RE: Hindi Porn Story चीखती रूहें
इमरान एक शिप मज़दूर के वेश मे बाहर गया था.
"वो ज़रूर ठोकर खाएगा." रॉबर्टू 2-3 घूँट लेने के बाद कहा.
"क्या तुम इमरान के बारे मे कह रहे हो?" जूलीया ने उसे तीखी निगाहों से देखते हुए पुछा.
"हां....मैं उसी के लिए कह रहा हूँ."
"आज तक किसी ने भी उसे ठोकर खाते नहीं देखा. जबकि मेरा विचार है कि वो केवल ठोकर लगाने के लिए पैदा हुआ है.....क्या समझे?"
जूलीया ने उस की आँखों मे घृणा भरा व्यंग देखा और उस की झुंजलाहट पहले से भी अधिक बढ़ गयी. लेकिन वो उस नमकूल आदमी से बहस करना नहीं चाहती थी.
"ये आइलॅंड...." रॉबर्टू शराब का ग्लास मेज़ पर रखता हुआ बोला..."वैसा नहीं है जैसा हमारा था. यहाँ बोघा के आदमियों को छुप कर
काम करना पड़ता होगा. अगर ये बात ना होती तो वो लोग अपनी राइफलें लॉंच मे ही क्यों छुपा आते?"
"इमरान पहले ही इस बात पर गौर कर चुका है." जूलीया ने बेज़ारी से कहा.
"इस लिए वो कोई बड़ा तीर मार कर वापस आएगा."
"उसी बात का वेट करो...." जूलीया ने गुस्से से कहा और कमरे से बाहर आ गयी.
एक कमरे मे जोसेफ, सफदार और चौहान उंघ रहे थे. जोसेफ सुबह से ही पीता रहा था. इस ढंग से जैसे वो उस की ज़िंदगी का अंतिम दिन हो.
जूलीया की आहट पर वो चौंक पड़े.
"कोई खबर...?" सफदार ने पुछा.
"इमरान अभी तक वापस नहीं आया..." जूलीया ने कहा. उस की आवाज़ सुन कर जोसेफ भी जाग गया.
"उस ने चेतावनी दी थी कि कोई उसके आब्सेन्स मे बाहर नहीं निकले.....वरना मैं देखता." सफदार बोला.
"मेरी समझ मे नहीं आता कि बोघा चाहता क्या है."
"जब तक वो तीनो बॅरल भरे हैं मिसी...." जोसेफ पलकें झपका कर बोला. "वो हमारा कुच्छ नहीं बिगाड़ सकता.....तुम जा कर आराम करो..."
"ष्ह्ह्ह....खामोश रहो..." सफदार बोला. फिर जूलीया की तरफ देख कर बोला..."अगर वो एक घंटा और ना आया तो मैं निश्चित रूप से बाहर निकलूंगा..."
"रॉबर्टू क्या कहता है?" चौहान ने पुछा.
"उसे जहन्नुम मे झोंको...." जूलीया बुरा सा मुहह बना कर बोली. "वो नहीं समझता कि ये बालाएँ उसी के कारण आई हैं..."
"इमरान तो खुद ही इन बालाओं की खोज मे था."
"लेकिन रॉबर्टू के बिना हालात का रुख़ कुच्छ और होता."
"मतलब ये कि खुद उनका सफ़र करना उस सूरत मे ज़रूरी नहीं होता..." सफदार चौहान को आँख मार कर मुस्कुराया.
"फ़िज़ूल मत बको, मैं अपने लिए नहीं कह रही...." जूलीया झल्ला गयी.....और उसे वहाँ से भी चले आना पड़ा.
लेकिन जैसे ही अपने कमरे मे पहुँची गुस्सा ठंडा पड़ गया......क्योंकि इमरान एक ईज़ी चेयर मे बैठा कुच्छ सोच रहा था.
"तुम कब वापस आए?" जूलीया ने उसे घूरते हुए पुछा.
"अभी...." इमरान ने भर्रायि हुई आवाज़ मे कहा. उसके चेहरे से कुच्छ उदासी सी प्रकट हो रही थी.
"क्यों....क्या बात है?" जूलीया ने हैरत से कहा...."तुम इतने बुझे बुझे से क्यों हो?"
जवाब मे इमरान ने बॅस एक ठंडी से साँस ली और मूह चलाने लगा. उस के शरीर पर अब भी वही जहाज़ी मज़दूर वाला ड्रेस था.
(जारी)
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