RE: Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी
अध्याय 1
केदारनाथ की यात्रा पर ऐसा लग रहा था जैसे पूरा परिवार एक साथ गया हो और मैं और टॉमी उनसे अलग,किसी को हम दोनों में कोई इंटरेस्ट ही नही था,बीच बीच में माँ मुझे खाने के लिए पूछ लिया करती ,तो खान खाना और किसी कोने में पड़े रहना यही हमारी नियति थी,पूरे मजे वो लोग कर रहे थे,सना और चंदू परिवार का हिस्सा ना होते हुए भी साथ थे,लेकिन मैं …..
खैर मैं तो आना भी नही चाहता था लेकिन पापा का ऑर्डर था तो आना पड़ा…
मंदिर के दर्शन के बाद माँ मेरे पास आयी और मेरे हाथो में बड़े प्यार से एक धागा बांध दिया,
“मैंने भगवान से दुवा की है की वो तेरी सारी तकलीफों को दूर करे,मेरा बेटा ,भगवान तेरी सुनेगा बेटा उसके घर देर है अंधेर नही “
उन्होंने बड़े ही प्यार से मेरे माथे को चूम लिया ,उनकी बात सुनकर मेरे आंखों में आंसू आ गए ,काश माँ की बात सच हो भगवान मेरी सुन ले …
लेकिन मुझे लगा की ये धागा किसी काम का नही क्योकि हम वंहा से गंगोत्री के लिए निकलने वाले थे 2 गाड़िया थी,एक गाड़ी जो की SUV थी उसमें 6 लोग और ड्राइवर आ चुके थे,मेरी बहन निशा ने अपना दिमाग लगाया और पापा के पास पहुची..
“पापा मैं चंदू और घर के दोनों कुत्तों के साथ कार में आती हु “
मैं वंहा पास ही खड़ा था और पापा के चहरे में आयी हुई मुस्कान को भी देख सकता था,पापा ने बस हा में सर हिला दिया…
सच में भगवान ने मेरी नही सुनी क्योकि उनके साथ आने का मतलब था की रास्ते भर वो मेरी खिंचाई करेंगे,और एक अजनबी ड्राइवर के सामने भी मुझे जलील करने को कोई कसर नही छोड़ेंगे..
निशा और चंदू पीछे की सीट में बैठ गए वही मैं और टॉमी ड्राइवर के साथ …
शाम का समय था,गाड़ी चल पड़ी SUV तेज चल रही थी और काफी आगे निकल गई थी,हमारी गाड़ी को चंदू ने आराम से ही चलने का आदेश दिया था,
और शुरू हो गया उनका फेवरेट काम ,मुझे जलील करना …
वो कमीना ड्राइवर भी इसके मजे ले रहा था और मुझे देख कर हँस रहा था,सच कहु तो मुझे रोना आने लगा था,मेरा गाला भरने लगा था …
“चंदू अगर कोई किसी की बहन के जिस्म से खेले तो वो भाई क्या करेगा “
जरूर निशा के होठो में कमीनी मुस्कान रही होगी जो मैं देख नही पाया
“क्या करेगा मुह तोड़ देगा ,अगर किसी ने उसके सामने उसकी बहन को कोई गैर मर्द छू भी ले तो “
“हा लेकिन लुजर्स को कोई फर्क नही पड़ता,तो मर्द ही कहा होते है “
दोनों जोरो से हंसे वही ड्राइवर इस बार तिरछी निगाहों से मिरर से पीछे देखने लगा जैसे उसे आभास था की कुछ होने वाला है
“यकीन नही आता तो ट्राय करके देख लो “
निशा की बात से जैसे चंदू को एक सुनहरा अवसर मिल गया हो
“राज सुन तो इधर देख “चंदू ने आवाज दी
मैं नही चाहता था की मैं मुड़कर उन्हें देखु लेकिन मेरे अंदर एक अनजान सा डर दौड़ गया था ..
मैं मुड़ा ,चंदू निशा के स्कर्ट के नीचे से हाथ घुसाकर उसके जांघो को मसल रहा था
“आह चंदू ,क्या करते हो,”
“थोड़ा और अंदर ले जाऊं क्या तेरा भाई कही मार ना दे मुझे “
दोनों जोरो से हंसे ,वही ड्राइवर के होठो में एक कमीनी मुस्कान आ गई क्योकि वो भी बेक मिरर से पीछे की ओर देख रहा था,
इतना जलील होना मुझे गवारा नही था,मेरे सब्र की इंतेहा हो गई थी और मैंने क्या किया,??
मैं सर मोड़कर रोने लगा,मेरी सुबकियां शायद सबको सुनाई दे रही थी
“देखो ऐसे होते है लुजर्स कुछ तो कर नही पाते बस औरतो जैसे रोते है या किसी औरत के पल्लू में जा छीपेंगे,कभी माँ के तो कभी उस बीच रश्मि के ..”
निशा की बातों में जैसे जहर था ,
मैं और नही सह पाया
“गाड़ी रोको …”
मैंने पहली बार कुछ बोला था लेकिन ड्राइवर ने मुझे बस देखा
“मुझे पेशाब जाना है “
मैंने फिर से ड्राइवर को देखा लेकिन वो जैसे किसी और की इजाजत का इंतजार कर रहा था ..
“ओह देखो लूजर को आंसू के साथ अब पेशाब भी निकल गया इसका “
निशा की बात सुनकर चंदू और निशा जोरो से हंसे लेकिन इस बार ड्राइवर नही हंसा शायद उसे मुझपर थोड़ी दया आ गई होगी ,उसने गाड़ी साइड में लगा दी और मैं टॉमी को लेकर वंहा उतर गया…
मैं गाड़ी से थोड़ी दूर जा खड़ा हुआ ,मैं दहाड़ मार कर रोना चाहता था लेकिन मैंने खुद को काबू में किया ..
“ओ लूजर जल्दी आ “
निशा ने आवाज लगाई ,मैं अपने आंसू पोछता हुआ फिर से गाड़ी की ओर चल दिया ,मैंने दरवाजा खोला ही था की ..
भरररर
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