RE: Hindi Porn Story चीखती रूहें
(Jaari)
"बहुत मुनासिब रिपोर्ट है." इमरान बड़बड़ाता. "ये रॉबेरटु 100% अकल का अँधा नहीं है."
"और दूसरी बात........इमारत का पता सुन कर पोलीस ऑफीसर उछल पड़ा था. और उस ने बड़े जोश-ख़रोश के साथ अपने साथियों से फ्रेंच भाषा मे कुच्छ कहा था.......जिसे मैं नहीं समझ सका."
"वेल......तो वो बिल्डिंग भी पोलीस की दिलचस्पी का केन्द्र है." इमरान बोला.
"अब देखना ये है कि उन दोनों का क्या हशर होता है." जूलीया लंबी साँस ले कर बोली.
"लेकिन क्या..........हम इसी मकसद के लिए लाए गये हैं कि बोघा हमारे द्वारा नकली नोटों का तजुर्बा करे." सफदार ने कहा.
"ये सवाल काम का है." इमरान बोला.
"बॉस....मेरी मौत निकट है." जोसेफ बोला जिसकी आवाज़ रुन्धि हुई सी लग रही थी. "अब मैं क्या करूँ........शपलली भी नहीं मिली."
"तुम अपनी बकवास बंद करो."
जोसेफ खामोश हो गया. फिर वो सब ही खामोश हो गये. गुफा का अंधेरा कष्ट देने वाला था. वो एक दूसरे की साँसें गिनते रहे.
दूसरी सुबह वो भूक से निढाल उठे. जोसेफ से तो उठा ही नहीं जा रहा था. उस ने बड़ी कठिनाई से उस जगह का पता बताया जहाँ उस ने जंगली फल देखे थे. सफदार और इमरान बताए हुए रास्ते पर चल पड़े. इस के लिए बार बार उन्हें झाड़ियों मे घुसना पड़ता था. उन्हें कहानी भी इंसानी कदमों के बनाए रास्ते नहीं दिखाई दिए. एक जगह उँचाई से पानी गिरने की मद्धिम आवाज़ कानो मे आई और वो उसी तरफ चल पड़े.
ये एक छोटा सा झरना था......जो एक मोटे से पेड़ की जड़ के पास से फूटा था. नरकूलों की झाड़ियों ने उस के आस पास दीवार बना रखी थी. कुच्छ दूर फैलने के बाद वो एक पतले से नाले के रूप मे झाड़ियों से भी गुज़र कर शायद दस फीट की उँचाई से एक चट्टान पर गिरता था. और उसी की आवाज़ ने यहाँ तक उन्हें रास्ता दिखाया था.
"सेब...." सफदार ने पेड़ों पर निगाह डालते हुए कहा.
उन्होने कुच्छ फल तोड़े. वो सेब तो नहीं हो सकते थे जबकि शकल सेबों जैसी ही थी. छिल्का इतना कड़ा और चिंडा था कि उस से दाँतों का गुज़ारना आसान नहीं था. इमरान ने चाकू आज़माया लेकिन छिल्का इस तरह कट रहा था जैसे वो चमड़े पर भोथी छुरि चला रहा हो.
उसका गूदा सेब से भी अधिक नर्म साबित हुआ. फल मीठे थे लेकिन सेबों की सी खुश्बू हरगिज़ नहीं थी.
"गनीमत है...." इमरान सर हिला कर बोला.
सफदार जो दूसरा फल काट रहा था अचानक उछल पड़ा. फल और चाकू दोनों ही उसके हाथ से गिर गये. झरने के दूसरी तरफ एक आदमी उन की तरफ रिवॉल्वार ताने खड़ा था. वो नरकूलों की झाड़ी से इस तरह निकला था कि हल्की सी आवाज़ भी नहीं हुई थी. दोनों के हाथ उपर उठ गये.
ये एक मरियल सा आदमी था. सर के बाल उलझे हुए थे......और शेव भी काफ़ी दिनों से नहीं किया लगता था. कपड़े गंदे और फटे हुए थे. आँखों से दीवानगी झाँक रही थी.
"तुम्हारी जेबों मे जो कुच्छ भी हो ज़मीन पर डाल दो." उस ने फ्रेंच भाषा मे कहा.
"हमारी जेबों मे भी रिवॉल्वार हैं." इमरान ने मुस्कुरा कर कहा. "क्या उन्हें हाथ लगाने की अनुमति दोगे?"
अजनबी ने ठहाका लगाया लेकिन वो केवल आवाज़ थी. उसे हँसी किसी तरह भी नहीं कही जा सकती थी. खोखली आवाज़.
उस ने कहा....."मुझे धमकाने की कोशिश कर रहे हो? मैं इतना गधा नहीं हूँ. अगर जेबों मे रिवॉल्वार होते तो तुम कभी उनके बारे मे नहीं बताते."
इमरान ने इस तरह मूह बनाया जैसे सच मुच उस की स्कीम फैल हो गयी हो.
"चलो...." अजनबी गुर्राया.
उन के बीच 6 फीट से अधिक दूरी नहीं थी. लेकिन पानी की गहराई का अनुमान इमरान को नहीं था. फिर भी सफदार को लग रहा था कि वो कोई उपाए की सोच मे है.
और...........इमरान सोच रहा था कि अजनबी को किसी तरह इसी किनारे पर आ जाना चाहिए. वो खुद उसकी तरफ छलान्ग लगाना
नहीं चाहता था. क्योंकि उधर नरकुल की झाड़ियाँ उस के हमले को नाकाम भी बना सकती थीं.
"इस की क्या गारंटी है कि हमारी जेबें खाली करा लेने के बाद हमें मार ना डालोगे?" इमरान ने कहा.
"अजनबी उसे ख़ूँख़ार नज़रों से देखते हुए कहा "मैं अपने दो कारतूस बचा सकूँगा तो मुझे खुशी ही होगी."
"तुम फ्रांसीसी तो नहीं लगते. तुम्हारा बोलने का लहज़ा......." इमरान ने कहा.
"तुम भी फ्रांसीसी नहीं लगते......लेकिन जल्दी करो...."
अचानक उसके पिछे झाड़ियों मे हलचल हुई और दूसरे ही पल एक वेल ड्रेस्ड लेडी उसके पिछे खड़ी थी.
(जारी)
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