RE: Hindi Porn Story चीखती रूहें
इमरान ने बेहोश नक़ाब-पॉश की तरफ इशारा करते हुए कहा. ये मुझे उस जगह निश्चित रूप से पहुँचाएगा जहाँ तुम ने सुतरां को रोक रखा
है. सुतरां की बेटी पोलीस को इनफॉर्म कर चुकी है कि सुतरां गायब है और उस से तुम्हारा झगड़ा हुआ था. सुतरां तुम्हारी क़ैद से रिहा हो कर सीधा पोलीस स्टेशन जाएगा और पोलीस को एक इंट्रेस्टिंग कहानी सुनाएगा. यही कि आज शाम को वो अपने फिशिंग बोट्स को देख भाल कर के वापसी मे जंगल से गुज़र रहा था कि उस ने कुच्छ आदमियों को कुच्छ भारी थैले उठाए हुए देखा जो एक पथरीली दरार से गुज़र कर जंगल मे प्रवेश कर रहे थे.......और नीचे दरार के निकट एक बड़ा बोट पानी मे रुका हुआ था. उन लोगों ने सुतरां को पकड़ लिया और इस तहख़ाने मे ले आए. यहाँ पादरी स्मिथ मौजूद था. वो उन लोगों पर बहुत बिगड़ा.....की वो सुतरां को यहीं क्यों लाए......वहीं कहीं मार कर डाल दिया होता. वो उन्हें बुरा भला कहता रहा और इसी पर इतनी बात बढ़ी कि वो आपस मे झगड़ा कर बैठे. कुच्छ आदमी स्मिथ का
फेवर कर रहे थे और कुच्छ विरोध. उन मे मार पीट होने लगा......इतनी अधिक लड़ाई हुई कि कयि ज़ख़्मी हो गये.......और सुतरां लकड़ियों के उन बॉक्सस के पिछे छुप गया. कुच्छ देर बाद शोर थमा और वो सुतरां के बारे मे बात करने लगे. फिर किसी ने कहा शायद वो निकल गया. अब वो उसके बारे मे चिंतित हो गये. उन्होने आपस मे तय किया कि सुतरां को पोलीस तक पहुँचने ना दिया जाए.......वरना सब
पकड़े जाएँगे. सुतरां ने आवाज़ों से अनुमान लगाया कि वो सब चले गये हैं. वो जब बॉक्सस के ढेर से बाहर निकला तब उसकी नज़र स्मिथ पर पड़ी......जो ज़ख़्मी हो कर वहीं बेहोश पड़ा रह गया था. और अब चलिए हुज़ूर वहाँ उस तहख़ाने मे मैं ने सोने के ढेर भी देखे हैं."
बाली बौखला कर खड़ा हो गया. उस के होंठ एक दूसरे पर मज़बूती से जमे हुए थे. साँस फूल रही थी. आँखें बाहर निकली जा रही थीं.
इमरान उस के चेहरे के पास उंगली नचा कर बोला "और तब कितना मज़ा आएगा दोस्त...........जब स्मिथ की दाढ़ी के पिछे से बाली का चेहरा निकलेगा."
"नहीं.....नहीं...." बाली सर पकड़ कर बैठ गया.
"तुम लोगों की स्कीम तो यही थी कि हम खुद ही जाल मे फँस जाएँ." इमरान मुस्कुराया "लेकिन ऐसा ना हो सका. तुम समझते थे कि हम सब जाली करेन्सी नोट जेबों मे ठूंस कर खुशियाँ मनाते फिरेंगे लेकिन अफ़सोस कि केवल बोघा की बेटी और दामाद ही इस चक्कर मे आए. तुम समझे थे कि हम भी पकड़े जाएँगे और उसी बदनाम कोठी का पता बताएँगे लेकिन अपने बारे मे कुच्छ ना बता सकेंगे. तुम लोग कोठी से कुच्छ स्मगल किया हुआ समान भी बरामद करवा देते............जो हमारो ताबूतों मे अंतिम कील साबित होती. और उस के बाद ही जंगल
की रूहे चीखना बंद कर देतीं. मगर वो बड़े शानदार रेकॉर्डरर्स हैं जिन की आवाज़ें लाउड स्पीकेर्स से जंगल मे फैलाते हैं. शायद ये
सारा समान जंगल ही मे किसी गुफा मे होगा......क्यों? एनीवे जब आवाज़ें बंद हो जातीं तो पोलीस यही समझती कि उसने असली मुजरिमों
का सफ़ाया कर दिया है.......है ना यही बात? या फिर ये करते की हम मे से किसी को काबू मे कर के इसी तरह स्मिथ बना देते जैसे
मेरे साथी चौहान को इस समय बनाया था.....और वो बेहोशी की हालत मे ही पोलीस की हिरासत मे पहुँचा दिया जाता. था.....लेकिन अब तुम तैयार हो जाओ बाली..........पासा पलट गया.....मैं इस समय मास्टर ऑफ सिचुयेशन हूँ......और ये तुम्हारे आदमी तो चूहों की तरह भागते फिरेंगे. मुझे दुख है की बोघा ने तुम्हें मेरे बारे मे अंधेरे मे रखा.......वरना तुम कम से कम मुझ से भिड़ने की ज़िम्मेदारी नहीं लेते."
"समझोता कर लो..." अचानक बाली दोनों हाथ उठा कर बोला.
"हंप....." इमरान ने सोचने के अंदाज़ मे अपनी आँखें सिकुडाइ और फिर हंस पड़ा.
"भला तुम से समझौते का क्या रूप होगा....?"
"मैं वादा करता हूँ कि तुम लोगों को यहाँ से निकाल दूँगा."
"और दो-तीन दिन मेरी मेज़बानी करोगे." इमरान मुस्कुराया.
"यस.....मैं वादा करता हूँ."
"अभी और इसी समय तुम्हें मेरे साथ पोर्ट सयीद चलना पड़ेगा. मैं जानता हूँ कि तुम्हारा एक स्टीमर बंदरगाह पर खड़ा है. वो पोर्ट साइड की तरफ जाएगा."
"इंपॉसिबल......तुम बंदरगाह से स्टीमर तक कैसे पहुँचोगे?"
"मैं ये भी जानता हूँ कि जंगल के एक दुर्गम भाग मे एक पथरीली दरार मे तुम्हारी लॉंच हर समय तैयार रहती है......जो आइलॅंड से
5 किलोमेटेर की दूरी पर स्टीमर्स से संपर्क कर सकती है......क्या हम लोगों को लाने के लिए यही तरीका नहीं अपनाया गया था?"
"मगर मुझ मे चलने फिरने की शक्ति नहीं है."
"ये लड़की तुम से मीठी मीठी बातें करती चलेगी......चिंता मत करो. सुंदर नारियाँ तो मुर्दों मे भी जान डाल देती हैं......दादा जी कहा करते थे."
जूलीया जो इस बीच लगातार सफदार और चौहान के चेहरों पर पानी के छिन्टे देती रही थी.....खुशी भरे लहजे मे बोली...."ये होश मे आ रहे हैं."
कुच्छ देर बाद बाली को इमरान की बात पर राज़ी होना पड़ा. इमरान ने अपने चेहरे पर नक़ाब लगा लिया. सफदार और चौहान अब पूरी तरह होश मे आ गये थे.
"मगर तुम मेरे आदमियों मे कब और कैसे आ मिले थे?" बाली ने पुछा.
"पहले तुम बताओ कि इस तरह जंगल मे जूलीया से परेड क्यों करा रहे थे?"
"तुम्हें फसाने के लिए....मुझे विश्वास था कि तुम सुतरां की तलाश के लिए ज़रूर निकलोगे. मुझे सुतरां के नौकर ने जिस आदमी का
हुलिया बताया था उस से मैं ने अंदाज़ लगा लिया था कि वो तुम ही हो सकते हो. सुतरां को इसी लिए पकड़ा था कि तुम उसे तलाश करने जंगल मे आओगे."
"और फिर तुम्हारे आदमियों ने सीटी की आवाज़ सुनी." इमरान बाई आँख दबा कर बोला. "हलाकी वो मेरी ही कंठ से निकली थी."
"नहीं...." बाली के चेहरे पर हैरत भरी बौखलाहट थी.
"बोघा तो गधा है ही......तुम्हें क्या कहूँ....." इमरान मुस्कुरा कर बोला. "जूलीया जहाँ बेहोश पड़ी थी.....वहीं.....नज़दीक ही एक बड़े पत्थर की ओट मे मैं भी छुप गया. तुम कुच्छ देर बाद अपने आदमियों के साथ आए और तुम्हारे कुच्छ आदमी इधर उधर फैल कर पोलीस की आहट लेने लगे. एक भाग्यशाली मेरी तरफ भी आ निकला. बस फिर मैं ने इतनी सावधानी से उस की गर्दन दबाई कि वो हाथ पैर भी ना फेंक सका
. लेकिन मकसद केवल अपना बचाओ था क्यों की उस ने शायद मुझे देख लिया था. ये तो बाद मे पता चला की वो आदमी कितना इंपॉर्टेंट है. सब से काम की चीज़ उसका नक़ाब था. और तुम डरो नहीं......वो मरा ना होगा. बस ये नक़ाब मुझे यहाँ तक ले आई.....................और
हां आज मैं ने तुम्हारी सौतेली माँ से कुच्छ पैसे भी क़र्ज़ लिए थे.......नौकरी मिलते ही वापस कर दूँगा."
"ओह्ह......वो तुम ही थे...." बाली ने हैरत से कहा.
"हां.....कभी कभी मुझ से बुद्धिमानी का काम भी हो जाता है."
"क्या तुम मुझे इसी तरह सीधे चलने पर मजबूर करोगे?"
"बिल्कुल इसी तरह...." इमरान के कोट की जेब मे हाथ डाल कर रेवोल्वर की नाल उसकी बाई पसली से लगा दिया.
***
|