RE: Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी
अध्याय 18
रश्मि ……….
पूरा नाम रश्मि सिंह राजपूत,भैरव सिंह राजपूत की इकलौती बेटी ,भैरव सिंह शहर का ट्रांसपोर्ट किंग कहलाता था इसके अलावा भी उसके कई करोगबार थे जिसमे रियल स्टेट का काम मुख्य था ,जिसे उसका भाई भीष्म सिंह देखता था,पैसे और नाम में उनका परिवार हमारे परिवार के ठक्कर का था ,वही हमारी माँ एक दूसरे की सहेली भी थी लेकिन भैरव सिंह सिर्फ पैसे से अमीर नही था बल्कि वो एक बाहुबली भी था ,सामान्य रूप से देखने पर इसका पता नही चलता लेकिन उसका बहुत नाम था ,रियल स्टेट और ट्रांसपोर्ट का काम ही ऐसा था की उन्हें गुंडे पाल कर रखने पड़ते थे,और मैंने सुना था की उसके नाम से ही लोगो की फटती है,शायद कोई कारण उसके पास्ट में छिपा था ,खैर…
उसकी इकलौती बेटी यानी रश्मि मेरी बेस्ट फ्रेंड भी थी और गर्ल फ्रेंड भी ,जो आज मेरे सामने खड़ी थी और मैं उसे अजीब निगगहो से देख रहा था ……..
“ऐसे क्या देख रहे हो ,आजकल तो मुझसे ढंग से बात भी नही करते क्या हो गया है तुम्हे ,मुझसे ज्यादा तो तुम उस काजल मेडम से चिपके रहते हो “
उसका गुस्सा जायज था लेकिन उस बेचारी को क्या बताऊ की मेरे जीवन में क्या चल रहा है ,ऐसे वो ही एक थी जिसपर मैं आंखे बंद करके विस्वास कर सकता था ,उसने जीवन में कभी मुझे अकेला होने नही दिया ,जब मैं चूतिया था तब भी मुझे जी जान से प्यार किया और अब जब मैं फिर से चूतिया बनाया जा रहा हु मुझे उसके प्यार और सहारे की जरूरत महसूस हुई…..
वो मुझे बचपन से जानती थी और मेरे रग रग से वाकिफ भी थी मेरे चहरे को देखकर ही उसे समझ आ गया था की मैं किसी बहुत ही बड़ी मुश्किल से गुजर रहा हु,वो शांत होकर मेरे बाजू में आ बैठी …
“क्या हुआ राज,तू इतने परेशान क्यो हो “
उसने अपना हाथ मेरे हाथो में रख दिया …
“तुम्हे क्या बताऊ रश्मि सोचा था की ताकत मिल जाएगा,आत्मविस्वास आ जाएगा,तो सब कुछ ठीक हो जाएगा लेकिन लगता है की आपके पास जितनी ताकत होती है भगवान भी उसी हिसाब से मुशीबत भी भेजता है,कल को मुझे कोई मतलब नही था की मुझे कोई क्या कहता है ,मुझे तुम प्यार के दो लब्ज जो बोल देती थी दिल खुस हो जाता था ,जंगल से आने के बाद मैं दुनिया दारी में इन्वाल्व होने लगा और देखो इसी दुनियादारी ने मुझे कहा लाकर पटक दिया,पहले मेरे परिवार वाले मुझे कुछ नही समझते थे मुझे ऐसा लगता है ,मैं सोचता था की काश परिवार के लोग बाहर के लोग मुझे इज्जत दे ,जब वो मिलने लगा तो जिम्मेदारी भी आ गई …….”
उसने मेरे बालो को बड़े ही प्यार से सहलाया …
“बताओ तो की क्या हुआ “
मैंने आसपास देखा हम स्टेडियम के बाहर बैठे थे ..
“यंहा नही चलो कही चलते है जन्हा हमे कोई डिस्टर्ब ना करे ..”
वो थोड़े देर सोचने लगी ..
“चलो फिर घर चलते है “
“नही वंहा निशा होगी वो हमे अकेले नही रहने देगी ,क्या तुम्हारे घर जा सकते है ??”
मेरी बात सुनकर वो बेहद ही खुश हो गई
“हा बिल्कुल ,जीवन में पहली बार तुम मेरे घर जाओगे …”
उसने उछल कर कहा ……
“हा अब ससुराल कभी ना कभी तो जाना ही पड़ेगा ना..”
“क्या कहा ..”
“कुछ नही चलो “
वो मेरी बात सुन चुकी थी वो हल्के हल्के मुस्कुरा रही थी ,अभी तक मैंने उसे प्रपोज नही किया था लेकिन साला इसकी जरूरत भी तो नही थी,हम दोनो को पता था …
रश्मि का घर घर नही, बंगला भी नही ,बल्कि कोई किले जैसे था ,एक बड़ा सा महल था और इतने पहरेदार की मुझे लगा मैं किसी राजा महाराजा के महल में आ गया…..
“यार तुम्हारे पापा कोई राजा है क्या ऐसे ल लग रहा है जैसे किसी राजा के महल में आ गया हु “
उसने मुझे अजीब निगहो से देखा ..
“क्या तुम्हे सच में नही पता …”
उसकी बात से मैं चौक गया ..
“क्या ???क्या नही पता ..”
वो मुस्कुराई ..
“चलो दिखाती हु “
वो सच में महल ही था,कमरों में बड़े बड़े राजाओ के पोस्टर लगे थे वही बड़ी बड़ी तलवारे और ढाल लटकी थी ..
“ये हमारे पूर्वज है “
मैंने नीचे नाम पढा …
“इसकी माँ की इनका नाम तो मैंने हिस्ट्री में पड़ा था,तुम राजा प्रताप सिंह महाराज की पोती हो ??”
वो जोरो से हंसी
“नही परपोती “
वो दूसरे तस्वीर की तरफ इशारा करने लगी
“ये मेरे दादा है महाराज कुँवर सिंह ……”
मैं पूरी तरह से चौक गया था क्योकि मुझे पता था की रश्मि अमीर परिवार से है लेकिन इतने बड़े खानदान से होगी इसका अंदाज भी मुझे नही था,इनके पूर्वजो की तो मैं कहानिया सुना करता था …
वही रश्मि में मुझे कभी राजाओ वाला एटीट्यूड भी नही दिखा,एक सिंपल सी स्कूटी में वो स्कूल जाया करती थी ,मेरे जैसा चोदू उसके बचपन का दोस्त था ,या उसके तेवर कुछ शाही जरूर थे लेकिन उम्मीद नही थी की वो रॉयल खानदान से होगी ……
“मुझे कभी लगा नही की तुम रॉयल परिवार से होगी “
वो बस मुस्कुराई ..
“पूरी जयजाद तो सरकार ने ले ली ,पेंशन मिलता था वो भी खत्म ,जो बचा था वो बटवारे के भेट चढ़ गया,और फिर शाही लोगो की शाही बाते,इतने नॉकर चाकर सब की आदत सी हो गई है इन्हें ,इतने बड़े महल को भी तो मेंटेन करना होता है ,देखा जाए तो सब कुछ सम्हलना बहुत ही मुश्किल हो जाता है,मेरे परिवार के अधिकतर लोगो के लिए ये सब दिखावा ही है जिसे हम ढो रहे है ,वो अपने हिस्से का सब बेच कर विदेश में जा बसे,मेरे दादा जी का परिवार ही यंहा बच गया ,और मेरे पापा में वही शाही खून है जिसकी मर्यादा बचाने के लिए वो आज भी संघर्षरत रहते है ,ये सब पहरेदार उसी का नतीजा है ,चलो तुम्हे पिता जी से मिलाती हु ,राजा भैरव सिंह …”
वो थोड़ा मुस्कुराई जिसमे थोड़ी उदासी भी शामिल थी ,रॉयल परिवार के होते है उन बेचारो को ही पता है की वो शान जिनसे उनके पूर्वज रहते है वो कभी वापस नही आ पायेगा ,लेकिन जो बच गया है उसे भी सम्हालना बेहद ही मुश्किल काम है,क्योकि आय का कोई स्रोत नही बचा,बहुत कम शाही परिवार ही है जो आज भी उसी ठाठ से रह रहे है और वो अलग अलग बिजनेस के भरोसे ऐसा कर पा रहे है ,उनमे ही एक इनके पिता भी थे,
बड़ी सी गैलरी से चलते हुए हम पीछे की तरफ पहुचे वंहा एक बड़ा बगीचा था,मैं ये सब ऐसे देख रहा था जैसे राजा महाराजाओ की कहानियों में पहुच गया हु ….
बगीचे में कई मुस्टंडे वर्जिश कर रहे थे,बिल्कुल देशी अखाड़ा स्टाइल में ,वही एक बड़े सिहासननुमा कुर्सी में एक रोबदार इंसान अपने मुछो में ताव देता हुआ बैठा था,रश्मि ने उनकी ओर ही इशारा किया ..
“पिता जी ..”उसने हल्के से कहा ..
,मैं समझ गया था की यही उसके पिता जी है ,सच में किसी राजा से कम नही थे,वो अभी लंगोट में बैठे थे ,एक पहलवान उनके शरीर की मालिस कर रहा था सामने अखाड़े में कुश्ती चल रही थी ,और वो मूंछो में ताव देते हुए बैठे थे …
“पिता जी ये मेरा दोस्त है राज “
“नमस्ते अंकल “
उन्होंने हमे घूर कर देखा ,सच में क्या आंखे थी ,अगर जंगल से आने से पहले मैं इनसे मिलता तो शायद इनकी आंखे देखकर ही मूत देता…
“भइया ये ही वो लड़का है …”
पास ही खड़ा एक आदमी बोल उठा शायद यही रश्मि के चाचा थे,एक पहलवान की तरह बदन वाले और बड़ी बड़ी मूंछो वाले ..
“ओह तो तुम हो हमारी राजकुमारी के खास दोस्त,चंदानी के बेटे …”
मैं कुछ कहता इससे पहले ही रश्मि बोल पड़ी ..
“पिता जी आप भी ना ..”
वो हल्के से हंसा …
“अरे भई अब खास दोस्त ही तो कहूंगा इसे ,जिसके कारण हमारी राजकुमारी स्कूटी से स्कूल जाया करती है ताकि इसे पीछे बिठा कर घुमा सके ,क्यो..और जिसके कारण हमारी फूल सी बेटी अब कराटे सीखने जाया करती है ..”
उनकी बात से मेरी संट हो गई क्योकि इस आदमी को तो सब पता था ,मैं बस मुस्कुराया ..
“अरे बेटे हमे सब पता है ,इसकी स्कूटी के पीछे दो मर्सडीज कार चलती है शायद तुमने कभी देखा नही होगा,ऐसे चंदानी है चूतिया साले ने सभी बेटियों के लिए कार खरीद कर दिया लेकिन उसका इकलौता बेटा पैदल स्कूल जाता है ..”
यानी इन्हें सब कुछ पता था ,लेकिन उससे भी ज्यादा बड़ी बात ये थी की रश्मि मुझे सच में बहुत चाहती थी ,और ना जाने कब से ...मुझे वो दिन याद आये जब मैं उदास होता था और वो मुझे लिफ्ट देती थी तो उसके पीछे बैठने भर से मेरी सारी तकलीफे दूर हो जाती थी ,सच में मैं बहुत ही लक्की आदमी था जो मुझे ऐसी दोस्त मिली थी ……
“राजा साहब ये कराटे वराटे कुछ नही होता सब साला विदेशियों के चोचले है ,असली मजा तो कुश्ती में है, इमने कोई दम नही होता “
वंहा खड़ा एक आदमी बोला,सच में वो कोई दानव सा दिख रहा था ….
“अच्छा ऐसा है तो फिर जाओ दिखाओ की तुमने आजतक क्या सीखा ,हम भी देखे की हमारी बेटी के खास दोस्त में कितना दम है “
उसने रश्मि की ओर देखा और मुस्कुरा दिया,अखाड़े में सभी मुझे ही घूर रहे थे,मैं समझ गया था की ये सीधे सीधे मुझे उस दानव के आगे परोस रहे है ……
मैंने रश्मि की ओर देखा …
“नाक मत कटाना “
वो मस्कुराते हुए बोली ,वो मंद मंद मुस्कुरा रही थी ,वो भी मेरे मजे ले रही थी ,मुझे देखकर सभी के चहरे में मुसकान आ गई थी ऐसे लग रहा था जैसे ये मुझे बलि का बकरा समझ रहे थे और इन्हें उम्मीद थी की आज मैं इनका पूरा इंटरटेनमेंट करूँगा ….
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