RE: Hindi Porn Story चीखती रूहें
इमरान अगता के घर पहुँचा तो पता चला; कि सुतरां सुबह से गायब है. उस के आदमियों मे से किसी को भी मालूम नहीं था कि वो कहाँ होगा.
"कल बाली का खामोश रह जाना मेरी समझ मे नहीं आ सका था." अगता ने कहा. "पापा निश्चित रूप से ख़तरे मे होंगे. मैं क्या करूँ?"
इमरान ने तुरंत उत्तर नहीं दिया. थोड़ी देर कुच्छ सोचता रहा फिर बोला "अगर मैं मोस्सीओ मिकेल की थोड़ी मरम्मत कर दूं तो तुम्हें बुरा तो नहीं लगेगा?"
"क्यों....? मिककेल क्यों...? मैं समझी नहीं."
"अभी मैं तुम्हें समझा भी नहीं सकता."
"तुम क्या करोगे?"
"अगर ज़रूरत पड़ी तो उस की पिटाई भी करूँगा."
"नहीं...." अगता ने हैरत भरे स्वर मे कहा. "लेकिन पापा की गुमशुदगी से उस का क्या संबंध?"
"चिंता मत करो.....मैं संबंध पैदा कर लेने का स्पेशलिस्ट हूँ. अभी केवल नौकरों को बाहर निकाल कर मेन गेट बंद कर दो."
"तुम उसे मारोगे?"
"ओह्हो.....बहस मत करो....अगर पापा को ज़िंदा देखना चाहती हो."
नौकर सब बाहर ही थे. अगता ने मेन गेट बंद कर दिया. इमरान ने जोसेफ को मेन गेट के निकट ही छोड़ा और वॉर्निंग दी कि कोई
अंदर आने ना पाए. हां अगर आने वाला सुतरां हो तो गेट खोल दिया जाए. फिर उस ने अगता से कहा "तुम किचन मे जाओ हनी...."
"क्यों?"
"क्या तुम उसे मार खाते देखना चाहती हो?"
"लेकिन क्यों मारोगे? बताओ......मुझे भी तो बताओ."
"ज़रूरी नहीं कि मारना ही पड़े. लेकिन अगर ज़रूरत पड़ी."
"मैं भी चलूंगी..."
"ह्म....लेकिन किसी बात मे दखल नही दोगि."
"मारना मत."
"इसी लिए कहता हूँ वहाँ मत आना. कुंजी निकालो,"
"नहीं नहीं......"
"ओके.....तो फिर पापा को मुर्दा समझो."
"ये भी नहीं हो सकता. आख़िर बताओ ना तुम क्या सोच रहे हो? क्या समझ रहे हो? मिकेल से क्या मतलब? वो तो कल से ही बंद है. थोड़ी भी देर के लिए बाहर नहीं निकल सका."
"क्या मैं ने अभी तक तुम्हारा कोई नुकसान पहुँचाया है?"
"नहीं मैं कब कहती हूँ?"
"तो फिर मुझ पर भरोसा करो. जो कुच्छ कर रहा हूँ करने दो. और हां.....ये लो अपनी वो रकम जो मैं ने तुम से उधार ली थी." इमरान ने जेब से नोटों की एक गॅडी निकाली और गिन कर कुच्छ नोट उस की तरफ बढ़ाता हुआ बोला. "मैं अपना वो बॉक्स तलाश करने मे सफल हो चुका हूँ......जिस मे करेन्सी थी."
"मैं क्या करूँगी.....रखो. मैं ने तो क़र्ज़ नहीं दिया था."
"लेकिन मैं ने तो क़र्ज़ ही लिया था.....चलो जल्दी करो. कुंजी निकालो."
"चलो मैं भी चलती हूँ......दखल नहीं दूँगी."
"और अगर दिया तो समझ लो मेरा गुस्सा बड़ा खराब है. पिच्छले साल मैं किसी बात पर गुस्सा हो कर चाइ के तीन चार सेट चबा गया था."
"हँसने को दिल नहीं चाहता लेकिन तुम हंसा देते हो." वो फीकी सी हँसी के साथ बोली.
कमरे की खिड़की के पास एक स्टूल पर एक केरोसिने लॅंप रखा हुआ था. जिस से कमरे मे भी रौशनी थी. लॅंप अंदर रखने के लिए कमरा खोलना पड़ता.
अगता को खिड़की के पास देख कर मिकेल चिल्लाने लगा. वो इमरान को भी गालियाँ दे रहा था.
इमरान ने जैसे ही गेट खोला.....मिकेल ने उस पर छलान्ग लगाई. लेकिन इमरान ने डोज दे कर खोपड़ी से उस के सीने पर इतना ज़ोर
से ठोकर मारी कि वो चिंघाड़ता हुआ दूसरी तरफ उलट गया.
अगता भी लॅंप उठाए कमरे मे घुस आई.
"मिकेल दीवार से लगा बैठा गालियाँ दे रहा था.
"इस समय मैं बहुत गुस्से मे हूँ मोस्सीओ मिकेल. इस लिए थोड़ा नर्म टाइप की गालियाँ इस्तेमाल करो." इमरान ने हाथ उठा कर कहा. "और मैं ये भी नहीं चाहता की मेडम अगता की मौजूदगी मे......."
"चले जाओ यहाँ से......वरना दोनों की जान ले लूँगा." मिकेल कंठ फाड़ कर दहाडा.
"लेकिन उस से पहले बताना पड़ेगा कि तुम्हें कोकीन कहाँ से मिलती है?"
"कोकीन....?" मिकेल और अगता के मूह से एक साथ निकला.
"हां....कोकीन. ये बात कम से कम मुझ से नहीं छुप सकती.......कि तुम कोकीन के आदि हो."
"मिकेल थोड़ी देर कुच्छ सोचता रहा फिर उसके कंठ से कुच्छ बे-मानी किस्म की आवाज़ निकलने लगी. शायद अत्यंत गुस्से के लिए उसके पास कोई शब्द नहीं बचे थे.
"कोकीन......ये तुम क्या कह रहे हो?" अगता ने कहा.
"ओ....कुतिया...." मिकेल गुर्राया "मैं सब समझता हूँ.....तू मुझे जैल भिजवा कर ऐश करना चाहती है."
"होश मे रहो मिकेल.....मैं कहे देती हूँ....."
"कहाँ है सुतरां......बुलाओ उस बेशरम को." मिकेल चिल्ला कर बोला.
"तुम लॅंप खिड़की पर रख दो और जोसेफ को यहाँ भेज कर खुद मेन गेट के निकट ठहरो." इमरान ने अगता से कहा.
"ओके.....जो जी चाहे करो....मैं दखल नहीं दूँगी. सुन रहे हो इस कमीने की बातें."
वो लॅंप रख कर चली गयी.
(जारी)
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