RE: Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी
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आज मेरी बहनो के कहने पर डिनर टेबल में गया,वरना मैं कमरे में ही खाना खा लिया करता था क्योकि मुझे पापा का सामना नही करना था..
“ये चोट कैसे लगी “
मेरे सर पर पट्टी देखकर पापा ने पूछा ,उनके आवाज में वही रौब था जो हमेशा होता था लेकिन आज मुझे उससे डर नही लग रहा था..
“वो क्लास में एक लड़का निशा को छेड़ रहा था तो उससे लड़ाई हो गई “
मेरी बात सुनकर निशा खाँसने लगी ,उसने आश्चर्य में मुझे देखा और मैंने बस उसे आंख मार दिया ..
“तुमने लड़ाई की ,तुम तो बोल रहे थे कही टकरा गए थे “
अब बारी माँ की थी ..
“तो आपको क्या बताता की मैदान में लड़के मुझे घेर लिए थे ,आप को तो हार्टअटैक आ जाता “
मेरी बात सुनकर सभी हँसने लगे सिवाय पापा और मम्मी के ..
मम्मी ने बुरा सा मुह बनाया ,वही पापा मुझे घूरने लगे
“तुमने सच में निशा के लिए लड़ाई की “
“हा मेरी बहन को कोई मेरे सामने छेड़े तो मैं देखता रहूंगा “
पापा ने आश्चर्य से निशा की ओर देखा ,निशा ने मासूमियत से हा में सर हिला दिया
“शाबास ,ये तुमने मेरे बेटे वाला काम किया ..ज्यादा चोट तो नही आई “
मत पूछिये की कैसा लगा ,बस ऐसा लगा की जाकर अपने पिता के गले से लग जाऊ ,क्या पूरे जीवन वो मुझसे यही चाहते थे की मैं उनके तरह मर्द बनू,शायद ...शायद इसलिए वो मुझसे ऐसे रूखे रूखे पेश आया करते थे ,
“नही ,वो पीछे से मार दिया सालो ने वरना..”
“ठीक है ठीक है चलो खाना खा लो “
पापा खाना खाने लगे वही मेरी प्यारी माँ मेरे और मेरे बहनो की कैमेस्ट्री देखकर दंग थी उसके आंखों में आंसू थे..
पापा के जाते ही वो मेरे गले से लग गई ,
“मेरे बच्चे एक दूसरे से बात करने लगे है ,साथ शरारत करने लगे है ,मैं तो सोचती थी की मैं ये सब देखे बिना ही मर ना जाऊ “
मेरी माँ थोड़ी ज्यादा इमोशनल थी ..
सभी बहनो और मैंने आकर उन्हें जकड़ लिया और उनके गाल को चुम्मीया दे देकर भिगो दिया ….
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