RE: Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी
तो मेरा बाप जितना आकर्षक और रौबदार था उतना ही ज्यादा औरतो के मामले में कमीना भी था,कहते है की ऐसी कोई लड़की या औरत नही जिसे उन्होंने चाहा हो और ना पटा लिया हो ,वो लड़की पटाने के लिये साम दाम दंड भेद सब कुछ इस्तेमाल कर दिया करते थे,मेरी माँ को पता था की नही मुझे नही पता लेकिन अगर वो इस बारे में जानती तो भी मुझे यकीन था की वो कुछ ना कहती ,वो थी ही इतनी सीधी …
मेरे बाप के कारनामो का पता मुझे हमारे नॉकरो से चलता था ,
कभी कभी देशी चढ़ाने के बाद अकेले में अब्दुल काका जो हमारे पुराने नॉकरो में थे और पापा के उम्र के थे मुझे कहा करते थे
“साहब ने इतनी लडकिया चोदी है की मैं गईं नही सकता,और इस घर में काम करने वाले सभी लोगो की पत्नियों को भी चोद चुके है ,और सभी औरतो को भी ,रामु की बीवी कांता को तो मेरे सामने ही मुझे दिखा दिखा कर चोदा था ...हा हा हा..कभी कभी तो लगता है चंदू उनका ही बेटा है ..हा हा हा …”
वही जब रामु काका मेरे साथ अकेले शराब पी रहे होते तो कहते
“साहब ने इतनी लडकिया चोदी है की मैं गईं नही सकता,और इस घर में काम करने वाले सभी लोगो की पत्नियों को भी चोद चुके है ,और सभी औरतो को भी ,अब्दुल की बीवी शबीना को तो मेरे सामने ही मुझे दिखा दिखा कर चोदा था ...हा हा हा..कभी कभी तो लगता है सना उनकी ही बेटी है ..हा हा हा …”
कैसे गांडू लोग थे ,लेकिन क्या करोगे मेरा बाप था ही इतना खतरनाक ,दुनिया के लिए उसके मुह से शहद ही टपकता था,हर कोई उनका दीवाना था बस जब मेरी बड़ी आती तो उसे क्या हो जाता…
कभी कभी अकेले में जब मैं रोता था तो मेरी माँ मुझसे कहती थी की तेरा बाप तुझसे जलता है,क्योकि जब तेरा जन्म हुआ तो तू तेरी दो बहनों के बाद पहला लड़का था,मैं तुझे बहुत प्यार करती थी,पता नही लेकिन तेरे बाप को लगता था की तू उसकी जगह ना ले ले,वो बहुत ही महत्वाकांक्षी है और अपने चीज पर किसी दूसरे का अधिकार बर्दास्त नही कर सकते ,शायद इसीलिए वो तुम्हे नीचा दिखाने की कोशिस करते है ……
उनकी बात मुझे तब तक समझ नही आई जब तक मैंने फ्रायड की साइकोसेक्सुअल थ्योरी नही पढ़ ली ,लेकिन जो भी हो वो मेरे लिए मेरा सबसे बड़ा दुश्मन था……
उसकी वजह से मेरी बहनों ने कभी मुझे भाई वाला प्यार नही दिया,भाई तो छोड़ो वो तो शायद मुझे इंसान भी नही समझती थी,मेरा मुह देखती तो ऐसा मुह बनाती जैसे किसी मनहूस को देख लिया हो ,मेरी छोटी बहन निशा तो मुझे देखते ही कहती थी
“लुसर साला “
सच बाताऊ की दिल पर क्या बीतती थी लेकिन पता नही क्यो सब कुछ की आदत सी बन गई थी ,मेरा सर मेरे ही घर में झुका होता था,मैं नही चाहता था की मेरे घर में मेरा सामना किसी से हो,मेरा उठाना बैठना इस घर में नॉकरो के साथ ही था ,शायद यही मेरी औकात थी ,वो भी इसलिए मझसे अच्छे से बात कर लेते थे क्योकि मैं उनके मालिक का बेटा था और कभी कभी उन्हें दारू पिला दिया करता था…..
इस घर में मेरे दो ही चाहने वाले थे एक थी मेरी माँ जो पापा और बहनों के सामने शांत हो जाती थी,बस अकेले में थोड़ा दिलासा दिला देती थी,और दूसरा था टॉमी ,वो एक लेब्राडोर कुत्ता था उस बेचारे को इस बात से कोई फर्क नही पड़ता की कोई मुझे क्या कहता है,वही था जिसके साथ मैं समय बिताया करता था,बाते किया करता था और जिसके लिए मैं लुसर नही था..
कभी कभी उसे मेरे साथ देखकर मेरी बहने कह देती
‘पता नही पापा ने दो दो कुत्ते क्यो पाल के रखे है’
दिल में दर्द उठा ना ..???मेरे लिए रोज का था…….
अब जिस आदमी का घर में ये हाल था सोचिए उसका सामाजिक ओहदा क्या रहा होगा,स्कूल में भी मेरा सर नीचे ही रहता था,मैं नही चाहता था की कोई आकर मुझसे बत्तमीजी करे क्योकि ये आम सी बात थी,लड़के चिढ़ाया करते थे कुछ को पता नही क्यो बेवजह सी दुश्मनी थी मुझसे ,ऐसे पता था वो कारण था की एक तो मैं अमीर था और दूसरी थी रश्मि….अब ये रश्मि के बारे में बाद में बताता हु …
|