RE: Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी
काजल मेडम मुझे कुंफू,कराटे,मार्शल आर्ट,और तवाईकवांडो में ट्रेन कर रही थी ,मैं उनकी उम्मीद से अच्छा प्रदर्शन कर रहा था,मैंने रश्मि और निशा को भी क्लास जॉइन करवा दिया था,दिन बीत रहे थे,मेरा और मेरी बहनो के प्यार में भी वृद्धि हो रही थी ,मेरे जलने वाले अब चुप थे क्योकि सभी को पता चल गया था की मैं कोई निंजा टेक्निक जानता हु ,और मैंने उसका इस्तमाल करने मोटे एंड गैंग की बैंड बजा दी थी,उसके साथ सभी ये भी जानते थे की मैं मेडम के सानिध्य में लड़ाई के गुर भी सिख रहा हु ….
रश्मि और मेरी दोस्ती प्यार में बदल चुकी थी ,लेकिन मैं कितना भी निडर और आकर्षक क्यो ना हो जाऊ और मैं उस प्यार के धीरे धीरे बढ़ने की फिलिंग को नही खोना चाहता था,मैं उसे एक ही बार में प्रपोज कर अपना नही बनाना चाहता था,क्योकि मैं उस मीठे पलो का मजा लेना चाहता था…
और ऐसे ही हमारा प्यार और भी गहरा होता जा रहा था,हमे पता था की हमारे बीच क्या चल रहा है,हमे क्या मेरी माँ और बहनो को भी पता था की हमारे बीच क्या चल रहा है और साथ ही आधे स्कूल को भी शक था ...लेकिन मैं रश्मि की हर अदा का लुफ्त उठाने में लगा हुआ था …….
अब निशा और रश्मि बेस्ट फ्रेंड बन चुके थे,चन्दू मुझसे ज्यादा बात नही करता था बस मतलब की ही बात करता लेकिन वो भी डरे हुए ,वही निशा से वो बाते किया करता था लेकिन जब मैं सामने आता तो वो थोड़ा झिझकता था,मुझे पता है की निशा और उसके बीच ऐसा कुछ नही है जिसकी मुझे चिंता करनी चाहिए …
फिर भी एक दिन ……
रात हो चुकी थी और मैं अपने बिस्तर में पड़ा था तभी निशा वंहा आयी और आकर टॉमी को बिस्तर से नीचे भेजकर खुद मेरे बाजू में सो गई ,
“भाई एक बात पुछु “
उसने अपना सर मेरे सीने पर रखा और मैं उसके बालो को सहलाने लगा
“आप रश्मि को प्रपोज कब करोगे,सभी को पता है की आप दोनो एक दूसरे से कितना प्यार करते हो लेकिन अभी तक उसे आई लव यु भी नही कहा अपने “
“रश्मि ने कुछ कहा “
“वो क्या कहेगी,ऐसे तो हमेशा बड़ी चौड़ी हो कर घूमती है लेकिन जैसे ही आपका नाम लो नई दुल्हन की तरह शर्माने लगती है ..”
मेरे होठो में मुस्कान आ गई
“क्या मुझे बोलने की जरूरत है “
“हाँ है ,ये हर लड़की के लिए एक स्पेशल मोमेंट होता है जब उसे प्यार करने वाला उसे प्रपोज करे ,और आप को भी वैसे ही प्रपोज करना है ,मैं कोई आईडिया दु क्या “
वो अब ऊपर उठकर मुझे देखने लगी ,उसकी भूरी और कोमल स्किन और काली आंखे मुझे किसी बिल्ली की याद दिला देती थी वो बेहद ही प्यारी थी….
मैं उसके गालो को सहलाने लगा जो की बेहद ही सुकून भरा था..
“वो छोड़ ये बता की चन्दू और तेरा कुछ चल तो नही रहा ना,देख अगर कुछ हो तो बता दे अगर दूसरे तरीके से पता चला तो …”
“आप भी ना टिपिकल भाइयो जैसे शक करना शुरू कर दिए,जब मुझे कोई लड़का पसंद आएगा तो आपको सबसे पहले बताउंगी ,वो मेरा अच्छा दोस्त है बस,वैसे भी जब आप नही थे तो वही तो था जो मुझे समझता था,हा वो कार वाली बात बस थोड़ी बढ़ गई थी लेकिन यकीन मानो मैं उससे आकर्षित नही हु ..”
“ह्म्म्म तो किससे है ..”
मेरे मुह से अनायास ही निकल गया ..
“आपसे ..”
मैं चौका ..
“क्या ??”
वो हंस पड़ी
“हमेशा से आप से ,लेकिन आप ही मुझसे दूर भागते थे,आप तो हमेशा से ही हेंडसम हो ,ताकतवर हो लेकिन कभी भी आपने खुद को नही समझा था,मैं तो हमेशा से ही आपसे आकर्षित रही हु ..”
“तू पागल हो गई है क्या ये क्या बक रही है .”
मैं थोड़ा झल्लाया क्योकि मुझे उसकी बात कुछ समझ नही आयी लेकिन वो मुस्कुरा रही थी जैसे उसने कहने में कोई भी गलती नही की हो ….
“सच कह रही हु और इसमे इतना चौकाने वाली कौन सी बात है ..”
“मैं तेरा भाई हु ..”
“हाँ तो मैंने कब कहा की नही हो “
“लेकिन ..”
वो उठ कर बैठ गई और अपना सर पकड़ लिया
“अरे यार तो क्या एक बहन अपने भाई से आकर्षित नही हो सकती क्या आप ना ज्यादा दिमाग मत लगाओ बस और जाकर रश्मि को प्रपोज करो मैं उसे ऑफिसियल भाभी बोलने को तरश रही हु..”
वो फिर से अपना सर मेरे छाती में छिपा कर सो गई थी,लेकिन उसने मेरे दिमाग में एक सवाल को जन्म दे दिया था की आखिर निशा ने कहा क्या था,क्या वो आकर्षण भाई बहन के रिश्तो की पवित्रता लिए हुए था या और कुछ ….
जैसे और जिस मासूमियत से उसने ये बात कहि थी मुझे दाल में कुछ काला तो नही दिखा,ये अगल बात हो सकती है की मैं काली दाल ही खा रहा था ……...
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