ,कैसे शकील ने मुझे अपने अपने पास बुलाया,कैसे काजल और मैं प्यार में पड़ गए और कैसे मैंने उसे अविनाश के मदद से शकील के चुंगल से बाहर निकाला ,कैसे मैं डार्क वेब में गया और कैसे शकील और मुझे लूट लिया गया,हमने ये भी बता दिया की हमने शकील को ढूंढ लिया लेकिन काजल उसके पास नही थी और शकील को जान से मार दिया ….
डॉ सब कुछ शांति से सुनते रहे फिर मेरी ओर मुड़े…
“तुम्हे अगर प्रीति उर्फ काजल को ढूंढना है तो पहले तुम्हे खुद को शांत करना होगा,जब कुछ समझ नही आये तो कुछ सोचने से अच्छा है की अपने दिमाग को शांत कर लिया जाए ,अभी के केस में यही हो रहा है ,कोई भी क्लू तुम्हारे पास नही है ,किसने किया होगा क्यो किया होगा कुछ भी नही पता,तो आंखे बंद करो और खुद को शांत करो ,शुरू से सोचो की क्या हुआ था शायद कही ना कही कोई ना कोई घटना ऐसी हुई होगी जिसे तुम मिस कर रहे हो ….हर कड़ी को ढूंढो और शुरू से शुरू करो ……”
अविनाश और मैं दोनों ने आंखे बंद कर लिए और डॉ के कहे अनुसार अपने सांसों पर ध्यान लगाने लगे,धीरे धीरे मन शांत होने लगा ऐसा लगा जैसे सदियों का बोझ मिट गया हो…
मन अपने गहराई में गोते खा रहा था कई चीजे दिमाग में घूम रही थी एक के बाद काजल के साथ बिताए हुए लम्हे सामने आ रहे थे ,कुछ भी खोजने का प्रयास नही किया जा रहा था बस चीजे आ रही थी बार बार दिमाग में आ रही थी जा रही थी ……
मुझे वो रंडीखाना दिखा और उसमें दिखी हंसती हुई काजल साथ ही शबनम मौसी बनवारी ……….
मैंने झट से आंखे खोली…
“मुझे एकबार फिर से वही जाना होगा जंहा से मैंने और काजल ने शुरुवात की थी “
डॉ अब मेरे सामने नही थे ना ही अविनाश ही था ,मैं कितने देर तक बैठा रहा मुझे पता नही लेकिन जब मैंने इधर उधर देखा तो डॉ को कुछ लोगो से बात करता पाया वही अविनाश एक कृत्रिम झील के पास बैठा हुआ उसे निहार रहा था.मैं उसतक पहुचा और उसके कंधे में हाथ रखा …..
उसने मुड़कर मुझे देखा और जोरो से रो पड़ा..
“सब मेरी गलती है राहुल सब कुछ मेरी ही गलती है ...मेरे ही कारण प्रिया को इतने कष्ट झेलने पड़ रहे है ,ना ही मैं उस रंडी काजल के प्यार में पड़ता और ना ही शकील प्रिया को अपने जाल में फंसा पता ..”जो रोता हुआ मेरे सीने से लग गया...मैंने पहली बार इस शख्स को इतना टूटा हुआ देख रहा था,शायद हम दोनों ही प्रिया उर्फ काजल के सबसे बड़े मुजरिम थे,उसने हम दोनों से ही बहुत उम्मीद की हम दोनों से ही प्यार किया और हम दोनों की गलती के कारण उसे दुख देखने पड़े ,एक की गलती ने उसे शकील के चुंगल में फंसा दिया और मेरी गलती ने उसे फिर से उसी नरक में झोंक दिया ...अविनाष के इस प्रकार के व्यवहार से मेरे आंखों में भी पानी आ गया था ……….
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