RE: Hindi Porn Story चीखती रूहें
"नहीं तुम ऐसी ही बातें कर रही हो जैसे हम यहाँ हनी-मून मनाने आए हों." इमरान बोला..."स्वार्थ और निस्वार्थ की कहानी निकाल बैठी हो. क्या तुम्हें सदाचार का प्रचार करने की सॅलरी मिलती है?"
जूलीया चिढ़ गयी और उठ कर कमरे से बाहर चली गयी.
इमरान सफदार को आँख मार कर मुस्कुराया फिर बोला..."औरत कभी सीधे रास्ता पर नहीं आएगी चाहे उसकी मूच्छें ही क्यों ना उग आएँ..."
"इस समस्या पर तो मुझे भी विचार करना पड़ेगा कि रॉबर्टू को बेसहारा क्यों छोड़ दिया जाए?" सफदार ने कहा.
"होंठो पर लिपस्टिक और गालों पर सुर्खी लगा कर सोचना. अगर सोचते समय नाक पर उंगली भी रहे तो डाइजेशन सही रहेगा."
सफदार हंस पड़ा......और इमरान ने गंभीरता से कहा.
"तुम ने महसूस नहीं किया कि अब वो हर बात पर मेरा विरोध करने लगा है. इसी बात का लाभ उठाने के लिए मैं ने ये राय बनाई थी कि वो यहीं तारे और हम लोग किसी होटेल मे तारें."
"ओह्ह....तो आप खुद ही उसे बाहर भेजना चाहते हैं.....अलग करना चाहते हैं."
"एग्ज़ॅक्ट....तुम लोग ज़रा देर से समझते हो."
"लेकिन क्यों?"
"बस देखते जाओ.....वो खुशी से बाहर जाएगा. ये ना समझो कि वो हमारा वफ़ादार ही रहेगा. इसलिए क्यों ना इसी स्टेज पर उसका टेस्ट भी हो जाए."
"तो ये बात आप केवल मुझे बता रहे हैं?"
"एस्स.....और किसी तीसरे को भनक भी नहीं लगे."
सफदार कुच्छ कहने ही वाला था कि कॉरिडोर से कदमों की आवाज़ आई और अगले ही पल मे रॉबर्टू कमरे मे प्रवेश किया. उसका चेरा
लाल हो रहा था और नथुने फूल रहे थे.
"तुम मुझे कुर्बानी का बकरा बनाना चाहते हो?" वो हाथ उठा कर दहाड़ा.
"नहीं.....भेड़....बकरे मुझे पसंद नहीं हैं."
"मैं यहाँ नहीं रहूँगा.....तुम मुझे मजबूर नहीं कर सकते."
"क्यों शामत आई है रॉबर्टू? क्या तुम मुझ पर भरोसा नहीं करते?"
"मैं तुम लोगों से अलग रह कर तुम पर भरोसा कर सकता हूँ."
"फिर तुम क्या चाहते हो?"
"मुझे उस तिजोरी से कुच्छ रक़म चाहिए."
"सफदार ये जो कुच्छ माँगे....इसे दे दो..." इमरान ने सफदार की तरफ देखे बिना कहा,
"रॉबर्टू कुच्छ देर तक इमरान को घूरता रहा फिर सफदार के साथ कमरे से बाहर चला गया.
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(जारी)
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