RE: Behan Sex Kahani मेरी प्यारी दीदी
रात हो चुकी थी इतने मैं घर पे दिनेश अंकल आ गए मम्मी ने कहा "नमस्ते भाई साहब केसे आना हुआ" तो उन्होंने कहा की " भाभी मुझे इन्टरनेट पे कुछ काम था थोड़ी देर का अब मुझे तो यूज़ करना आता नहीं है तो सोचा की प्रीती की हेल्प ले लू " मम्मी ने कहा हा हा क्यू नहीं "प्रीती जरा यहाँ आना दिनेश अंकल की हेल्प कर दे थोड़ी " दीदी आई अंकल को नमस्ते किया और लैपटॉप लेने अंदर चली गयी दीदी ने अंदर रूम मैं मुझे बुलाया और कहा की " सोनू जब मैं अंकल के साथ बैठू तो तू भी मेरे साथ बैठ जाना हमारे बीच में " मैं समझ गया की दीदी एसा क्यों कह रही ताकि अंकल वापस कुछ छेड़खानी ना करे दीदी के यहाँ वहां हाथ न लगाये मैंने कहा "हाँ दीदी " दीदी लैपटॉप लेके ड्राइंग रूम मे आयी और सोफे पे बैठ गयी और सामने की टेबल पे लैपटॉप रख दिया जब उसे ओन किया तो वो ओन नहीं हुआ दीदी ने देखा की लैपटॉप की बैटरी ख़तम हो गयी थी उन्होंने चार्जर लगाया और लैपटॉप ओन किया मैं आके अंकल और दीदी के बीच मैं बैठ गया दीदी बिलकुल मुझसे चिपक के बैठी थी उनकी जांघ मेरी जांघ से टच हो रही थी दीदी ने वाइट कलर का लम्बा और ढीला कुरता और पटियाला सलवार पेहेन रखी थी ब्लैक कलर की दीदी की सलवार बहुत पतली थी बहुत सेक्सी लग रही थी दीदी लम्बे बालो को क्लिप से बाँधा हुआ फेस पे स्पेक्ट्स और कुरता और पटियाला सलवार
मुझे दीदी के बदन की धीमी 2 खुशबु आ रही थी और उनकी जांघ की टचिंग से मेरा लंड खड़ा हो गया था इतने में लाइट चली गयी और लैपटॉप फिर से बंद हो गया पूरे घर में अँधेरा हो गया मम्मी ने कहा "सब जहा बठे हो वही रहना मैं टोर्च लाती हु " मेरे दिमाग मैं दीदी की chats घूम गयी केसे दीदी की गांड पे जीजू ने हाथ फेरा था जब लाइट गयी थी अगर मैं भी हाथ फेर लू तो दीदी तो यही सोचेगी की दिनेश कर रहा है मैंने दीदी की जांघ पे हाथ फेरा दीदी ने कोई हरकत नहीं की फिर मैंने दीदी के बोबो पे हाथ फेरा उनके कुर्ते के ऊपर से उन्हें दबाया दीदी के मुंह से आह की आवाज निकली मेरा लंड टाइट हो गया आज पहली बार मैंने अपनी दीदी के कोमल बोबो को छुहा था जिनकी वजह से मैं इतना तडपा था आज वो मेरे हाथ मे थे मैंने दीदी के बोबो को सहलाया उन्हें दबाया 1 दम से दीदी के मुह से मीठी सी सिसकी निकली और उन्होंने अपना हाथ मेरी जांघ पे रखा दिया मुझे पता था की दीदी को एहसास ही नही है की उनका छोटा भाई ही उनके बोबे दबा रहा है मैंने दीदी के बोबे दबाते हुए दीदी से पुछा " क्या हुआ दीदी " दीदी ने कहा " कुछ नहीं सोनू " फिर मेने दीदी के कुर्ते को थोडा ऊपर किया और अपना हाथ दीदी के कुर्ते के अंदर डाला और उनकी ब्रा पे से उनके बोबे दबाने लगा उन्हें मसलने लगा कितने मस्त बोबे थे मेरी बेहेन के बिलकुल टाइट मोटे 2 मैंने उनके दोनों बोबो पे अपना हाथ फेरा उन्हें सहलाया उन्हें दबाया मेरा लंड अपनी मस्ती मैं फुल टाइट खड़ा था दीदी के बोबे दबाते 2 मुझे एहसास हुआ की दीदी की धड़कने बहुत तेज़ चल रही थी
फिर मैंने 1 हाथ से दीदी की ब्रा के कप को नीचे कर दिया और उनका 1 बोबा पूरा नंगा हो गया मैंने उस नंगे बोबे पे अपना हाथ फेरा कितना नरम और कोमल था वो बिलकुल मुलायम मुलायम मैंने दीदी के निप्पल को अपनी उंगलियों से घुमाया उनका निप्पल बहुत छोटा था और बिलकुल टाइट खड़ा था मैंने उनके खड़े निप्पल को अपनी ऊँगली से गोल 2 घुमाया उसे खींचा तो दीदी के मुह से धीरे से स्स्स्स आह सिसकरी निकल गयी मेरी इच्छा तो हो रही थी की दीदी के बोबे को अपने मुह मे लेके चुसू उनके निप्पल को चूस 2 कर उनका सारा रस पी जाऊं लेकिन मैं एसा कर नहीं सकता था फिर मैंने अपना हाथ दीदी के कुर्ते मैं से निकाला जैसे ही मैंने अपना हाथ दीदी के कुर्ते मैं से निकाला उन्होंने अपना हाथ अपने कुर्ते मैं डाल लिया अपनी ब्रा के कप को वापस ऊपर करने के लिए फिर मैंने दीदी की जांघ के अंदर की तरफ अपना हाथ फेरा दीदी की सांसें बहुत तेज चल रही थी उन्होंने कांपती आवाज मैं पुछा " मम्मी टोर्च नहीं मिली क्या आपको अभी तक " मम्मी ने कहा " नहीं ढून्ढ रही हु " मेरा हाथ दीदी की दोनों जांघो के बीच में था अब मैंने अपना हाथ दीदी की चूत पे रखा दीदी ने अपने मुह पे हाथ रख लिया उनकी सांसें बहुत तेज़ चल रही थी उसकी आवाज को बंद करने के लिए मैंने अपने हाथ को दीदी की चूत मैं थोडा और नीचे की तरफ फेरा तब मुझे पता पड़ा की दीदी की पटियाला सलवार बहुत गीली हो चुकी थी मुझे समझ आ गया था की दीदी भी गरम हो चुकी है मैंने अपना हाथ उनकी पूरी चूत पे फेरा और अपनी हथेली को दीदी की पूरी चूत पे ऊपर नीचे फेरने लगा दीदी की प्यारी कोमल चूत को सहलाने लगा दीदी की चूत की स्किन बहुत नरम और गीली थी मैंने कभी सोचा भी नहीं था की इतनी जल्दी मैं अपनी दीदी की चूत को सहला पाउँगा
मैं जल्दी 2 उनकी पूरी चूत पे अपना हाथ फेरने लगा और अपने हाथ की बीच वाली ऊँगली उनकी चूत के अंदर ऊपर नीचे फेरने लगा दीदी ने अपने हाथ से मेरी जांघ को बहुत टाइट भींच लिया उनके नाखून मेरी जांघ पे चुभ रहे थे मै और ज्यादा उत्तेजित हो गया मैं अपनी ऊँगली दीदी की चूत के होल पे घुमाने लगा और तभी दीदी का बहुत सारा चूत का पानी बह निकला मुझे समझ आ गया था की दीदी झर गयी हैं वो बहुत लम्बी 2 साँसे ले रही थी इतने मैं दीदी ने कांपती आवाज में मेरे कान मैं बोल " सोननननू तू यह्ह्ह्हीइ रहनानाना कही जानानानाना मत " मैंने दीदी की चूत मैं अपनी ऊँगली फेरते हुए बोला " हाँ दीदी नहीं जाऊंगा लेकिन अँधेरे में मुझे डर लग रहा है " दीदी ने कहा "डर मत मैं यही बैठी हु तेरे पास" फिर मैंने वापस दीदी के कुर्ते मैं हाथ डाला और उनके दोनों ब्रा के कप्स को 1-1 करके नीचे कर दिया उनके दोनों बोबे नंगे हो गए थे उनके कुर्ते में मैंने दीदी के दोनों नंगे बोबो को दबाया उन्हें मसला उनके निप्पल्स पे अपनी उँगलियाँ फिराई उनके निप्पल्स को खींचा उनके दोनों निप्पल्स खड़े हो गए थे और बिलकुल टाइट थे मै उनके नंगे बोबे के मजे ले रहा था इतने मे मम्मी की आवाज आयी " अरे !बाकी सबकी लाइट तो आ रही है " मैंने फटाफट दीदी के कुर्ते मे से अपना हाथ निकाल लिया दीदी ने अपनी ब्रा ठीक की मैंने मम्मी के आने से पहले जल्दी से वापस उनकी चूत मे अपनी ऊँगली फेरने लगा दीदी की पूरी सलवार सामने से गीली हो चुकी थी आज मैं बहुत खुश था की मेरी प्यारी दीदी मेरी ऊँगली से झरी थी तभी टोर्च की लाइट जली मैंने अपना हाथ जल्दी से बहार निकाला और हलकी से लाइट मे मैंने देखा दीदी की आँखें बंद थी इतने मैं लाइट आ गयी मैंने दीदी की आँखों को देखा वो पूरी लाल हो चुकी थी लेकिन उनके चेहरे से पता पड़ रहा था की वो पूरी तरह से संतुष्ट हो चुकी थी..
दीदी वहां से उठी और जाने लगी मैं साइड पोज़ से उनके बोबे देख रहा था कितने मोटे बोबे थे दीदी के मैंने देखा उनके चेहरे पे अजीब से expressions थे शायद आज जो कुछ भी हुआ उनके साथ वो उसी के बारे मैं सोच रही थी दीदी बाथरूम मैं चली गयी मुझे पता था की दीदी बाथरूम मैं क्यों गयी है शायद ये देखने की आज उनकी चूत ने क्या गुल खिलाये है दीदी के बदन के अँधेरे मैं इतने मजे लेने के बाद मेरा भी हालत ख़राब हो चुकी थी मैं भी टॉयलेट में गया और अपना खड़ा लंड बहार निकल कर उसे सहलाने लगा आँखें बंद करके और जो कुछ भी आज हुआ उसके बारे मैं सोचने लगा की मैंने दीदी के आज कैसे मजे लिए उनके बोबे दबाये उनकी चूत मसली आज पहली बार मैंने अपनी दीदी के नाजुक जिस्म को छुहा था कितना कोमल बदन था मैं सोचने लगा की दीदी के निप्पल्स कैसे होंगे मुझे तो वो छोटे 2 से लग रहे थे जब मैं उनपे अपनी ऊँगली फेर रहा था मैं कल्पना करने लगा की दीदी के निप्पल्स कैसे होंगे
इतने में मैं झर गया टॉयलेट से बहार आके मैं वापस आया तो दिनेश अंकल वही बैठे हुए थे दीदी अभी तक नहीं आई थी मैं सोच रहा था दीदी अंदर अपने कपडे चेंज कर रही होगी आखिर मैंने आज उन्हें इतने मजे दिए थे की उनकी सलवार गीली हो गयी थी सामने से और पेंटी के तो ना जाने क्या हाल होंगे अंदर से थोड़ी देर बाद दीदी आयी उन्होंने अपने कपडे चेंज कर लिए थे शायद दीदी नहा ली थी इसलिए उन्होंने अपने सारे कपडे ही चेंज कर लिए थे दीदी ने नहा कर पिंक कलर का स्लीवलेस टॉप और जीन्स की शोर्ट कैपरी पेहेन ली थी दीदी बहुत सेक्सी लग रही थी फिर दीदी आई और जिसे ही दिनेश अंकल दीदी से कुछ बोलने वाले थे दीदी ने उनसे कहा की "अंकल आज आपने जो भी किया अच्छा नहीं किया " अंकल ने कहा "बेटी मैंने क्या किया ?" दीदी ने कहा "अंकल मुझे कुछ नहीं सुन्ना आज के बाद आप प्लीज घर मत आईएगा नहीं तो मैं पापा और मम्मी को सब कुछ बता दूंगी जो भी आपने किया " अंकल चले गए मैं अंदर से खुश हो रहा था की मजे मैंने लिए और लंका दिनेश की लग गयी रात को हम सब साथ मैं खाना खा रहे थे तभी मम्मी ने दीदी से कहा "प्रीती कल बुआ जी की लड़की की शादी का लेडीज संगीत है तो तू भी चलना मेरे साथ कल स्कूल मत जाना " दीदी ने कहा "ठीक है मम्मी लेकिन मैं कल पहनू क्या जीन्स टॉप या सूट " मम्मी ने कहा "अरे ये सब तो तू हमेशा ही पहनती है कल तू मेरी साडीयों मैं से कोई अपनी पसंद की साडी देख लेना और जिसका भी ब्लाउज तुझे फिट आ जाये वो पेहेन लेना " दीदी ने कहा " ठीक है मम्मी " अब मेरे दिमाग मैं यही बात घुमने लगी की दीदी साडी में कितनी सेक्सी लंगेगी कल तो दीदी को नंगी देखूंगा ही आज दीदी के बोबे दबा के उनकी चूत पे अपना हाथ फेर के ऊँगली करके मजा तो बहुत आया था लेकिन मैंने अभी तक दीदी को पूरी नंगी नहीं देखा था और मैं अपनी दीदी को नंगी देखने के लिए बहुत उत्साहित था जिस दीदी के पूरे बदन के मैंने मजे लिए थे वो बिना कपड़ो के दिखता केसा है ये मुझे नहीं पता था इसलिए मैंने decide की अब तो दीदी को साडी उतारते हुए ही देखूंगा रात को खाना खाके पापा सोने चले गए और मैं बेड पर बैठा 2 टीवी देख रहा था मम्मी और दीदी भी उसी बेड पर बैठे हुए थे और बातें कर रहे थे दीदी ने खाना खाना के बाद लोअर और ब्लैक कलर का स्लीवलेस टॉप पेहेन लिया था मम्मी से बातें करते हुए दीदी थोडा सा लेट गयी और मुझे उनके टॉप के गले मैं से उनकी ब्रा और बोबो की झलक मिल
कितनी सेक्सी लग रही थी दीदी और उनके मुलायम कोमल बोबे जो शाम को मेरे हाथो मैं थे ये सोचते 2 मैं चादर के अंदर से अपना लंड सहलाने लगा और चोरी 2 दीदी को इस पोजीशन मैं लेटे हुए देखता रहा दीदी को एसे लेटे हुए देखते हुए मैंने दीदी की ब्रा के कप को देखा और देखते 2 सोचने लगा की यही ब्रा के कप्स थे जिनको शाम को मैंने नीचे करके दीदी के बोबो को ऊपर से नंगा कर दिया था इतने मैं मम्मी ने मुझसे कहा "सोनू तू भी कल स्कूल मत जाना घर पे रुकना कल तू " मैंने कहा " हाँ मम्मी " और सोचने लगा की कल दीदी को साडी उतारते हुए केसे देख जाये पहले जो चोंटे मेरे साथ हुई थी मैंने उनको भी ध्यान मैं रखा की एसा कुछ प्लान बनाऊ की ये मौका हाथ से न जाने पाए फिर दीदी और मैं सोने के लिए हमारे रूम मैं आगये मैं अपने बेड पे लेट गया और दीदी अपने बीएड पे बैठी हुई थी और सोने की तैयारी कर रही थी वो अपने दोनों हाथ ऊपर करके अपने बालो को खोल रही थी इस कारण उनके छाती बहार की साइड आगयी थी और उनके मोटे मोटे बोबे भी बहार आ गये थे मेरा लंड वापस अंगडाई लेने लगा दीदी के मोटे बोबो को देख के दीदी अपने बालो के क्लिप को साइड में रख रही थी और दीदी का क्लिप नीचे गिर गया और उसे उठाने के लिए वो नीचे झुकी और वापस उनके टॉप के गले मैं से मुझे उनके बोबो की झलक दिखाई दे गयी|
दीदी के बोबे देखते हुए मैं अपने होठो पे अपनी जीभ फेरने लगा की कितने रसीले हैं दीदी के बोबे कब मुझे इन्हें चूसने को मिलेगा कब मैं अपनी जीभ दीदी के निप्पल्स पे लगा के उन्हें चुसुंगा उनके दोनों बोबो को कब चुसुंगा कब इनका रस पियूँगा तभी दीदी ने लाइट बंद कर दी और मुझे gudnight विश किया लेकिन नींद तो आँखों से बाहर थी मेरे दिमाग मैं तो बस दीदी के बोबे ही घूम रहे थे 6 सुबह बजे मैं उठा तो दीदी ने अपनी चादर हटा दी थी और दीदी को सोते हुए देख मेरा लंड खड़ा हो गया दीदी करवट लेके सो रही थी ओत उनके बोबे चिपक रहे थे ओए उनके मोटे बोबे कितना हसीं क्लीवेज बना रहे थे उनकी ब्रा की स्ट्रैप्स मुझे साफ़ 2 नजर आ रही थी उनकी ब्रा की स्ट्रेप उनके कंधे तक आगयी थी मैं धीरे से दीदी के पास गया और उनकि ब्रा की स्ट्रेप पे धीरे से किस किया फिर उनकी टॉप के गले को आगे से धीरे से खींचा तो मुझे उनकी अंदर से ब्रा के कप्स नजर आ गए थे मेरी इच्छा तो हुई की उनके ब्रा मैं हाथ डाल के उनके बोबे दबा दू लेकिन मैं ऐसा कुछ कर नहीं सकता था मैंने 1 हाथ से उनके टॉप का गला पकड़ा हुआ था और दुसरे हाथ से अपना लंड बाहर निकाला और उसे 2 जल्दी हिलाने लगा और दीदी की ब्रा और बोबो को देखते हुइ सोचना लगा की इन्हें कल मसला था मैंने अँधेरे में थोड़ी देर मे मैं झर गया मैंने दीदी के टॉप के गले को ठीक किया और वापस सो गया सुबह से दीदी और मम्मी अपनी 2 तैयारियों मैं लगे हुए थे शादी मैं जाने के लिए वो अपनी तैयारी कर रहे थे मैं अपनी तैयारी कर रहा था की दीदी को नंगी केसे देखा जाये दिन मे दीदी मम्मी के रूम मैं गई और गेट बंद कर लिया मैं रूम के दरवाजे पर कान लगा कर उनकी बातें सुनने लगा दीदी "मम्मी मुझे साडी पहननी तो आती नहीं है तो कैसे पहनुगी " मम्मी ने कहा "अरे तो यहाँ पेहेन ले न मेरे सामने " दीदी ने बोला "फिर मम्मी ब्रा पेंटी ?" मम्मी ने कहा " ओहो ! जो भी ब्रा पेंटी तुझे पहननी है वो अपने बाथरूम मैं पेहेन ले और वापस यही कपडे डाल के मेरे रूम मैं आजा फिर यहाँ साडी पेहेन ले मैं बता दूंगी केसे पहननी है " दीदी ने कहा "ठीक है मम्मी " मैंने ये बातें सुन ली थी और मुझे याद आया की मैंने दीदी के बाथरूम के दरवाजे मैं पहले छेद कर दिया था आज मेरे पास में मौका था दीदी को ब्रा पेंटी पहनते हुए देखने का दीदी बाथरूम मैं घुसी दरवाजा बंद किया और मैंने दरवाजे के छेद मे से वो पेपर का टुकड़ा निकाला और मेरे सामने मेरी दीदी पेहेन रही थी
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