RE: Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी
“मैं भी नेहा से बात करने आयी हु और क्या ,अब अंदर आने दोगे या यू ही बाहर ही खड़े रहू ..”
माँ की बात सुनकर नेहा दी जल्दी से सामने से हट गई ,अंदर आते आते दोनो की आंखे मिली ….
“राज क्या नेहा सच कह रही है की तूने विवेक(वकील ) को मरवाया है ..”
माँ आते ही बिस्तर में बैठते हुए बोली ..
“माँ ये आप क्या कह रही हो आप सोच भी कैसे सकती हो की मैंने उन्हें मरवाया होगा,”
मैं उनकी बात को सुनकर और भी आश्चर्य में पड़ गया था ..
उन्होंने एक गहरी सांस छोड़ी ……
“बेटा आजकल जो हो रहा है वो बिल्कुल भी समझ से बाहर है ,तेरा अचानक से अपने बाप के ऊपर कंट्रोल करना,पूरी सम्प्पति में अधिकार की मांग ,और फिर चन्दू और तेरी जानी दुश्मनी ….पहले तो मुझे लगता था की मेरा पति ही कमीना और चालाक है लेकिन अब तो मेरे बच्चे ही एक दूसरे के खिलाफ षड्यन्त्र कर रहे है,मैंने चन्दू को भी अपना बेटा ही माना है और फिर जब मुझे पता चला की नेहा उससे प्यार करती है तो ….तो मैंने भी उसे स्वीकार कर लिया ..”
ये मेरे लिए किसी बम से कम नही था ..
“क्या.???”
“हा बेटा नेहा ने मुझे बहुत पहले ही बता दिया था ,अब तेरे पापा से तो मेरी बात ना के बराबर ही होती है ,मेरी बेटियां ही मेरा सहारा रही है ,तुझे किसी से कोई मतलब ही नही था ,तो मुझे लगा की शायद चन्दू की वजह से हमारा परिवार सम्हल जाएगा और मेरे बच्चों को मेरा हक मिल जाएगा,वरना तेरे पिता जी तो पूरी ही दौलत किसी भी तरीके से अपने नाम करने के फिराक में थे,तुझे तो वो कुछ भी नही समझते थे और ना ही मुझे कभी उन्होंने कुछ समझा ,निशा तो बच्ची है जो प्यार से बोल दे उसके साथ हो जाती है और उसपर तो तेरे बाप का प्यार हमेशा से बरसता रहता है,और निकिता तो अपनी पढ़ाई से फुरसत नही है ...तेरी हालत के पीछे मेरी ही गलती है बेटा,जब तू मेरे गर्भ मे था तो तेरे पिता जी मुझे कई चीजो के लिए धमकाया करते थे ,शायद इसी का असर था की तू भी मेरी ही तरह दब्बू बन गया मुझे माफ कर दे बेटा, लेकिन मैं बहुत खुश हु जो तूने पाया है ,वो आत्मविस्वास लेकिन ...लेकिन तेरा आत्मविस्वास कई लोगो के राह में रोड़ा बन गया,चन्दू को लगने लगा की तू उससे वैसे ही पेश आएगा जैसे तुम्हारे पिता आते थे ,वो हमेशा से उनसे नफरत करता है ,कोई भी बेटा करेगा जब वो अपनी माँ को गुलाम की तरह देखेगा ...तेरे जंगल से वापस आने के बाद से चीजे बदल गई ,लेकिन यकीन मान की नेहा और चन्दू कभी तुझे मारने की नही सोच सकते ……तुम लोग ना लड़ो बेटा ,जो भी जीते लेकिन मैं हार जाऊंगी “
वो रोने लगी थी ,मैं माँ के बाजू में बैठ कर उन्हें अपने बांहो में भर लिया ,इस जंग में उनका बेटा उनकी बेटी के सामने खड़ा था ,सच में कोई भी जीते वो हार ही जाती ……
मैं शांत था ...नेहा भी चुप थी …
“मैं चन्दू को फोन लगाती हु ,हम सुलह कर लेते है ,वो मेरी बात नही टालेगा,लेकिन तुमने जो कान्ता काकी के साथ किया उसके लिए तुम्हे उससे माफी मांगनी होगी ..”
आखिरकार नेहा ने कहा
“कान्ता के साथ तुमने क्या किया “माँ आश्चर्य में बोली ,नेहा और मेरी आंखें मिल गई ,अब इन्हें कैसे बताए की मैंने उनके साथ क्या किया था ,नेहा को शायद चन्दू ने ही बताया था लेकिन अब माँ को नही …
“वो थोड़ी बत्तमीजी कर दी थी उनके साथ “
मैंने नेहा को देखते हुए कहा ..
“अच्छा तो उसे कल माफी मांग लेना और बेटा चन्दू को फोन लगा “
माँ ने मासूमियत से कहा ,लेकिन मेरे दिमाग में कुछ बात आ गई ..
“नही ...नही नेहा अभी नही “
“आखिर क्यो बेटा …..”
माँ और नेहा मुझे आश्चर्य से देखने लगे …
“अभी अगर उसे फोन किया तो कुछ गड़बड़ जरूर हो सकती है ,पहले हालात को समझने दो की आखिर उसके साथ कौन लोग है ,क्योकि उन्होंने ही वकील को मारा है और शायद मेरे और चन्दू के जान के दुश्मन भी वही है ……”
“लेकिन अगर उन्हें मारना होता तो कब का मार चुके होते…”
नेहा बोल पड़ी
“हा वही तो समझ नही आ रहा है की आखिर माजरा क्या है …..”
“तो क्या करू ..”
“कुछ नही जैसा चल रहा है बस वैसे ही चलने दो ,उसे कुछ मत बताना की हमारे बीच क्या बात हुई है ,अगर उसका फोन आये तो उसे बस इतना ही कहना की हमारी लड़ाई हुई और वो धमकी दे कर चला गया ……”
नेहा ने सहमति में सर हिलाया ..
“बेटा तू करने क्या वाला है ..”
माँ इन सब में चिंतित थी ,वो बेचारी भोली भाली सी औरत इन सब लफड़ों में फंस गई थी …..
“कुछ नही माँ सोच रहा हु की कल जल्दी दौड़ाने जाया जाय……”
मैं इतना बोलकर वंहा से निकल गया …….
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