RE: XXX Sex Kahani रंडी की मुहब्बत
अध्याय 38
इंस्पेक्टर बड़े ही रौब के साथ हमारे पास आ रहा था वही मुखिया ने मुस्कुराते हुए कहा,
“अरे हरिया ,साले भीखमंगे की औलाद के पास इतना पैसा कहा से आया रे,तेरा बेटा चोर है पता नही साले ने इतना पैसा कहा से कमाया है अभी जब स्टेशन में ले जाकर डंडे पड़ेंगे तो सब उगलेगा”
मुखिया की बात से मेरे पिता बुरी तरह से डर गए थे,वही इंस्पेक्टर आकर मेरे कॉलर को पकड़ चुका था ..
मेरे पिता के मुह से निकल गया
“मालिक…”
लेकिन वो कुछ और बोल पाते उससे पहले ही अविनाश ने उन्हें चुप करवा दिया और खुद बोलने लगा
“ये इंस्पेक्टर तू सरकार की खाता है या इस मुखिया का कुत्ता है ,जो इसकी एक बात पर यंहा दुम हिलाता हुआ चला आया..”
इंस्पेक्टर मेरा कॉलर छोड़ अविनाश की ओर मुड़ा वो अविनाश की बात से भन्ना गया था ….
“ये शहरी लड़के साले ज्यादा जुबान चल रही है तेरी... “
इंस्पेक्टर कुछ और बोलता उससे पहले ही अविनाश गरजा
“चुप कर भोसडीवाले तेरे जैसे दो कौड़ी के इंस्पेक्टर से डरेंगे हम लोग ,साले अपनी औकात में रह कर बात कर तू जानता नही तूने किसपर हाथ लगाया है ,जिसका तूने कॉलर पकड़ा है ना वो मेरा भाई है ,और मैं तेरा बाप हु ,रुक साले …”
अविनाश ने तुरंत ही अपना मोबाइल निकाला और किसी को फोन लगाने लगा,इंस्पेक्टर को जैसे सांप ही सूंघ लिया था,अविनाश ने चीजे इतने कांफिडेंस के साथ बोली थी की उसकी भी फटने लगी थी ,वही मुखिया भी मुह खोले सब देख रहा था,मुखिया ही क्यो सारे गांववाले भी अपना मुह फाड़े हुए थे…
“हैल्लो हा मंत्री जी ,हा मैं ठीक हु दोस्त के साथ गांव आया था,जी ,असल में एक इंपेक्टर मेरे दोस्त के साथ बत्तमीजी कर रहा है ,...जी ..ठीक है लीजिए बात कीजिये “
अविनाश ने फोन इंस्पेक्टर के सामने कर दिया ..
“ले गृहमंत्री है बात कर “
गृहमंत्री का नाम सुनकर वो कांपने लग गया था ..
“मुझे माफ कर दो सर “
वो गिड़गिड़ाया
“अरे बात कर साले “
अविनाश फिर से उसके ऊपर भड़का और उसने कांपते हुए हाथो से फोन पकड़ा
“जी ..जी सर ..समझ गया सर...सॉरी सर ...ओके सर ..ओके सर ..”
बात करके उसने फोन अविनाश को पकड़ा दिया और अपने माथे में आया हुआ पसीना पोंछा ..और सीधे अविनाश एक पैरों में गिर गया
“सर गलती हो गई माफ कर दीजिए मैं इस मुखिया की बातों में आ गया था,इसने ही कहा था की बहुत गरीब घर का लड़का है और इतने पैसे इतने कम समय में कमाया है तो जरूर कोई गलत काम किया हुआ इसने शायद कोई कोई बैक वगेरह लुटा हो या कोई बड़ा घोटाला ,नही पता था सर की आप लोग तो इतने पहुचे हुए लोग हो “
अविनाश ने उसे उसकी बांहे पकड़कर उठाया …
“कोई बात नही लेकिन गरीबो का माजक बनाना बंद कर दो तुमलोग ,और ये मुखिया तुझे लगता है इसने जो पैसे कमाए है वो सब इसकी मेहनत के है ,जांच करवाऊं क्या ,पता चल जाएगा की इसने कितने काले कारनामे किये है “
मुखिया के चहरे का रंग ही उड़ गया वो सीधा मेरे पिता के पैरों में गिर गया
“मुझे माफ कर दो हरिया,गलती हो गई ..”
उसकी इस दशा को देखकर मेरे होठो में मुस्कान आ गई लेकिन मेरे पिता तो ठहरे गांव के भोले आदमी
“नही मालिक ये आप क्या कर रहे हो ,आप तो मालिक हो आप तो हमारे अन्नदाता हो ‘
उनकी बात सुनकर मेरी नजर अविनाश पर पड़ी वो आंखों ही आंखों में मुझे इशारा किया जैसे कह रहा हो ‘ये नही सुधरेंगे ‘
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रात गई बात गई और हम शहर के लिए निकल पड़े ,मा पिता जी के आने के बाद मैंने अपने दो मंजिला घर का उद्घाटन किया और फिर शुरू हो गई मेरी शादी के तैयारियां,हमने प्लान किया था की पहले शादी कोर्ट में करेंगे फिर एक रिसेप्शन शहर में फिर जब गांव का घर बन जाए तो फिर वंहा रीति रिवाज से फिर से शादी करेंगे ..
काजल खुश थी बहुत ही खुश थी ,मैं भी खुश था,काम भी अच्छे से चल रहा था ,शादी की तारीख भी पास आ रही थी ..काजल अभी तरुणा के साथ ही रहती थी लेकिन अधिकतर समय हमारे घर में ही बिताती थी,वही अविनाश भी होस्टल नही छोड़ना चाहता था उसी की वजह से तो वो नेता बना था,मेरे दोस्त भी हमारे घर आते जाते रहते थे,
मेरे माता पिता भी शहर के वातावरण के साथ होतदे कंफरटेबल हो रहे थे,वो आसपास घूमने जाते ,बाजार जाय करते और पास के ही पार्क में बैठा करते सब कुछ ठीक चल रहा था,वो मेरे साथ यंहा रहने को भी राजी हो गए थे लेकिन कहते है ना की जब किस्मत में लगे हो लौड़े तो कहा से मिलेंगे पकोड़े ……….
माँ पिता जी एक दिन शाम गार्डन से घूम कर आये लेकिन इस बार उनका चहरा उतरा हुआ था वो बेहद ही दुखी लग रहे थे…
“क्या हुआ माँ ऐसे क्यो मुह उतार कर रखे हो “
मैं माजक में उनसे बोला
“बेटा ..”
माँ की आवाज कांप रही थी जैसे वो कुछ कहना तो चाहती थी लेकिन कह नही पा रही थी …
क्या हुआ मा..मुझे भी उनकी आवाज से बात की गहरी का आभास हुआ ,मैं उनके साथ सोफे में बैठ गया ..
“वो बेटा …”
वो फिर से बोलने को हुई लेकिन कुछ नही बोल पाई
“हा बोलो ना “
उन्होंने पिता जी की ओर देखा ,मैंने भी उनकी ओर देखा ,उनका चहरा मानो गुस्से से धधक रहा था ..
“क्या हुआ पिता जी “
अब मुझे भी डर लगने लगा था ,उन्होंने एक बार मुझे देखा जैसे आंखों में आग लिए हो ,मैं बुरी तरह से डर गया था
“क्या सर रही हो इससे बोल दो ना “
उन्होंने मा को देखा लेकिन वो कुछ नही बोल पाई बल्कि उनके आंखों में आंसू जरूर आ गए मैं बेहद ही असमंजस के भाव से दोनों को देख रहा था ..
“तेरी माँ और मैंने ये फैसला किया है की काजल से तेरी शादी नही हो सकती “
“क्या ???”
ऐसा लगा जैसे कोई आसमान ही मेरे ऊपर टूट पड़ा हो .
‘ये...ये आप लोग क्या कह रहे हो ..”मेरी आवाज लड़खड़ा रही थी
“हम सही कह रहे है ,हम इतने भी बेगैरत नही है की एक जिस्म बेचने वाली से अपने बेटे की शादी करवा दे “
पिता जी की बात से मैं बुरी तरह से चौका था की एक आहट ने मुझे और भी जोरो से चौका दिया था ,दरवाजे पर काजल खड़ी थी ,उसकी आंखों में आंसू था और चहरे में बेहद ही गहरे दर्द का भाव ..
“काजल ‘
मैं कुछ बोल पाता उससे पहले ही वो मुड़ी और भागी,मैं उसकी ओर भागने ही वाला था की किसी के हाथ ने मेरे हाथो को थाम लिया ,वो मेरे पिता जी थे…..उनकी आंखे अब भी जल रही थी और साफ साफ बता रही थी की वो क्या चाहते है ,वो नही चाहते थे की मैं काजल के पीछे जाऊ,
एक ओर वो लोग थे जिन्होंने मुझे अपना पेट काटकर पढ़ाया लिखाया था जो मेरे लिए देवता के समान थे तो दूसरी ओर मेरी काजल थी जिसके कारण ही तो इस मुकाम में पहुच पाया था,जो मेरा प्यार थी मेरा सहारा थी मैं बस इसी असमंजस में फंसा हुआ बस कभी दरवाजे को देख रहा था तो कभी अपने मा बाप को …………….
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