RE: Hindi Porn Story चीखती रूहें
और फिर उस ने उसे पहचान लिया. ये इमरान के अलावा और कों हो सकता था. इमरान जो बाली के नक़ाब पोशो मे से एक था.
बाली के हाथ पैर सुस्त पड़ते जा रहे थे. इमरान उसे छोड़ कर हट गया.....लेकिन बाली ने उठने की कोशिश नहीं की.
"तो अब समय क्यों बर्बाद कर रहे हो?" जूलीया जल्दी से बोली "कहीं वो वापस ना आ जाएँ."
"नहीं.......वो इमरान को खोज कर साथ लिए बिना वापस नहीं आएँगे." इमरान एक आँख दबा कर बोला.
बाली हैरत से आँखें फाडे उसे देख रहा था.
"तुम.....तुम........ओह्ह......" उस ने उठने की कोशिश की और इमरान ने खुद ही उसका कॉलर पकड़ कर उठा दिया.
"यस बाली........अब बताओ." उस ने कहा "अगर अभी कसरत से दिल नहीं भरा तो फिर शुरू हो जाओ.....चलो."
लेकिन बाली मे शायद अब हिम्मत और शक्ति दोनों नहीं रह गयी थी. उस के होंठो पर फीकी सी मुस्कुराहट दिखाई दी और उस ने धीरे
से कहा "तुम बहुत नुकसान मे रहोगे. यहाँ की पोलीस तुम्हें किसी तरह भी नहीं छोड़ोगी तुम अब भी हमारी दया पर हो."
"सुनो बाली..........मैं बोघा को मुर्गा बनाने का इरादा लेकर घर से निकला हूँ. इस लिए मुझे धमकियाँ देने की कोशिश मत करो."
"अगर तुम पोलीस के सामने बोघा का नाम लोगे तो यही समझा जाएगा कि तुम्हारा मानसिक संतुलन बिगड़ गया है. क्यों कि पोलीस किसी ऐसे आदमी की अस्तित्व से परिचित नहीं है जिस का नाम बोघा हो. और फिर तुम अपनी असलियत तो प्रकट कर ही नहीं सकोगे. इस लिए तुम्हें सारी ज़िंदगी जैल ही मे काटनी पड़ेगी. क्या समझे?"
"चलो...." इमरान ने उसे मेज़ की तरफ धक्का दिया......और वो लरखड़ाता हुआ आगे बढ़ गया. वो लंगड़ा भी रहा था. शायद पैर मे मोच आई थी.
मेज़ के निकट पहुँच कर पलटा ही था कि इमरान ने लपक कर उस की गर्दन पकड़ ली.
"मैं इन दोनों की असली शकलें(रियल फेसस) देखना चाहता हूँ." इमरान ने मेज़ पर पड़े हुए बेहोश आदमियों की तरफ देख कर कहा.
"असली शकलें?" बाली ने भर्रायि हुई आवाज़ मे दुहराया.
"हां.....असली शकलें....तुम किसी मूर्ख व्यक्ति को और भी मूर्ख बनाने की योग्यता नहीं रखते. चलो जल्दी करो......इन के चेहरों से मेक-
अप ख़तम करो......पता नहीं बोघा के सारे नौकर तुम्हारी तरह गधे हैं या उन मे से कोई अकल भी रखता है."
"पता नहीं क्या बक रहे हो? ये इन की असली ही शकलें हैं." बाली ने कहा और फिर इमरान से लिपट पड़ा. इस बार वो जान की बाज़ी लगा कर हमला कर रहा था. कुच्छ पल के लिए तो इमरान भी चकरा गया. एकदम से ऐसा लग रहा था जैसे ये कोई दूसरा आदमी हो.....बाली ना हो जिसे कुच्छ देर पहले उस ने किसी चूहे की तरह रगड़ा था.
इधर इमरान को बाली से उलझा छोड़ कर जूलीया बेहोश आदमियों की तरफ अट्रॅक्ट हुई. सब से पहले उसका हाथ पादरी स्मिथ की दाढ़ी पर पड़ा और वो बहुत आसानी से उखड़ती चली गयी. कमरे मे ही एक बॉटल मे पानी रखा हुआ था. जूलीया उसे उठा कर मेज़ की तरफ आई.
फिर जल्दी ही वो किसी हद तक उनका मेक-अप समाप्त कर देने मे सफल हो गयी. लेकिन हैरत की अधिकता के कारण उस की
आँखें उबली पड़ रही थीं. क्यों कि ये सफदार और चौहान थे.
उस ने मूड कर उन दोनों की तरफ देखा जो अभी तक एक दूसरे से भिड़े हुए थे. वो उलझन मे थी कि आख़िर इमरान जल्दी से ये किस्सा ख़तम क्यों नहीं कर देता. उसे दूसरे नक़ाब पोषों की वापसी की आशंका थी.
अचानक इमरान ने बाली को भी हाथों पर उठा लिया और बाली अनायास चीखा "नहिन्न्न.....नहिंन्न्न्..."
अब उस मे और अधिक संघर्ष करने की शक्ति नहीं थी. नाक से खून लगातार बहे जा रहा था.
इमरान ने उसे धीरे से फर्श पर खड़ा कर दिया.
"सुतरां कहाँ है?" उस ने पुछा.
"जंगल मे." बाली हांफता हुआ बोला. "लेकिन तुम्हें उस से कोई मतलब नहीं होनी चाहिए."
"हलाकी यूँ उसे इसी लिए पकड़ ले गये थे कि मेरे बारे मे पता कर सको. तुम्हें संदेह था कि वो नौकर जिस ने तुम पर हमला किया था वो मैं ही हो सकता हूँ...........बोघा कहाँ है?"
"मैं नहीं जानता...."
"तुम बिल्कुल मूर्ख हो. बोघा एक अत्यंत सेल्फिश आदमी है. तुम्हें पता होगा कि वो अपने आदमियों को शतरंज के मोहरों से अधिक महत्त्व नहीं देता."
इमरान ने उन आदमियों का रिफ्रन्स दिया जिन्हें बोघा ने बलि का बकरा बना कर इमरान और उस के साथियों को फांसा था. "वो आज भी हमारे देश के किसी जैल मे एडियाँ रगड़ रहे होंगे." उस ने लंबी साँस ले कर कहा...."और एक दिन यही हशर तुम्हारा भी होगा. एकदम
ऐसा ही. क्या समझे? मैं जा रहा हूँ. मुझे कोई भी नहीं रोक सकेगा. लेकिन अगर मैं निकल गया तो क्या बोघा तुम्हें ज़िंदा छोड़ेगा? कभी नहीं
. वो या तो तुम्हें ख़तम करा देगा या तुम लटोशे की जैल मे सड़ जाओगे."
बाली कुच्छ ना बोला.....वो घुटनों पर सर रख कर उकड़ू बैठ गया था.
"याइ.....ये सफदार और चौहान....." जूलीया ने भर्रायि हुई आवाज़ मे कहा.
"मैं जानता था....." इमरान बोला "ये भी केवल संयोग ही है कि इस समय मैं उसी राह पर आ लगा वरना ये दोनों कुच्छ देर बाद पोलीस
की हिरासत मे होते......क्या तुम बता सकती हो कि इस समय कहाँ हो?"
"मैं नहीं जानती."
"स्मिथ की कोठी वाले तहख़ाने मे और उपर पोलीस मौजूद है. प्रोग्राम ये था कि हमें और कुच्छ स्मगल किया हुआ समान यहाँ छोड़ कर भाग जाते और ऐसी हरकतें करते कि पोलीस को तहख़ाने का रास्ता पता चल जाता. हम पकड़े जाते लेकिन पोलीस को अपनी असलियत नहीं बता सकते. पोलीस हमें जैल मे डाल कर निश्चिंत हो जाती कि पादरी स्मिथ का किस्सा ख़तम हो गया. और पादरी स्मिथ का मेक-अप हमारे लिए और भी उलझन पैदा कर देता. पोलीस ये समझती कि कोई ना-मालूम आदमी पादरी स्मिथ के भेष में उन्हें शुरू से ही धोका देता रहा है. अगर हम अपनी असलियत बताते तो हमारी सरकार और फ्रॅन्स की सरकार के बीच संबंध खराब हो जाते. यही एक पॉइंट ऐसा था जिस के आधार पर बोघा ने इतना कष्ट झेल कर हमें यहाँ लाने का प्रोग्राम बनाया था. अगर इस काम के लिए किसी और को फाँसता तो वो बोघा और उसके ऑर्गनाइज़ेशन का नाम ज़रूर लेता. या अगर वो उस से अंजान होता तो खुद उसके बारे मे छान बिन कर के पोलीस सॅटिस्फाइड हो ही सकती थी लेकिन हम अपना अता-पता क्या बताते. हम अगर बोघा का नाम लेते भी तो अपने बारे मे क्या बताते. ज़ाहिर है की इस से बोघा का काम निकल जाता......और एक दुश्मन भी कम हो जाता. लेकिन अब ये बाली........जगह लेगा स्मिथ की........."
"नहीं......नहिन्न्न...." बाली एका-एक अपना सर उठा कर बोला. "तुम ऐसा नहीं कर सकते."
"अभी बताता हूँ कि ये मेरे लिए कितना आसान है. मैं देख रहा हूँ कि यहाँ इस कमरे मे मेक-अप का समान अवेलबल है. मैं तुम्हें बेहोश कर दूँगा और सुतरां का पता मुझे ये बताएगा....." इमरान ने बेहोश नक़ाब-पॉश की तरफ इशारा करते हुए कहा.
(जारी)
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