Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी
03-19-2020, 11:55 AM,
#6
RE: Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी
अध्याय 2

ऐसा लग रहा था जैसे मैं अपने बिस्तर में सोया हुआ हु और टॉमी हमेशा की तरह मेरे गालों को चाट रहा है..

“अरे टॉमी सोने दे ना ‘

मैंने करवट ली लेकिन ..

छपाक

मैं पानी में गिर गया था,मैं अचानक होश में आया मेरे सामने कल के हादसे का पूरा चित्र ही घूम गया ,

“है भगवान हम लोग कहा है “

टॉमी को तो कोई भी फर्क नही पड़ रहा था,और हम नदी में बहते हुए ना जाने कहा आ पहुचे थे,अजीब बात थी की इतने उचाई से गिरने के बाद भी मुझे बस मामूली खरोंचे ही आयी थी वही टॉमी तो बिल्कुल ही स्वस्थ लग रहा था,हम नदी के किनारे में पड़े थे,मैं उठकर इधर उधर देखने लगा..

मेरे जैसा डरपोक इंसान आज एक पालतू कुत्ते के साथ घने जंगल में अकेला था ,दूर दूर तक कोई नही दिख रहा था,आज तक कभी मैं अपने शहर से बाहर अकेले नही गया था,ऐसे मेरी फट के चार हो जानी थी लेकिन पता नही वंहा की हवा में क्या था की मैंने उसे और भी गहरे अपने फेफड़ों में भर लिया ,मुझे बिल्कुल ही ताजा सा अहसास हुआ ..

मैंने अपने हाथो में बंधी मा के द्वारा दिए हुए उस धागे को देखा ,मैंने प्यार से उसे चूम लिया ,मुझे लगा की आज अगर मैं जिंदा बचा हु तो माँ के आशीर्वाद से और भगवान की कृपा से ही बच पाया हु ,वरना इतने उचाई से गिर कर कोई कैसे बच सकता था ..

मुझे आज भगवान और चमत्कार में यकीन हो गया था ..

और साथ ही मुझे एक अजीब से भाव का अहसास हुआ जैसे मैं आजाद हु ,बिल्कुल खुली हवा ,ना बाप का डर न बहनों के ताने सब से मुक्त…….

मैं ऐसे ही खुश ही रहता अगर मुझे भूख नही लगती ,लेकिन जोरो की भूख गई थी,टॉमी तो पता नही क्या सुन्ध रहा था ..

“दोस्त जोरो की भूख लगी आई क्या है आज ब्रेकफास्ट में “

टॉमी मुझे देख कर जैसे मुस्कुराया..

अब ये मुस्कुराए या रोये साला एक ही सा दिखता है ..

टॉमी कुछ सूंघता हुआ एक ओर बढ़ गया था ,मैं भी उसके पीछे पीछे चल दिया थोड़ी दूर जाने पर ही मुझे समझ आ गया की आज तो टॉमी की दावत थी यानी कोई जानवर मर गया था और उसके शरीर के सड़ने की बदबू फैल रही थी ,मै नाक बंद करके टॉमी के पीछे चल दिया ,टॉमी तो जैसे उस पर झपट पड़ा लेकिन जब मैंने उसे देखा तो ..

तो मेरी फट के चार हो गई ,क्योकि वो एक भालू का शरीर था,वो भी जंगली विशालकाय भालू..

अब मुझे फिर से याद आया की मैं कहा हु,मैं यंहा पिकनिक मनाने नही आया हु बल्कि खो गया हु ,मैंने अपने जेब तलाशे

“ओ सीट...साला मोबाइल तो गाड़ी में ही रह गई “

दूसरी जेब में पर्स था जिसमे कुछ पैसे भी थे लेकिन यंहा उन पैसों का मैं क्या करूंगा ..

मैंने मेन वर्सेस वाइल्ड देख रखी थी लेकिन यंहा मुझे कुछ झँटा समझ नही आ रहा था …….

मैं थोड़ी देर इधर उधर घुमता रहा फिर एक लकड़ी को तोड़कर उससे भाला जैसा कुछ बनाने की कोशिस में लग गया,घंटे भर की मेहनत के बाद मेरे पास एक हथियार था जिसकी नोक मैंने भालू के हड्डियों से बनाई थी ,ये शिकार के लिए वक्त पड़े तो बचाव के लिए था……

जब भूख तेज हुई तो मैंने पेड़ो की पत्तियों खाना स्टार्ट किया कुछ ठीक ठाक थी तो कुछ बहुत ही कड़वी ..

क्यो फल मिलने की कोई उम्मीद तो नही दिख रही थी लेकिन फिर भी मैं जंगल के अंदर जाने लगा,जो खाने के लायक दिखता उसे खा खा कर देखता जाता था ,मैंने सुना था की जंगल में भटक जाने पर नदी के सहारे चलते जाना चाहिए तो मैं नदी के किनारे किनारे चल रहा था ..

दिन तो जैसे तैसे कट ही गया लेकिन अब फिर से रात आने वाली थी ,टॉमी तो जैसे यंहा बेहद खुश था लेकिन मेरी तो फटने वाली थी,फिर से बदल गरजने लगे और हर गर्जना ऐसा लगती थी जैसे मेरा काल हो …..

मुझे एक ठिकाना चाहिए था ,ऐसा कुछ जिसमे मैं अपने को बारिश से बचा सकू …

मैंने एक समतल जगह ढूंढ ली और वंहा पेड़ो की टहनियां इकट्ठा करके पेड़ के सहारे एक छत बनाने की कोशिस करता रहा ,मैं इस हालात में था लेकिन फिर भी मेरे दिल में वो डर धीरे धीरे गायब हो रहा था,मैंने जीवन में पहली बार अपनी स्तिथियों को स्वीकार कर उनका सामना करने की ठानी थी और मेरे साथ था मेरे मा का दिया वो धागा जिसमे प्यार था आशीर्वाद था …

शायद मुझे अपने पर और उस धागे पर यकीन हो रहा था की मैं इस मुश्किल से निकल सकता हु ,

और रात भारी बारिश हुई ,टॉमी और मैं एक दूसरे से लिपटे हुए ठिठुरते हुए एक पेड़ के नीचे झड़ियो से बनाये गए आशियाने के नीचे बैठे रहे ,यंहा अंधेरा था घना अंधेरा,ये ऐसी रात थी जिसकी कल्पना भी किसी को डराने को काफी हो ……

ना जाने कौन सा जंगली जानवर कब हमारे ऊपर हमला कर दे,सांप,बिछु,जहरीले कीड़े मकोड़े हम किसी का भी शिकार हो सकते थे,आंखों से नींद तो गायब हो गई थी लेकिन आंखे बंद कर खुद को सम्हालने के अलावा मेरे पास कोई चारा भी तो नही था…

मैं टॉमी को ऐसे सहला रहा था जैसे कह रहा था की सब ठीक हो जाएगा,मैं जीवन में पहली बार किसी को हिम्मत दिला रहा था,सच में मुसीबत और तकलीफें इंसान को और भी मजबूत बना देती है ,मेरी आराम तलबी की जिंदगी और घरवालों के तानों ने मुझे बचपन से जितना कमजोर बनाया था आज इस मुसीबत ने मुझे एक ही दिन में इतना मजबूत बना दिया था,इस समय तक मुझे हार मान जाना था लेकिन मेरे हाथ में बंधा ये धागा ना मुझे हार मानने दे रहा था ना ही उम्मीद छोड़ने …………
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RE: Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी - by sexstories - 03-19-2020, 11:55 AM

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