RE: Hindi Porn Story चीखती रूहें
"वो तुम्हारे बाप का अपमान कर रहे हैं."
"अर्रे वो तो इसी तरह लड़ते झगड़ते रहते हैं."
"जानती हो.....वो अगर मेरे आदमी को यहाँ से ले गया तो उसका क्या हशर होगा? ठहरो और देखो कि मैं उस से किस तरह निबट'ता हूँ."
इमरान ने जेब से रुमाल निकाला और उसे चेहरे पर इस तरह बाँध लिया कि केवल आँखें खुली रहीं. वो अब आसानी से पहचाना नहीं
जा सकता था. वो नहीं चाहता था की बाली को उसके नये ठिकाने का पता चले. वैसे जोसेफ को तो उसके हाथों से बचाना ही था.
वो तेज़ी से दरवाज़े की तरफ झपटा. अगता देखती ही रह गयी.
बाहर सुतरां बहुत ही क्रोध मे अब अपने ही लोगों को बुरा भला कहने लगा था. क्यों कि बाली जोसेफ के निकट पहुँच चुका था.......और उस से इंग्लीश मे कुच्छ कह रहा था.
"आए..." इमरान हाथ उठा कर दहाड़ा. उस की आवाज़ बदली हुई थी. "तुम कॉन हो जो मोस्सीओ सुतरां के कॉंपाउंड मे बिना इजाज़त घुस आए हो?"
बाली उसकी तरफ मुड़ा और हैरत से पलकें झपकाई.
"चले जाओ यहाँ से." इमरान हाथ हिला कर बोला. सुतरां भी हैरत से मूह खोले खड़ा था. कभी वो इमरान की तरफ देखने लगता और
कभी मेन गेट की तरफ.
"ये क्या बक रहा है...? इसे देखो." बाली ने अपने दोनों साथियों से कहा.....और वो इमरान की तरफ झपटे. इमरान का दायां हाथ एक के जबड़े पर पड़ा और वहीं से उस ने दूसरे की गर्दन पकड़ कर झटका दिया तो वो उसकी कदमों मे चला आया.......और पहला दूसरी तरफ उलट गया. दूसरे के सर पर इमरान की ठोकर भी पड़ी. पहला आदमी उठ कर दुबारा झपटा. लेकिन इस बार उसकी दाईं कनपटी पर इमरान का हाथ पड़ा......और ये ऐसा ही जाचा तुला हाथ था की वो दुबारा ना उठ सका. दूसरा आदमी जिस के सर पर उस ने ठोकर मारी थी उठने की कोशिश कर रहा था मगर दूसरी ठोकर ने उसे भी ऐसा करने नहीं दिया.
बाली ने अपने दोनों साथियों का हाल देख कर इमरान को एक गंदी सी गाली दी और उस पर टूट पड़ा.
सुतरां और उस के आदमी जोशीले दर्शकों की तरह दाँत पर दाँत जमाए खड़े थे. उन्हें इस का भी होश नहीं था कि बाली का इमरान पर झपट'ते ही जोसेफ चुप-चाप वहाँ से खिसक गया है. उन्होने उसे बाहरी गेट पर देखा लेकिन उस के निकल जाने की थोड़ी सी भी चिंता ना करते हुए अपनी ही जगहों पर खड़े रहे क्योंकि सामने का तमाशा जोसेफ की मरम्मत करने से अधिक रोचक था.
उन्होने अपने एक बड़े और शक्तिशाली दुश्मन को एक अंजान आदमी के हाथों पिट'ते देखा जिसने अपना चेहरा सफेद कपड़े से छुपा रखा था. और शायद उन्हें इस पर सब से अधिक हैरत थी की वो उन के मालिक सुतरां ही के घर से निकला था.
बाली गुस्से से पागल हुआ जा रहा था. लेकिन अभी तक वो इमरान को पकड़ लेने मे सफल नहीं हो पाया था. वो केवल इसके लिए प्रयत्न-शील था की किसी तरह इमरान को पकड़ कर बेबस कर दे.
इमरान ने एक बार उसे इसका मौका दे कर इतनी फुर्ती से धोबी पाट मारा कि सुतरां और उस के आदमी एक साथ चीख पड़े.
बाली किसी बड़े शहतीर की तरह ढेर हो गया. वो चित्त पड़ा हैरत से आँखें फाडे आसमान को देख रहा था. फिर अचानक उठा और
बेतहाशा गेट की तरफ दौड़ता चला गया. पता नहीं वो भयभीत था या इस पराजय के बाद सुतरां का सामना नहीं करना चाहता था.
ओ सब बेतहाशा हंस पड़े......और इमरान तीर की तरह घर मे आया. वो अपने पीछे सुतरां की आवाज़ सुन रहा था......."नहीं तुम सब यहीं ठहरो. गेट बंद कर दो. आज कुच्छ ना कुच्छ हो कर रहेगा. वो बेशरम अधिक आदमी ले कर आएगा. शायद आज मुझे पोलीस की ही मदद लेनी पड़े."
इमरान सीधा किचन मे आया और चूल्हे पर फ्राइ-पॅन रख कर उस मे रिफाइन-आयिल डालने लगा.
"अर्रे....अर्रे...." अगता ने कहा....जो उसके पिछे पिछे ही दौड़ी हुई आई थी.
"क्यों.....क्या हुआ?" इमरान ने हैरत भरे स्वर मे पुछा.
"अरे.......तुम अभी लड़ रहे थे.......अभी खाना पकाने लगे....!!"
"हाएन्न......तो क्या खाने से भी हाथा-पाई करूँ?" इमरान ने आँखें फाड़ कर कहा.
"अजीब आदमी हो...." अगता हंस पड़ी.
"इधर आओ...." बाहर से आवाज़ आई. इमरान चौंक पड़ा......सुतरां उसे बुला रहा था.
वो किचन से निकल आया. सुतरां ने उसे उपर से नीचे तक देख कर कहा....."तुम कॉन हो?"
"पहले ये बताओ पापा.....कि काम का आदमी है या नहीं?" अगता बोल पड़ी.
"बहुत ज़्यादा....." बूढ़े ने उत्तर दिया "लेकिन ये है कॉन?"
"मैं खाना भी बहुत अच्छा पका सकता हूँ मोस्सीओ...." इमरान ने कहा.
"वो तो ठीक है मगर असल मे तुम कॉन हो?"
"एक मुसाफिर.........इसी आदमी 'बाली' की तलाश मे यहाँ आया था. साइप्रस मे मेरे मौसा को पेड़ से उल्टा लटका कर गोली मार दी थी.......मैं भी उसके साथ वही सलूक करना चाहता हूँ."
"क्या वो तुम्हें पहचानता है?"
"हां.......इसी लिए मैं ने अपना मूह छुपा लिया था.......वरना वो मुझ से छुटकारा पाने के लिए पोलीस की मदद लेने के लिए दौड़ा जाता और मेरा खेल ख़तम हो जाता."
"होशियार भी हो......"
"बड़े बड़े नुकसान उठा कर यहाँ तक पहुँचा हूँ. मेरे साथ चार आदमी और भी हैं.......जिन मे एक औरत है...."
"औरत....?" अगता उछल पड़ी.
"हां......मेरे दोस्त की वाइफ. जिस के मोटर लॉंच पर साइप्रस यहाँ तक आए थे."
"मोटर लॉंच पर.....?" सुतरां ने हैरत से कहा.
"हां.....बड़े बड़े ख़तरों का सामना करना पड़ा था हमें. हम जंगल की तरफ वाले साहिल पर उतरे थे. दूसरे दिन पोलीस ने हमारी लॉंच पर क़ब्ज़ा कर लिया. हम कौड़ी कौड़ी के मुहताज हो गये. जंगल मे कयि बार बाली और उस के साथियों से झड़प हो चुकी है. लेकिन वो बच कर निकल ही गया. अब जब तक वो हम मे से एक एक को नहीं मार डालेगा उसे चैन नहीं मिलेगा. इस समय बहुत अच्छा मौका था. मैं
उसे ख़तम ही कर देता. मगर फिर सोचा की आप कठिनाई मे पड़ जाएँगे अगर उसकी लाश आप के कॉंपाउंड से उठाई गयी."
"बहुत समझदार हो."
"वो काला आदमी मेरे साथियों मे से ही था."
"क्या??"
"हां मोस्सीओ......वो चोर नहीं है. भूक से परेशान हो कर उस ने मछलियाँ चुराने की कोशिश की होगी. मेरे सभी साथी भूके होंगे. उन के पास यहाँ की करेन्सी नहीं है. बाली उसे इस लिए यहाँ से ले जाना चाहता था की उस से हमारा पता पुच्छे."
फिर इमरान ने उसे बताया कि किस तरह वो आज अगता से मिला था......और मिकेल को लाने मे मदग की थी. फिर वापसी पर अपने साथियों को गुफा मे नहीं पाया था. इस के बाद अगता बोली.
"मुझे इस की बातों पर विश्वास नहीं हुआ था. मैं यही समझती थी कि ये बाली का ही आदमी है.....और किसी ख़ास मकसद के लिए हमारा भरोसा पाना चाहता है. इस लिए मैं ने इस का पिच्छा किया था. लेकिन वहाँ इस को बाली और उसके साथियों से उलझते पाया."
उस ने पूरी घटना सुना दी.
सुतरां सुनता रहा. जब वो चुप हुई तो एक लंबी साँस ले कर बोला....."ठीक है मगर ये भी सोचना पड़ेगा कि इन लोगों का आइलॅंड मे प्रवेश क़ानूनी नहीं है."
"ये समस्या मेरी निगाह मे भी है. इसी लिए मैं चाहता हूँ कि किसी शरीफ आदमी के लिए बोझ ना बनूँ. यही बात मैं ने मेडम अगता को भी समझाने की कोशिश की थी."
(जारी)
|