Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी
03-19-2020, 12:07 PM,
#46
RE: Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी
अध्याय 24


मैं अपने कमरे में आकर ध्यान में बैठा हुआ था ,वही निशा अपने मोबाइल में गेम खेल रही थी ,उसे मैंने कह रखा था की जब तक मैं ध्यान में बैठा रहू मुझे डिस्टर्ब ना करे …..

मैं उठा तो मेरे पास एक प्लान था जिसपर मुझे काम करना था ,मैं इसी सोच में था की अभी तक मुझे ये आईडिया क्यो नही आया …..

मैं खुश था ……

“क्या हुआ खुश दिख रहे हो ,नेहा दीदी से क्या बात हुई वो क्यो रो रही थी कुछ बताया उन्होंने ..”

निशा ने अपने उसी मासूमियत से कहा जो उसके चहरे में हर वक्त रहती थी ……

“हा ..उनका चन्दू से ब्रेकअप हो गया “

वो चौकी ..

“वाट…. क्यो….???”

“क्योकि वो मादरचोद था …..या ये कहु की है ….”

निशा सोच में पड़ गई थी ,मैं निशा को इन सब पचड़ों से दूर रखना चाहता था ,हा ये हो सकता था की वो भी इस गेम में हो लेकिन उसे देखकर मुझे लगता तो नही था की उसे इन सब चीजो का कोई भी इल्म है ,वही अगर वो सच में किसी के साथ है तो इसका मतलब है की वो मेरे खिलाफ है तो भी मैं उसे ये सब नही बताना चाहता था …...अगर मैं इस बात को सोचता की वो कही मेरे खिलाफ तो नही तो मेरा सर दर्द देने लगता क्योकि मुझे अभी तक कोई भी ऐसी ठोस वजह नही मिली थी जिससे मैं उसपर शक कर सकू ,इसके विपरीत वो मुझे हमेशा से ही बहुत प्यारी और मासूम लगती थी ,इसलिए मैंने उसके बारे में सोचना बंद कर दिया था...लेकिन उससे इन सबके बारे में कोई भी बात नही करता था ……

“क्या हुआ ऐसे क्या सोच रही है ..??”

उसे गहरे सोच में देखकर मैंने पूछा….

“मुझे तो लगता था की चन्दू , निशा दीदी से बहुत प्यार करता है फिर आखिर क्या हो गया …”

उसकी बात सुनकर मैंने एक गहरी सांस ली ..

“जो भी हुआ अच्छा ही हुआ ,कम से कम दीदी को उसकी असलियत का पता तो चल गया ,तू टेंशन मत ले अब वो ठीक है ,तू इधर आ ..”

मैंने उसे अपने पास खीच लिया,और उसके होठो में एक किस ले लिया ….

जब से मैंने उसके बारे में सोचना छोड़ने का फैसला किया मुझे उसपर बहुत ही प्यार आने लगा,कारण था की अगर वो लड़की सही है तो सच में वो मुझसे बेइंतहा प्यार करती है...और उसकी मासूम बाते कोई भी उसके प्यार में पड़ जाए ..

मेरे किस करने से वो थोड़ी कसमसाई फिर मुझे जोरो से जकड़ लिया और खुद भी मेरा साथ टूटकर देने लगी …

जब हम अलग हुए तो उसकी सांसे तेज थी …..

“आज फिर से मूड कर रहा है क्या ..??”

उसने भेदती हुई निगहो से मुझे देखा,मुझे अपनी गलती का अहसास हो चुका था,जब से हमारे बीच सेक्स हुआ था मैं अपनी ही जिंदगी में इतना बिजी और टेंशन में था की मैंने उससे प्यार से बात भी नही की थी,और आज जब सीधे उसे किस किया तो उसने ये ही सोचा की मुझे फिर से सेक्स चाहिए इसलिए मैं उससे प्यार दिखा रहा हु …..

“नही बेटू मुझे कुछ नही चाहिए बस तेरे ऊपर बहुत प्यार आ रहा है “

मैंने उसके गालो को अपनी उंगली से सहलाया …

“सच में “उसने अपनी पलके थोड़ी जोरो से झपकाई जो मुझे बहुत ही प्यारी लगी ,मैंने उसके आंखों को चुम लिया ..

“हा सच में “

उसने अंगड़ाई लेते हुए अपनी बांहो को फैला दिया …

“तो आओ ना ..”

मैं भी उससे लिपट चुका था …..

कितनी कोमल थी निशा बिल्कुल रेशम सी,

वो मेरे गोद में ही सर रखे कब सो गई हमे पता ही नही चला ,थोड़ी देर में मेरी नींद खुल गई ,मैंने समय देखा तो रात के 2 बज रहे थे,अचानक ना जाने मुझे क्या हुआ मैं निशा को एक ओर कर कमरे से बाहर निकला और घर में घूमने लगा,थोड़ी देर तक मैं यू ही घूमता रहा और कान्ता काकी के कमरे के पास चला गया ….

चारो तरफ अंधेरे का ही साम्राज्य फैला हुआ था……

सन्नाटा और अंधेरा ……

कान्ता के कमरे में कोई भी नही था ,मैंने शबीना के कमरे में झांका ,वंहा मुझे पंखा चलने की आवाज सुनाई दी….मैंने खिड़की को हल्के से धकेला तो सारा नजारा मेरे सामने था जिसे देखकर मेरे होठो में एक मुस्कान आ गई ,मैंने अपना मोबाइल निकाला और दो तीन फोटो फूल फ़्लेश के साथ खीच लिए ताकि फ़ोटो क्लियर आये …

मेरे सामने बिस्तर पर कान्ता ,शबीना और अब्दुल नंगे सोये थे,यानी नेहा दीदी ने चन्दू से सही ही कहा था की वो एक रंडी की औलाद है …….

मैं मस्कुराते हुए माँ पिता जी के कमरे की तरफ से गुजर रहा था,सारे घर में सन्नाटा था लेकिन एक कमरे की रोशनी अभी भी जल रही थी ,मुझे कुछ आवाजे भी आई ……

वो सना का कमरा था …

सना अब्दुल और शबीना की बेटी थी ,मैंने ध्यान से सुना तो पता चला की वो पढ़ाई कर रही है,मैंने उसके दरवाजे को हल्के से खटखटाया ,

“कौन है ..??”

उसके आवाज के आश्चर्य को मैं समझ सकता था ….

“मैं हु सना “

थोड़ी देर में दरवाजा खुला ..

“भइया आप यंहा ..”

वो दरवाजे में ही खड़ी थी ,पहले भी हम बाते किया करते थे लेकिन बहुत ही कम ,अक्सर उसे जब कोई पढ़ाई में मदद नही करता तो वो मेरे पास आती थी ,अभी तक उसका मेरे प्रति व्यवहार अच्छा ही रहा ,ना ज्यादा ना कम एक सामान्य सा व्यवहार रहा था सना का …….

वो पढ़ाकू टाइप की लड़की थी और बहुत ही सीधी साधी भी ,पता नही अब्दुल और शबीना जैसे कमीनो के घर ये कैसे पैदा हो गई थी ….

“हा नींद नही आ रही थी तो घूम रहा था ,क्या पढ़ रही हो ??”

“वो केमेस्ट्री ..”

“हम्म्म्म बाहर से ही बात करोगी क्या “

मेरे कहने पर वो थोड़ी हड़बड़ाई क्योकि आज से पहले मैं कभी उसके कमरे में नही गया था ,और वो बाहर दरवाजे पर ही खड़ी थी ,तो तुरंत हटकर मुझे अंदर आने के लिए रास्ता देती है …..

मैं अंदर जाकर एक कुर्सी में बैठ गया …..

उसके टेबल में किताबे बिखरी पड़ी थी …..

“ओहो लगता है मेडम डॉ बन कर ही दम लेगी “

मेरी बात से वो थोड़ा शर्मा गई ..

“नही भइया वो एग्जाम है ना तो ..”

“ह्म्म्म अब तो तुझे ये भी नही बोल सकता की कोई डाउट हो तो पूछ लेना ,अब तो तू साइंस वाली हो गई है और हम कामर्स वाले “

वो मुझसे एक क्लास ही पीछे थी,जब सब्जेक्ट कॉमन था तो मैं उसे थोड़ा पढा दिया करता था लेकिन अब मुझे केमेस्ट्री क्या घण्टा आता था ……

मेरी बात सुनकर वो थोड़ा मुस्कुराई ..

“आप पानी पियोगे “

उसकी बात सुनकर मैं मुस्कुरा उठा ….

“तू तो ऐसे विहेब कर रही है जैसे मैं कहि बाहर से आया हु मैं भी इसी घर में रहता हु “

वो फिर से शरमाई ..

“सॉरी ..”

“कोई बात नही लगता है की मैंने तुझे पढाई में डिस्टर्ब कर दिया ,चल तू पढ़ मैं चलता हु ,लेकिन रात को ज्यादा देर तक जगाने से अच्छा है की तू सुबह उठकर पढ़ लिया कर “

वो थोड़ी देर चुप रही फिर बोल पड़ी ..

“भइया वो सुबह नींद नही खुलता ..”

“मैं उठा दूंगा ,मैं 3-4 बजे तक उठ जाता हु “

उसका मुह खुल गया ..

“इतने सुबह उठकर आप करते क्या हो ..”

उसकी बात सुनकर मैं हंस पड़ा ..

“पूरा घर एक तरफ और तू एक तरफ सभी को पता है की जब से मैं जंगल से आया हु तब से मैं सुबह उठाकर स्टेडियम जाता हु ,मैंने पूरी मार्शल आर्ट सिख ली आउट तुझे पता भी नही है ..”

“ओह सॉरी भइया अक्चुली में मैं थोड़ा देर से उठती हु फिर तुरंत ही स्कूल का समय हो जाता है “

“कोई बात नही ऐसे भी डॉ बनना है तो दुनिया दारी से दूर ही रहना चाहिए ,,,,,,”

“हा भइया ऐसे कंपीटिशन भी बहुत टफ हो गया है और आप तो जानते हो की मुझे बस एक ही चीज चाहिए वो है MBBS की सीट …”

“हा जानता हु तू बचपन से ही तो इसी सपने के साथ जी रही है ……”

मैं थोड़ी देर चुप रहा फिर अचानक ही बोल पड़ा…….

“अगर तेरा सलेक्शन ना हुआ तो “

वो अचानक से बहुत ही डर सी गई ,जैसे उसने इसके बारे में कभी सोचा ही नही..

“मुझे नही पता क्योकि मैंने तो इसके बारे में कभी सोचा ही नही ….”

वो घबरा सी गई थी ……

“ह्म्म्म तू अपनी मेहनत कर और तुझे डॉ बनाने की जिम्मेदारी मेरी “

वो थोड़ा चौकी …

“कैसे ??”

“सिंपल है अगर तू इंट्रेंस नही निकाल पाई तो मैनेजमेंट कोटे से तेरा एडमिशन करवा देंगे “

उसके तो जैसे चहरे का रंग ही उड़ गया ……

“ये आप क्या कह रहे हो हमारे पास इतने पैसे कहा है ,उसमे तो बहुत ही पैसे लगते है …”

उसकी आवाज भी धीमी हो गई थी ….

“तो क्या हुआ,मैं तो हु ,”

“नही भइया आप लोगो ने ऐसे भी हमारे ऊपर बहुत अहसान किये है मैं किसी भी हालत में इंट्रेंस निकालूंगी …”

“अहसान .?? वाह बहुत ही बड़ी बड़ी बाते करना सिख गई है तू तो ….चल अभी तो पढाई कर जब की तब देखेंगे ,मुझे यकीन है की तू निकाल लेगी ,लेकिन अगर नही निकाल पाई तो भी मेरा वादा है की तू डॉ जरूर बनेगी …”

मैं मुस्कुराता हुआ वंहा से चला गया वही वो बस मुझे देखती ही रह गई,मैंने कभी उससे ऐसी बाते नही की थी यंहा तक की कभी उससे इतने कॉन्फिडेंट से बात भी नही की थी …….

***********


मेरे घर एक पहले माले के कोने में निकिता दीदी का भी कमरा था ,आज सना से बात करने के बाद मुझे ना जाने क्यो लगा की क्यो ना निकिता दीदी से भी बात की जाए ,समय कोई 3 के करीब हुआ था ,मुझे पता था की वो भी गहरी नींद में सो रही होगी ,मैं उनके कमरे के पास पहुचा तो वो बंद था लाइट भी बंद थी लेकिन उसमे एक चीज अलग थी की वंहा से मुझे सिगरेट की बदबू आ रही थी ,मेरा शैतानी दिमाग दौड़ाने लगा और मैंने अपने जेब से एक छोटी सी तार निकाली और चाबी की जगह घुसेड़ कर दरवाजा खोल दिया ,ये कला मैंने यूट्यूब से सीखी थी मुझे नही पता था की ये कितना काम करेगा लेकिन इसने किया ,दरवाजा खोलते ही बस धुंआ ही धुंआ था,मुझे खांसी ही आ जाती लेकिन मैंने जल्दी से अपने मुह को रुमाल से दबा दिया ..

तो क्या निकिता दीदी इतना ज्यादा सिगरेट पीती है ,है भगवान ,मैंने थोड़ा और गौर से निरक्षण किया तो पाया की ना सिर्फ सिगरेट था बल्कि शराब के जाम भी लिए गए थे,मेरा कमरा उनसे थोड़ी ही दूर पर था लेकिन आजतक मुझे इसका पता नही चला की वो कमरे के अंदर ये सब करती है ,असल में बड़े घर की यही प्रॉब्लम है की ये लोगो को जुदा ही कर देता है ,और निकिता दीदी के कमरे में कोई जाता भी नही था ना ही उन्हें पसंद था की कोई उन्हें डिस्टर्ब करे ….

दीदी मुह फाड़े औंधे मुह बिस्तर में पड़ी हुई सो रही थी ,कोई चिवास का बोतल था जो की 2-3 पैक के करीब अब भी बचा हुआ था ,मैंने भी सोचा क्यो ना मैं भी ट्राय करके देख लू ,मैंने सीधे बोतल उठाई और मुह से लगा कर एक ही सांस में उसे गटक लिया ……….

सर थोड़ा घुमा लेकिन वो सुरूर मुझे बहुत ही सुकून देने लगा था ,मैंने पास ही पड़े सिगरेट के डिब्बे से एक सिगरेट निकाल कर सुलगाई ,एक गहरा कस लिया और जोरो से खासा फिर दूसरे कस के साथ धुंआ बिल्कुल ही आराम से अंदर जाने लगा था ,दो तीन गहरे कस लगा कर मैने धुंआ ऊपर की ओर छोड़ दिया…..

मेरे सामने एक आदमकद दर्पण था मैं उसमे अपनी ही छिबी देखकर हंस रहा था ,मुझे बड़ा ही अजीब सा फील हो रहा था अभी तक ये सब मैंने फिल्मो में ही देखा था ,,मैं दीदी के कमरे को घूम रहा था ,हर चीज अस्त व्यस्त फैली हुई थी ,लग ही नही रहा था जैसे किसी लड़की का कमरा हो ऐसे लग रहा था जैसे किसी बैचलर लड़के का रूम हो ……

मैं सिगरेट पीते हुए दीदी के बिस्तर पर ही लेट गया,वो एक तरफ पड़ी हुई थी ,हा वो पड़ी हुई थी उसे सोना नही कहते शायद नशा जायद होने के बाद वो मोबाइल पकड़कर बिस्तर में गिरी होगी और उसे खुद याद नही रहा होगा की कब उसकी नींद लग गई……

दीदी का कमरा बड़ा ही शानदार था शायद सभी बच्चों में सबसे बड़ा कमरा भी इन्ही को दिया गया था ,एक तरफ की दीवार के जगह मोटा कांच लगाया गया था ताकि वंहा से बाहर का नजारा साफ साफ दिखे ,ऐसे बाहर देखने के लिए कुछ था नही हमारे गर्दन के अलावा ,तो अक्सर वो अपना पर्दा लगा कर रखती है आज भी उन्होंने पर्दा लगाया हुआ था ,मैंने उसे हल्के से खोल दिया ,बिस्तर में लेट कर मैं अपने गार्डन और बाहर के रोड को देख सकता था …

देखते देखते अचानक मैं कांच के और भी पास गया ,कमरे में अंधेरा था तो शायद बाहर से अंदर नही देखा जा सकता होगा,लेकिन मुझे साफ साफ बाहर की चीजे दिख रही थी ,मैने ध्यान से देखा ,सामने की बिल्डिंग में मुझे कुछ दिखाई दिया,मेरे आंखों ने जैसे किसी जादू की तरह उन्हें पहचान लिया था,बिल्डिंग असल में बहुत ही दूर था ,और बहुत ही ऊंचा भी ,रात के अंधेरे में में कुछ कमरों की लाइट जल रही थी उनमे एक कमरा वो भी था जंहा मेरा ध्यान गया था ,मैंने ध्यान से देखा तो समझ आया की कोई आदमी बार बार खिड़की के पास आता है,थोड़ा झुकता है फिर चला जाता है …….वो झुककर क्या कर रहा था वो मुझे समझ नही आया ,मैं और कंसंट्रेट हो सकता था लेकिन जब मेरे पास खुद का दूरबीन था तो मैं क्यो मेहनत करता ,मैं चुप चाप कमरे से बाहर जाकर अपने कमरे में गया थोडा नशा था लेकिन वो सुमार रहा नशा नही …..

अपने कमरे से मैंने अपनी दूरबीन निकाली और साथ ही एक दो लेंस भी ताकि थोड़ी दूरी एडजेस्ट की जा सके ,और छत जाने की बजाय मैं दीदी के कमरे में ही चला गया,वही से देखने लगा ,देखा तो समझ आया की कोई साला महंगा टेलिस्कोप लगा कर रखा है,थोड़े देर में आकर चेक करता है और फिर चला जाता है ,या वही बैठकर बियर पी रहा होता है ,तो क्या ये मेरे घर की निगरानी के लिए किया गया है ..?? हो सकता है …..??या नही भी ??
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RE: Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी - by sexstories - 03-19-2020, 12:07 PM

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