RE: Hindi Porn Story चीखती रूहें
"जिबरल्तेर से.....डॉन धिमप नाम है." इमरान ने उत्तर दिया.
"ओह्ह.....स्पैनी हो....?"
"एस सेनूरा.....सुर्ख गुलाब मेरी कमज़ोरी है. आइ आम रियली सॉरी...." इमरान उसके सम्मान मे झुका.
"तुम ने अन्नेसेसरी मेरा टाइम वेस्ट किया." औरत फिर मुस्कुराइ.
"मैं एक बार फिर माफी चाहता हूँ सेनूरा."
"तुम झूठे हो....सॉफ सॉफ बताओ क्या चाहते हो?"
"अब तो मैं केवल ये चाहता हूँ कि आप मुझे गोली मार दें. मेरे लिए इसकी कल्पना भी कष्ट-दायक है कि मेरे कारण आपका समय नष्ट हुआ."
"बिल्कुल झूठे हो..." औरत उंगली उठा कर हँसी. "तुम बाली का अक्वेरियम देखने आए हो......जो लटोशे की एक बहुत फेमस चीज़ है."
"उम्म....ब्ब...." इमरान केवल हकला कर रह गया. फिर मूर्खों की तरह हँसने लगा.
"झूठ कह रही हूँ.....या अब भी दाँतों मे गुलाब दबा रखा है? गधे कहीं के.....तुम्हें झूठ बोलना भी नहीं आता. चलो तुम्हें
अक्वेरियम दिखाउ.......लेकिन एक शर्त है......तुम मुझे स्पेन की कहानियाँ सूनाओगे."
"ज़रूर....ज़रूर....सेनूरा. मुझे स्पेन की अनगिनत कहानियाँ याद हैं. स्पेन गीतों और कहानियों का देश है."
इमरान को आशा नहीं थी कि इतनी आसानी से वो बाली के कॉंपाउंड मे प्रवेश कर सकेगा. उस ने तो बस यूँ ही अंधेरे मे एक तीर फेंका था. और फिर वो एक ऐसे द्वीप की बात थी जहाँ फ्रेंच कल्चर की छाया थी. वरना अगर कहीं उस ने अपने देश की किसी औरत के दाँतों मे गुलाब देखने की कोशिश की होती तो खुद उसके दाँत शायद तोड़ दिए जाते.
औरत उसे कॉंपाउंड मे लाई.
"अक्वेरियम की देख भाल मैं ही करती हूँ." औरत कह रही थी. "बाली का शौक तो केवल चार दिन का होता है. मछलियाँ पाल लीं और
फिर उसे भूल गया. बहुत बड़ी राशि खर्च हुई है इन मछलियों पर. यहाँ दुनिया भर की मछलियों की प्रजाती मिल जाएँगी."
"तो मैं आप को मेडम बाली के नाम से संबोधित करूँ सेनूरा?"
"अर्रे नहीं........हुशटत.....वो मेरा सौतेला बेटा है."
"ओह्ह....आइ आम सॉरी मेडम."
वो उसे इमारत मे लाई और फिर वो उस बड़े कमरे मे पहुँचे जहाँ शीशे के बड़े बड़े बॉक्स मे रंगा-रंग मछलियाँ तैर रही थीं.
इमरान ने शुद्ध बचकाना अंदाज़ मे खुशी ज़ाहिर की. औरत शायद अंदाज़ लगाने की कोशिश कर रही थी कि वो सच मुच ऐसा है या बन रहा है. लेकिन उसे इमरान की आँखों मे सादगी, मासूमियत और बेवकूफी के अलावा और क्या मिलता.
"केवल टूरिज्म के मकसद से आए हो?"
"हां सेनूरा.....लटोशे....हाए.....जन्नत का टुकड़ा है. मुझे बहुत पसंद आया. अगली बार अपने बाप को भी लाउन्गा."
"बाप....?" औरत ने हैरत से कहा.
"हां.....मेरा एक बाप भी है."
"बस......एक ही?" औरत ने हैरत भरी गंभीरता से कहा.
"हां.....फिलहाल तो एक ही है." इमरान ने मूर्खों की तरह उत्तर दिया. फिर खिसियानी हँसी हंसता हुआ बोला...."मैं भी कितना गधा हूँ."
"मुझे हैरत है कि तुम जैसे आदमी को तुम्हारे बाप ने अकेला कैसे आने दिया."
"नहीं आने देता....मगर मैं ने भी शादी कर लेने की धमकी दे दी थी."
"क्या मतलब....? मैं समझी नहीं."
"वो जब भी गुस्सा होता है शादी कर लेने की धमकी देता है. इस बार मैं ने भी यही धमकी दी थी. इस लिए चुप हो गया. वरना कभी
मुझे अकेला सफ़र करने नहीं देता. वही तो सब से कहता फिरता है कि मैं बिल्कुल गधा हूँ."
वो अक्वेरियम देख चुका तो औरत ने एक नौकर को आदेश दिया कि लॉन पर चाइ के लिए मेज़ लगाई जाए. फिर इमरान से बोली, "अब तुम मुझे स्पेन की कहानियाँ सूनाओ."
"ज़रूर सुनाउन्गा सेनूरा...." इमरान ने कहा. वो सोच रहा था कि बाली ने अपने कैदियों को इस इमारत मे तो हरगिज़ नहीं रखा होगा. वो थोड़ी देर तक पोर्च मे खड़े रहे फिर लॉन की तरफ बढ़े. एक घने पेड़ के नीचे एक मेज़ और टीन चेर्स डाली गयी थीं.
"बैठो..." औरत ने मुस्कुरा कर कहा. "मुझे पता है कि स्पैनी गधे हरियाली को बहुत पसंद करते हैं. अगर उनका वश चले तो अपनी खोपड़ियों मे भी घास उगा लें."
"आइडिया...." इमरान मेज़ पर हाथ मार कर उछल पड़ा. कुच्छ देर मूह खोले और आँखें फाडे उसकी तरफ देखता रहा फिर बोला..."मैं ज़रूर कोशिश करूँगा. स्पेन मे अपने तरह का एक अलग ही काम होगा."
"क्या.....?"
"खोपड़ी पर हरियाली उगाना." इमरान सर पर हाथ फेरता हुआ बोला. थोड़ी सी मिट्टी जमाई.....और बीज डाल दिए. डेली थोड़ा थोड़ा सा पानी देते रहे. इस नये विचार के लिए मैं आप का आभारी हूँ मेडम."
"मगर इस का ख़याल रखना कि कहीं दूसरे गधे तुम्हारी खोपड़ी पर मूह ना मारने लगें." औरत ने हंस कर कहा.
"हां.....ये बात तो है...." इमरान ने चिंता भरी आवाज़ मे कहा और उदास दिखाई देने लगा.
कुच्छ देर तक खामोशी रही फिर खुद ही चौंक कर बोला. "अभी क्या बातें हो रही थीं?"
"तुम स्पेन की कोई कहानी सुनाने वाले थे."
"ओ...हां....जी हां....सदिया बीतीं....अल-हमरा के महल की दीवारें उस बुद्धिमान बकरे की आवाज़ों से गूंजते रहते थे..."
"इमरान ने किसी बकरे की तरह ही दो तीन बार आवाज़ें निकालीं और औरत झुंजला कर चारों तरफ देखती हुई बोली "ये क्या शुरू कर दिया तुम ने?"
"स्टाइल सेनूरा..." इमरान ने गंभीरता से कहा. "अल-हमरा के गाइड इस तरह कहानियाँ सुनाते हैं जिस तरह रेडियो पर साउंड एफेक्ट देने वाले झक्क मारने की आवाज़ देने से भी नहीं चूकते. इसी तरह अल-हमरा के गाइड कहानियाँ सुनाते समय कभी घोड़े बन जाते हैं कभी गधे और कभी बकरे."
"मगर तुम इस बात का ख़याल रखो कि तुम इस समय एक सिविलाइज़्ड आदमी के घर पर हो."
"ख़याल रखने की आवाज़ इस तरह पैदा करते हैं." इमरान ने कहा और अपने सर पर दोहत्थड मारने लगा.
"अरे....अरे....तुम्हारा दिमाग़ तो नहीं खराब हो गया?"
"और दिमाग़ खराब होने की आवाज़...." इमरान खड़ा हो गया "बताऊ दिमाग़ खराब होने की आवाज़....?"
"मैं नौकरों को पुकार लूँगी...." औरत उठ कर पिछे हटती हुई डरी हुई आवाज़ मे बोली......और इमरान हंसता हुआ बैठ गया......और इस तरह सुकून से बैठा की कोई बात ही नहीं हुई हो.
औरत आँखें फाडे हैरत से उसे देखती रही फिर बोली....."जाओ.....यहाँ से चले जाओ."
"चाय अभी तक नहीं आई." इमरान ने बड़े भोलेपन से कहा. "बैठ जाइए हां तो मैं ये कह रहा था कि उन दिनों गार्नाता पर प्रिन्स अबू-बुलबुल की हुकूमत थी. जो दिन रात तबला बजाता रहता था. उस के पास एक ऐसा बुद्धिमान बकरा था......बैठ जाइए ना.....आप तो खफा हो गयीं
. हम स्पैनी ऐसे ही गधे होते हैं. आइए...."
औरत कुच्छ बड़बड़ाती हुई फिर आ बैठी. उस की आँखों मे उलझन के भाव थे.
"हां....तो उस बुद्धिमान बकरे की ये विशेषता थी कि जब की किसी दिशा से कोई आक्रमण कारी गारनता पर चढ़ाई करता.....वो उसी दिशा मे मूह उठा कर चीखने लगता. लेकिन प्रिन्स के कान पर जूँ नहीं रेंगती. तब फिर वो बेचारा अपने शरीर से बड़ी मुश्किल से एक जूँ
तलाश कर के निकालता और प्रिन्स के कान पर छोड़ देता. फिर जैसे ही प्रिन्स के कान पर जून रेंगती .....वो तबला छोड़ कर सारंगी उठा लेता. और बकरा उस पर कृीताग्यता दिखाते हुए भूत काल अलापने लगता."
"बस करो...." औरत हाथ उठा कर बोली. "पता नहीं तुम किस प्रकार के आदमी हो."
"मेडम....मैं एक दुखी आदमी हूँ. अकेलापन और उदासी केवल मेरे लिए बनी हैं. मैं सुंदर औरतों से इसी तरह जान पहचान करने की कोशिश करता हूँ. कुच्छ देर बैठने से गम ग़लत होते हैं. थोड़ी देर के लिए मैं भूल जाता हूँ कि इस संसार मे मैं अकेला हूँ." उसकी आवाज़
थरथराने लगी और आँखों मे आँसू छलक आए. वो कहता रहा "अगर मैं ने आप का समय नष्ट किया....तो मैं माफी चाहता हूँ.......मैं जा रहा हूँ."
वो उठ गया.....साथ ही दो आँसू गालों पर धलक आए.
"अर्रे....नहीं मोस्सीओ पिंप...." औरत नर्वस हो गयी.
"पिंप नहीं धिमप...." इमरान ने हिचकी लेते हुए सही किया.
"बैठिए....बैठिए......मैं पहले ही समझ गयी थी कि आप इस तरह केवल परिचय हासिल करना चाहते हैं."
"आप कितनी अच्छी हैं....." इमरान भर्राई हुई आवाज़ मे कहा और बैठ गया.
"तुम अकेले क्यों हो?"
इमरान के अकेलेपन के किस्से के बीच चाइ आ गयी. चाइ पीते हुए इमरान इधर उधर की बाते करता हुआ बोला...."बड़ा सुंदर गार्डन है."
"अगर कोई स्पैनी तारीफ करे तो सच मूच सुंदर होगा." औरत मुस्कुराइ.
"बहुत सुंदर सेनूरा.....और वो भी केवल इस लिए कि आप इस गार्डन मे हो.....आप हट जाइए तो इसकी सुंदरता जाती रहे."
"बाते बनाना तो कोई स्पैनियों से सीखे." औरत झेन्पते हुए अंदाज़ मे हंस पड़ी.
इमरान ने उसे बातों मे उलझा कर टहलने पर राज़ी कर लिया. वो टहलते हुए बिल्डिंग से दूर वाले भाग मे आ गये.....जहाँ चारों तरफ
उँची उँची झाड़ियाँ थीं......और बाउंड्री वॉल भी एकदम निकट थी.
"अर्रे.....अर्रे....." अचानक औरत उछल पड़ी. लेकिन फिर उसके कंठ से कोई भी आवाज़ नहीं निकली. क्योंकि इमरान का एक हाथ उसके मूह पर था और दूसरे से वो उस की गर्दन दबा रहा था......लेकिन उस ने गर्दन पर इतना ही ज़ोर डाला की वो केवल बेहोश हो जाए.
उस ने उसे बहुत धीरे से ज़मीन पर डाल दिया और तेज़ी से उसका पर्स खोल डाला. कुच्छ ही देर बाद खाली पर्स बेहोश औरत के करीब पड़ा
हुआ था और इमरान बाउंड्री वॉल पर चढ़ कर दूसरी तरफ उतर रहा था.
(जारी)
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