RE: Hindi Porn Story चीखती रूहें
(Jaari)
२
जूलीया उसे घूरती रही. कुच्छ देर बाद इमरान ने उस से पुचछा...."तुम्हारी फ्रेंच कैसी है?"
"क्यों...? मैं बिना किसी हिचकिचाहट के बोल सकती हूँ..."
"ये बहुत ही रौनक वाला आइलॅंड है. नाम है लटोशे.....एक छोटी सी एंटरटेनमेंट प्लेस समझ लो. आस पास के टूरिस्ट्स यहाँ काफ़ी संख्या मे आते हैं. लेकिन जिस इमारत मे हम बैठे हुए हैं.....ये यहाँ अच्छी निगाहों से नहीं देखी जाती. हालाँकि ये एक पादरी का ठिकाना है....
जो फादर स्मिथ के नाम से फेमस है. हॉल मे जो बड़ी सी तस्वीर है मेरा विचार है कि उसी फादर स्मिथ की हो सकती है......लेकिन समझ
मे नहीं आता की होली फादर आसमान पर उठा लिए गये या छुट्टी पर हैं."
"कोई सर पैर है इन बातों का?"
इमरान फिर किसी सोच मे पड़ गया.
"मेरी समझ से अब तुम्हें कोई राह दिखाई नहीं दे रही." जूलीया ने कुछ देर बाद कहा.
"सुनो..." इमरान ने उंगली उठा कर इस तरह कहा जैसे उस ने जूलीया की बात सुनी ही ना हो. "इस आइलॅंड मे रहना इतना कठिन नहीं है जितना यहाँ से निकल जाना. बंदरगाह से निकल आने के बाद फिर कोई नहीं पुछ्ता....चाहे तुम सारी उमर यहीं गुज़ार दो. हां....लेकिन बंदरगाह पर कड़ी चेकिंग होती है."
"तुम कहना क्या चाहते हो?"
"यही कि हम सबों का इसी इमारत मे पड़े रहना भी ज़रूरी नहीं है. हम मे से कुच्छ लोग होटेल्स मे भी रह सकते हैं."
"हम शायद वहाँ मुफ़्त रह सकेंगे." जूलीया के स्वर मे व्यंग था.
"आहा.....तुम्हें लोकल करेन्सी की चिंता है." इमरान मुस्कुराया. "क्या तुम ने वो तिजोरी नहीं देखी जिस मे फ्रेंच करेन्सी के ढेर हैं."
"नहीं.....मैं तो नहीं देखी." जूलीया ने हैरत से कहा.
"है एक कमरे मे.....जो शायद बेडरूम ही है."
"लेकिन वो करेन्सी नहीं ले गये."
"अगर वो ले जाते तो मैं उन्हें बहुत बड़ा गधा समझता."
"क्यों...?"
"अर्रे.....फिर हमारा काम कैसे चलता?"
"ईश्वर के लिए मुझे एक बात बता दो..."
"ह्म..." इमरान ने सवालिया निगाहों से उस की तरफ देखा.
"बोघा क्या चाहता है...?"
"अभी तो हमारी मौत के सिवा सब कुच्छ चाहता है."
"तुम किसी ख़ास नतीजे पर नहीं पहुँचे?"
"बिल्कुल नहीं...." इमरान हाथ उठा कर बोला. "दिमाग़ को उलझाने की ज़रूरत नहीं. बस ये समझ लो कि हम क्लाइमेट चेंज करने केलिए यहाँ आए हैं. हलाकी हर तरह की जलवायु खुद हमारे देश मे पाई जाती है.....लेकिन ये जो तब्दीली बिना किसी खर्च के मिल जाए वो भी क़ुबूल है."
"तुम दीवाने हो..."
"और तुम्हारे लिए मशविरा है कि तुम यहाँ की गली कूचों मे गाती फ़िरो....'कोई पत्थर से ना मारे मेरे दीवाने को...'."
जूलीया दाँत पीस कर चुप हो गयी.
इमरान उठ कर चला गया. जूलीया चुप चाप बैठी रही. उस की उलझन दूर हो चुकी थी. और अब उसे महसूस हुआ कि उसकी उलझन का कारण केवल इमरान की अनुपस्थिति ही थी. फिर ना जाने क्यों वो इस अहसास के साथ दुबारा झल्लाहट मे डूब गयी. वो वहीं चेर मे बैठी बोर होती रही.
थोड़ी देर बाद इमरान फिर वापस आया.
"रॉबर्टू लीज़ी और चौहान यहीं रहेंगे." उस ने कहा.
जूलीया कुच्छ ना बोली. वो प्रकट कर रही थी जैसे उस ने सुना ही ना हो. इतने मे सफदार भी कमरे मे आ गया.
"रॉबर्टू यहाँ नहीं रहना चाहता." उस ने कहा.
"तो उस से कह दो नर्क मे जाए." इमरान ने लापरवाही से कहा. फिर पुछा..."तिजोरी की कुंजी तुम्हारे ही पास है ना?"
"हां....मेरे ही पास है. उस ने आपके इरादे जान कर कुंजी की माँग की थी."
"कुंजी उसे मत देना..." इमरान ने कहा और जूलीया की तरफ देख कर बोला "वो इस पर तैयार नहीं है कि पादरी स्मिथ की हैसियत से यहाँ ठहरे."
"नॅचुरल बात है..." जूलीया ने रूखे स्वर मे कहा. "मकसद जाने बिना कोई भी किसी काम पर तैयार नहीं हो सकता."
"मकसद के लिए अब मुझे शायद कुत्तों की तरह भोंकना पड़ेगा..." इमरान ने क्रोध भरे स्वर मे कहा...."अभी इसका यही मकसद है कि ये बोघा चाहता है.....और हमारे लिए भी इसके अलावा और कोई चारा नहीं है."
"वो ये चाहता है कि हम उसके आदमियों के वेश मे इस इमारत मे रहें...?"
"एग्ज़ॅक्ट....यही चाहता है...क्यों चाहता है? मैं नहीं जानता.....लेकिन ये भी ज़रूरी नहीं है कि देर तक अंधेरे मे रहूं. जल्दी ही किसी नतीजे पर पहुचूँगा. लेकिन ये उसी रूप मे संभव है जब वही किया जाए जो बोघा चाहता है."
"क्या उसे ये भी यकीन है कि जो वो चाहता है, तुम वही करोगे?"
"ना करने की स्थिति मे हमारे पास दूसरी राह कॉन सी होगी? मिस बुद्धिमान....?" इमरान ने शुष्क स्वर मे पुछा. लेकिन जूलीया जल्दी मे कोई उत्तर ना दे पाई.
"क्या तुम ये कहती फ़िरोगी कि तुम कॉन हो? या रॉबर्टू खुद को रॉबर्टू प्रकट करने की हिम्मत कर सकेगा? ये ना भूलो कि आज भी युरोप की पोलीस उसे पा कर बहुत बड़ी उपलब्धि समझेगी. ना हम अपनी असलियत ज़ाहिर करने की मूर्खता कर सकते हैं और ना ही रॉबर्टू ही
फाँसी का फँदा चुनेगा. अभी वो केवल बोखलाया हुआ है. और उसे अगर मारना ही है तो हम किस तरह रोक सकेंगे?"
"तुम कितनी बेदर्दी से उसके बारे मे कह रहे हो?"
"येस.....अब उस से मेरा इंटेरेस्ट समाप्त हो चुका है. ज़ाहिर है मैने उसे केवल इस नीयत से रोका था कि बोघा की तलाश मे वो एक
अच्छा सहायक साबित होगा. लेकिन बोघा ने खुद ही मुझे अपनी राह पर लगा लिया है. फिर अब मैं किसी चीर्चिड़े मुर्गे का बोझ क्यों
ढोता फिरू?"
"ये तो खुली हुई खुद-गर्जि हुई."
"आए........क्या तुम मेरी बीवी हो?" इमरान आँखें निकाल कर बोला.
"क्या बकवास है?"
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