RE: Behan Sex Kahani मेरी प्यारी दीदी
मैं : - " मम्मी कहाँ हो आप मुझे भूख लगी है "
मम्मी :- " क्यों सोनू प्रीती ने तुजे खाना नहीं दिया किया "
मैंने कहा :- " नहीं दीदी तो १ घंटे से दरवाजा बंद करके बैठी है पता नहीं क्या कर रही है"
मम्मी ने कहा :- "ला बात करा मेरी उससे "
मैं ख़ुशी से फोन हाथ मे लेके दीदी के रूम के दरवाजे पे गया और जोर 2 से दरवाजा खटखटाने लगा " दीदी दीदी दरवाजा खोलो " फिर छेद में से देखा तो दीदी सकपका गयी जल्दी से पेंटी में से हाथ निकाला फोन पर्स म डाला अपने ब्रा के कप्स ऊपर किये फिर बोली "रुक सोनू मैं कपडे बदल रही हु " फिर दीदी ने फटाफट कैपरी पहनी टॉप पहना और दरवाजे की तरफ बड़ी मैं वापस सामने खड़ा हो गया दीदी ने दरवाजा खोला और बोला
दीदी :- " हा क्या हुआ कयों चिल्ला रहा है "
मैंने कहा :- "आप क्या १ घंटे से कपडे बदल रहे थे क्या कर क्या रहे थे आप अंदर "
तो दीदी ने कहा :- "तू ज्यादा दिमाग मत लगा अपना बोल क्यों चिल्ला रहा था "
मैंने कहा :- "मम्मी का फोन है "
दीदी :- "ला दे हाँ मम्मी बोलो "
मम्मी :- "तूने सोनू को खाना नहीं दिया अभी तक पागल है क्या और क्या कर रही थी १ घंटे से कमरे का दरवजा बंद करके "
दीदी :- "अरे ! मम्मी मेरे तो दिमाग से ही निकल गया रुको मैं अभी दे देती हु वो कुछ नहीं कपडे चेंज कर रही थी , हा मम्मी "
फिर दीदी ने फोन रखा मुझे खाना दिया दीदी ने भी खाना खाया फिर दीदी अपने रूम में चली गयी गयी और दरवाजा बंद कर लिया शायद दीदी नहाने गयी थी
मैंने छेद मे से देखा दीदी ने अपना टॉवल निकाला अपने कपडे निकाले और बाथरूम में घुस गयी मैं भी जाके टीवी देखने लग गया जब दीदी ने दरवाजा खोला तो दीदी नहा के आई थी उनके बाल गीले थे जो उन्होंने
clutcher से बाँध रखे थे दीदी ने मेहरून कलर का टॉप और नीचे ब्लैक कलर की पटियाला सलवार पेहेन रखी थी क्या खुशबु थी दीदी के डियो की
उनके साबुन उनके बदन की कितनी सेक्सी लग रही थी मेरी प्यारी दीदी वो मेरे पास आके बोली " क्यों माँ के लाडले ज्यादा चुगली करनी आ रही है क्या बड़ा बोल रहा था मम्मी को की दीदी तो 1
घंटे से दरवाजा बंद करके बैठी है " फिर दीदी ने मुझे गुदगुदी करना शुरू कर दिया "बोल अब करेगा चुगली " मैं हंस 2 के पागल हो गया और भागता हुआ बेड के पास आने लगा तभी दीदी ने
मुझे पीछे से पकड़ लिया और मैं दीदी की कमर पे धक्का दे रहा था खुद को छुड़ाने के लिए इसी तरह खुद को छुड़ाने के चक्कर में मैंने भी दीदी को गुदगुदी करना शुरू कर दिया
और कभी उनके पेट पे कभी उनके underarms कभी उनके बोबे के साइड वाले हिस्से पे गुदगुदी करने लगा इस सब मस्ती से मेरा लंड वापस खड़ा हो गया था
तभी दीदी ने मुझे बेड पे लिटा दिया और मेरे ऊपर बैठ गयी ताकि मैं हिल न सकू फिर बोली "अब कहाँ जायेगा बोल करेगा चुगली वापस " और मेरे गुदगुदी करने लगी मैं भी दीदी से छुटने के लिए कभी उनके कमर पे हाथ फेरने लगा कभी उनकी पीठ पे और मैंने दीदी के कमर के नीचे भी हाथ फेरा उनकी सलवार का कपडा काफी पतला था मुझे उनकी झाँगें और उनकी पेंटी की इलास्टिक साफ़ 2 महसूस हो रही थी मैंने भी थोडा दम लगाया और अब दीदी को बेड पे लेटा दिया और मैं अपने घुठ्नो के बल उनके ऊपर बैठ गया दीदी के बाल खुल गए थे और दीदी मेरे नीचे थी मेरा लंड उनके पेट पे अड़ रहा था इस भागम भाग और मस्ती की वजह से दीदी के ब्रा स्ट्रैप्स उनके टॉप के गले में से बाहर आगये थे दीदी ने वाइट कलर
की पतले स्ट्रैप्स वाली ब्रा पेहेन रखी थी अब मैंने दीदी के पेट पे गुदगुदी करना स्टार्ट किया जेसे मैं गुदगुदी करता दीदी के बोबे ऊपर की तरफ होते उनके जोर जोर से हसने के कारण उनके बोबे बहुत ज्यादा हिलते और मुझे उनके बोबे का ऊपर की तरफ से मोटा मोटा हिस्सा उनके टॉप के गले में से थोडा थोडा बाहर आता हुआ दिखता अब इतनी मस्ती मजाक कर 2 के हम दोनों थक गए मैं दीदी के बिलकुल पास आके लेट गया और दीदी और मैं 1 दुसरे को देखने लगे तभी मैंने दीदी को बोला की " दीदी आपने मुझे माँ का लाडला क्यों कहा मैं आपका लाडला नहीं हु क्या "तो दीदी मेरे पास आगयी और बोली " अरे नहीं रे इधर आ " और दीदी ने मुझे कस के गले लगा लिया वो भी क्या मोमेंट था दीदी के गीले 2 बाल उनका ठंडा 2 बदन उनके बदन की खुशबू मैंने भी दीदी को टाइट हग कर लिया और अब मैं वापस मदहोश होता जा रहा था
और दीदी ने मुझे कस के गले लगा लिया वो भी क्या मोमेंट था दीदी के गीले 2 बाल उनका ठंडा 2 बदन उनके बदन की खुशबू मैंने भी दीदी को टाइट हग कर लिया और अब मैं वापस मदहोश होता जा रहा था ........अब आगे -
दीदी के इतना पास आके मुझे कुछ २ होने लगा था दीदी के बदन की खुशबु उनके बालो की खुशबु सब मुझे मदहोश करता जा रहा था मैंने दीदी को टाइट हग कर रखा था और यही सोच रहा था की अभी कुछ देर पहले ये परी मेरे सामने नंगी होके अपनी चड्डी मे हाथ डाल के अपनी चूत को सहला रही थी तभी दीदी ने मुझे थप थपाया और मै अपनी कल्पना से बाहर आया दीदी "बोली ओये सो गया क्या " मैंने कहा " नहीं दीदी क्यों " दीदी ने कहा " नहीं तू कुछ बोल ही नहीं रहा है तो मुझे लगा की कहीं मेरा सोनू मेरी बाँहों मे सो तो नहीं गया " मैंने कहा "नहीं दीदी जगा हुआ हु " और मैंने मन में सोचा की दीदी आप जेसी परी की बाँहों में कोई अगर सो जाये तो वो कोई बेवकूफ ही होगा तभी दीदी ने मुझे अलग करने की कोशिश की लेकिन मैंने दीदी को टाइट पकड़ रखा था दीदी बोली "क्या हुआ सोनू छोड़ ना " मैंने कहा "नहीं दीदी थोड़ी देर और मुझे अच्छा लग रहा है " दीदी बोली " ठीक है सोजा ऐसे ही थोड़ी देर मैं भी सो जाती हु "
मैंने हमेशा देखा है जीवन में की जो छोटा रहता है घर मैं उसे सब छोटा ही समझते है चाहे वो कितना भी बड़ा हो जाये आज शायद ने दीदी भी मुझे इसलिए इतना पास खुद से चिपका के सुला रही थी क्योंकि उनकी नजर में तो मैं अभी भी बच्चा ही था फिर मैंने थोडा सा मुह ऊपर करके देखा तो दीदी की आँखें बंद थी मैं मन में यही सोच रहा था की अच्छा हुआ आज मम्मी नहीं आई दीदी के साथ मुझे आज इतना मजा करने को तो मिल गया और फाइनली दीदी के साथ इतना पास चिपक के सो रहा हु मेरा लंड टाइट था दीदी को सोये हुए आधा घंटा हो चूका था मैं दीदी के पास ही चिपका हुआ था मैंने धीरे से दीदी के टॉप के गले को खींचा दीदी ने वी शेप का टॉप पेहेन रखा था दीदी के टॉप के अंदर का क्या नजारा था दीदी ने आज अपने टॉप के अंदर शमीज नहीं पहनी थी बस खाली ब्रा पेहेन रखी थी और उसके ऊपर टॉप दीदी के गले में उनकी सोने की चेन का पेंडेंट दीदी की ब्रा के गैप से थोडा सा ऊपर था दीदी ने वाइट कलर की ब्रा पेहेन रखी था आज मैंने दीदी को आधी नंगी देखा तो था लेकिन दूर से देखने में इतना मजा नहीं आता जितना की पास से देखने में आता है दीदी अंदर से बहुत गोरी थी दीदी के बोबे गोरे गोरे थे उनके टॉप के अंदर से उनकी ब्रा का इतना प्यारा शेप बन रहा था की मैं बयां नहीं कर सकता
उस वक़्त मैं सोचने लगा की थोड़ी देर पहले दीदी के ये गोरे गोरे बोबे मेरे सामने नंगे थे मैंने आज पहली बार रौशनी में दीदी के टॉप के अंदर ध्यान से देखा था मैंने देखा की मेरी दीदी कप वाली ब्रा नहीं पहनती वो तो सिंपल ब्रा पहनती है मैं टॉप के अंदर देखते २ सोचने लगा की दीदी का निप्पल कहा पे होगा इस ब्रा में , मैं दीदी के इतना पास था की आज रिस्क वाली कोई बात नहीं थी बस मुझे ध्यान से रहना था और धीरे धीरे ध्यान से सब करना था मैंने सबसे पहले दीदी के पेट पे अपना हाथ रखा उनका पेट बिलकुल चिकना और ठंडा था धीरे धीरे मैं अपना हाथ ऊपर लेके जाने लगा दीदी के टॉप में मैं पूरी तरह सतर्कथा की न तो दीदी को कुछ महसूस हो और ना ही दीदी का टॉप खिचे अब मैं धीरे धीरे अपना हाथ दीदी के टॉप के अंदर और ऊपर लेके जाने लगा और मेरे हाथ ने दीदी की ब्रा का नीचे का इलास्टिक टच किया मैंने धीरे से अपना दूसरा हाथ दीदी की कमर पे रखा जहाँ उन्होंने अपनी सलवार बंद रखी थी फिर मैंने अपना हाथ दीदी के टॉप मे और ऊपर किया और मेरे हाथ ने दीदी के 1 बोबे को टच किया मैंने अपना पूरा हाथ दीदी के बोबे पे घुमाया फिर मैंने अपना हाथ दीदी के दुसरे बोबे पे घुमाया और दीदी के दोनों बोबो पे हाथ घुमाने लगा और ब्रा पे से दीदी के बोबे के दोनों निप्पलो को ढूँढने लगा
मैंने दीदी के दोनों निप्पलों को सहलाया दीदी के बोबो को धीरे धीरे दबाया उन्हें सहलाया और उनके बोबे सहलाते सहलाते मैंने दीदी के गले पे बहुत ध्यान से धीरे से किस किया फिर उनका टॉप थोडा सा हटाया और उनके नंगे कन्धों पे किस किया फिर मैंने सोचा की दीदी की ब्रा को ऊपर किया जाए मैं अपना हाथ वापस नीचे दीदी की ब्रा के इलास्टिक पे लाया और उसे ऊपर करने की कोशिश की लेकिन दीदी की ब्रा का इलास्टिक बहुत टाइट था मैंने बहुत कोशिश की पर वो ऊपर ही नहीं हुआ अगर में ज्यादा जोर लगता तो दीदी को पता चल जाता इसलिए मैंने ब्रा ऊपर न करने की सोचा और दीदी के टॉप में से हाथ वापस बाहर निकाल लिया और दीदी की झांग पे अपना हाथ फेरने लगा जेसा की मैंने बतया था की दीदी की पटियाला सलवार का कपडा बहुत पतला था इसलिए मुझे उनकी झांगें आराम से फील हो रही थी मैंने धीरे 2 अपना हाथ उनकी अंदरूनी झांग पे डाला और वहां हाथ फेरने लगा मेरा लंड टाइट खड़ा था फिर मैंने अपना हाथ दीदी की दोनों झांगो के बीच डाल दिया वहां का हिस्सा थोडा गरम था और थोडा नम भी था मैं दीदी की दोनों झांगो के बीच अपना हाथ फेरने लगा दीदी की चिकनी झांगो को सहलाने लगा और धीरे धीरे अपना हाथ ऊपर लेके जाने लगा और फिर मेरे हाथ ने दीदी की पेंटी को टच किया अब मैं खुद पे से कण्ट्रोल खोता जा रहा था मेरी दीदी मेरे पास मुझे हग करके सो रही थी और
मैं उनकी दोनों झांगो के बीच अपना हाथ फेर रहा था और फिर मेरा हाथ दीदी की चूत पे टच हुआ मैं बहुत तेज तेज सांसें ले रहा था मैंने दीदी की पेंटी पे से उनकी चूत पे अपना हाथ फेरा और मै अपने दुसरे हाथ से दीदी की सलवार पे से उनकी गांड पे हाथ फेर रहा था आज तो मेरे दोनों हाथों में जन्नत थी १ हाथ में मेरी दीदी की गांड दुसरे हाथ में मेरी दीदी की चूत मैंने अपनी हथेली को सीधा किया और पूरी हथेली को अपनी दीदी की चूत पे ऊपर नीचे फेरने लगा अब मैं धीरे २ दीदी की चूत पे अपना हाथ ऊपर नीचे फेरते हुए उनके होठों के पास जाने लगा मैं उनके होठो पर किस करना चाहता था उनकी चूत पे हाथ फेरते हुए लेकिन मैंने खुद को कंट्रोल किया और दीदी की चूत पे ध्यान से और धीरे धीरे हाथ फेरने लगा फिर मैंने अपनी १ ऊँगली दीदी की चूत की लाइन के बीच डाली लेकिन वो पूरी तरह गयी नहीं उनकी पेंटी के कारन आज मैं वो सब कर रहा था जो मैंने सपने में भी नहीं सोचा था दीदी की चूत सहलाते सहलाते अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था मैंने सोचा की 1 बार दीदी का हाथ अपने लंड पे टच करवाऊं मैंने दीदी के हाथ को उठाया और धीरे धीरे अपने लंड के पास लेके आने लगा और तभी दीदी ने करवट बदल अब मैं समझ गया की ये खतरे का संकेत है सोनू ज्यादा लालच मत कर नहीं तो जूत पड़ जायेंगे
मैंने दीदी का हाथ छोड़ा और उनकी पीठ पे से उनके टॉप को ऊपर करने लगा और उनकी पीठ पर धीरे से किस करने लगा फिर मैंने पीछे से दीदी के दोनों हाथों के नीचे से अपने हाथ डाले और पीछे से ही उनके टॉप पे से धीरे २ उनके बोबे दबाने लगा अब मेरा लंड कण्ट्रोल से बाहर हो रहा था मैं उठा और दीदी के बाथरूम में गया और वहां पर मुझे दीदी की उतरी हुई ब्रा और उतरी हुई वो पेंटी मिली जो उन्होंने पेहेन रखी थी जब वो अपने bf से फोन सेक्स कर रही थी मैंने दीदी की पेंटी को सूंघा उसमे से बड़ी ही सेक्सी खुशबु आ रही थी मैंने दीदी की पेंटी के अंदर देखा तो उसमे बहुत सार डिस्चार्ज लगा हुआ था उनकी पेंटी के डिस्चार्ज को देख के मुझे पता चला की दीदी कितनी ज्यादा excited थी उस समय मैंने दीदी की चड्डी में लगा सारा डिस्चार्ज चाट 2 के साफ़ कर दिया और पागलो की तरह उनकी पेंटी को कभी सूंघता कभी अपने मुह पे रखता और अपना लंड हिलाता तभी मुझे 1 आईडिया आया
मैंने दीदी की ब्रा और पेंटी ली और दीदी के पास जाके लेट गया दीदी की पीठ मेरी तरफ थी तो मैं दीदी की गांड के पास जाके लेट गया और उनकी गांड को धीरे धीरे किस करते हुए दीदी की पेंटी अपने लंड पे लपेटी और मूट मारने लगा वो एहसास भी क्या था पास में दीदी लेटी हुई और मैं उनके पास लेटे हुए अपना लंड बिस्तर पे निकल के उसपे दीदी की पेंटी लपेट के कभी उनकी गांड को किस कर रहा था कभी उनकी ब्रा को किस कर रहा था और मुट मार रहा था बिना किसी डर केमैं पागलो की तरह अपने लंड को हिलाने और थोड़ी ही देर मैं मैं झर गया मेरा इतना सार मुट निकला और मुझे इतना मजा आया की उस मजे के कारन मेरी आँखें ही बंद हो गयी और मैंने अपना सार मूट अपनी प्यारी दीदी की पेंटी पे निकाल दिया आज मूट मारके मुझे इतना satisfaction मिला था की मैं बयां भी नहीं कर सकता मैंने दीदी पेंटी वापस बाथरूम में रखी और आके दीदी के पास वापस लेट गया तभी किसी ने बाहर से गेट खटखटाया......(
मैं जैसे ही आके दीदी के पास लेटा किसी ने बाहर से गेट खटखटाया शायद मम्मी आ गयी थी मैंने सोचा वाह ! मम्मी भी सही टाइम पे आई है जब मेरा सारा काम हो गया है मै दीदी के पास गया और पेहले उनके कंधो पे हाथ फेरा फिर उनके होंठो पे फिर उन्हें धक्का देके जगाने लगा " दीदी उठो कोई गेट खटखटा रहा है शायद मम्मी आगयी है " दीदी उठी और गेट खोला सामने मम्मी ही थी मम्मी ने कहा "अरे दोनों भाई बेहेन क्या घोड़े बेच के सो रहे थे क्या जो सुना नहीं कितनी देर से दरवाजा पीट रही हु " दीदी बोली "हा यार मम्मी गहरी नींद में थी , अब सोने दो मुझे मैं जा रही हु अपने रूम में " ये कह के दीदी चली गयी अपने रूम में फिर मम्मी ने मुझे देखा और बोला "और राजा बेटा क्या किया आज पूरे दिन " मैंने मन में सोचा मम्मी आज मैंने २ बार मस्ती से मुट मारी और दीदी के बहुत मजे लिए आज पूरे दिन आज तो मेरी दीदी ने मुझे जन्नत की सैर करवा दी मम्मी ने फिर पूछा "अरे बता ना क्या किया होम वर्क किया या नहीं " मैंने कहा " हाँ मम्मी कर लिया होमवर्क " फिर मम्मी ने कहा " ठीक है चल अब बाहर जा मुझे कपडे चेंज करने है "
मैं बाहर आगया और खेलने चला गया
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