Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी
03-19-2020, 12:12 PM,
#53
RE: Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी
अध्याय 31

मैं हॉस्पिटल से छूटकर वापस घर आ चूका था ,सभी मेरी बहुत ही केयर कर रहे थे जो मुझे बहुत ही अच्छा भी लग रहा था,कांता अभी भी कोमा में थी ,वही शबीना की हालत थोड़ी ठीक थी वो भी हॉस्पिटल से घर आ चुकी थी ..

पुरे घर में अजीब सा माहौल हो गया था ,सभी को पता था की क्या हुआ है ,सभी को ये पता था की कांता और शबीना की ये हालत चंदू ने की है ,वही ये भी सभी जानते थे की चंदू मुझे भी मारना चाहता था ,लेकिन किसी को ये नहीं पता था की मैं कैसे बचा ...

कुछ कहानिया बनाई गयी थी जो दुनिया को सुनाई जा सके जिसमे अघोरी था ,एक लड़की थी (काजल) मैं था और चंदू था ,कुछ छिपाया गया था कुछ एक्स्ट्रा डाल कर बताया गया था ......

आज जब मैं अपने कमरे में आया तो मेरे साथ साथ ही निकिता ,नेहा और निशा भी आये ,

मेरा मन सभी को देख देख कर खुश हो रहा था ,वही माँ और पिता जी निचे बैठे हुए थे ..

"तू आराम कर भाई हम शाम कोई मिलते है "

निकिता दीदी ने कहा और नेहा के साथ बहार जाने लगी ,निशा अब भी वही रुकी हुई थी ,वो सभी की उपस्थिति के कारण ज्यादा बात भी नहीं कर रही थी ..

"अरे तू क्यों रुक गई भाई को आराम करने दे "

निकिता दीदी ने कहा तो निशा का मुँह ही छोटा हो गया

"अरे इसे रहने दो न दीदी इतने दिनों बाद आया हु थोड़ी बात करूँगा "

मैंने कहा

"अरे ये बकबक करेगी तू अभी आराम कर "

निकिता दीदी ने थोड़ा फाॅर्स किया तभी नेहा बोल उठी

"रहने दो न दीदी निशा राज की जरूरत है .."

उन्होंने ऐसा कह कर मुझे आँख मर दी मैं समझ गया था की वो क्या कहना चाहती थी

"वाट?? "

निकिता दीदी को कुछ समझ नहीं आया था

"अरे कुछ नहीं अब चलो "नेहा उनका हाथ पकड़कर कमरे से बहार चली गई थी

कमरे में थोड़ी देर तक सन्नाटा ही रहा

"ऐसे क्या देख रही है ?" निशा मुझे ही देख रही थी ..

"बस यही की आप इतने दिनों से मेरे साथ नहीं थे "

मेरे चेहरे में एक मुस्कान आ गई

"तू नहीं समझ सकती की मैंने तुझे कितना मिस किया है "

वो कुछ कहती उससे पहले ही मैंने इशारा अपने पेण्ट की ओर किया ,जिसमे मेरा लिंग पूरी ताकत से खड़ा हुआ था ,निशा का मुँह ही खुल गया था ,

"आप अभी तो हॉस्पिटल से आये हो और इसलिए मुझे मिस कर रहे थे जाओ मैं आपसे बात नहीं करुँगी "

वो गुस्से में उठ खड़ी हुई और मैंने उसका हाथ पकड़ कर उसे अपनी गोद में बिठा लिया

"अरे मेरी जान नाराज क्यों हो रही हो ,सच में तुझे बहुत मिस किया मैंने ,तू मुझसे मिलने तो आती थी लेकिन कुछ बोलती नहीं थी "

"तो क्या बोलती आप घायल थे आपको देख कर रोना आता था मुझे "

उसकी बातो में वही मासूमियत थी जो हमेशा हुआ करती थी

मैंने उसे अपने से और जोरो से कस लिया ..

“मेरी जान इतनी प्यारी क्यो है तू “

वो हल्के से शरमाई साथ ही थोड़ा से मुस्कुराई भी ,वो कुछ भ ना बोली

इधर मेरे पेंट में मेरा लिंग मुझे सामान्य से ज्यादा ही परेशान कर रहा था ,इतने दिन हो गए थे मुझे एक चुद की सख्त जरूरत थी लेकिन निशा का मेरे लिए ये प्यार भी ऐसा था की मैं इसकी अनदेखी नही कर सकता था ,एक तरफ मेरा लिंग चिल्ला चिल्ला कर कह रहा था की साले जल्दी से चोद से अपनी बहन को ,देख इतनी प्यारी है चोदने में मजा आएगा इसे ,इसकी नरम नरम प्यारी कोमल सी चुद ...वाह ,पानी से भरी हुई,...

ये सब सोचकर मेरा लिंग और भी ज्यादा फड़कता था ,वही दूसरी ओर मेरा दिल था ,जो चीख रहा था

क्या सोच रहा है साले,इसे प्यार कर ,इतनी प्यारी है तेरी बहन ,तुझसे कितना प्यार करती है ,और तू इसे चोदने की सोच रहा है ,इसे आराम से सहला इसे प्यार दे,इससे बात कर …

इस तरह से दिल और लिंग में एक द्वंद शुरू हो गया था

लिंग :- सके तू क्या समझा रहा है मांस के लोथड़े ,इस कोमल कली में जब मैं जाऊंगा तो सोच इसकी चुद कैसे फैल जाएगी ,गुलाबी गुलाबी चुद होगी इसकी

दिल :- मैं मांस का लोथड़ा हु तो तू क्या है ,तुझे बस अपनी पड़ी है और इसकी तो सोच ,इतनी कोमल है बेचारी ,इसके गालो को सहला कितना शुकुन मिलेगा तुझे ,इसपर अपना प्यार बरसा ..

लिंग :- मा चुदाने गया प्यार ,चोदने में ही सुख है दोस्त

दिल :- प्रेम से बढ़कर कुछ भी नही

लिंग :- चोद

दिल :- प्यार कर

लिंग :- अबे चोद चूतिये जल्दी मैं फटा जा रहा हु

दिल :- प्यार कर अहसासो से बढ़कर कुछ भी नही

लिंग :- मा चुदाये अहसास चोद इसे

दिल :-नही प्रेम ही सब कुछ है

लिंग :-चोद

“अरे चुप करो यार तुम दोनो “मैं भड़क गया

वही निशा मेरे इस रवैये से घबरा गई

“क्या हुआ भइया “

मुझे होश आया

“कुछ नही मेरी जान ..”

मैंने एक गहरी सांस ली और मन में ही कहा

“मैं इसे चोदूगा लेकिन प्यार से समझे तुम दोनो अब चुप रहो “

निशा मुझे अजीब निगाहों से देख रही थी

“आपको आराम करना चाहिए भइया मैं चलती हु .लगता है आप अभी भी बहुत ही स्ट्रेस में हो “

वो उठाने लगी तो मैंने उसका हाथ पकड़कर खिंचा और उसे सीधा अपने बिस्तर में लिटा दिया ..

उसके कोमल कोमल गाल फड़क रहे थे ,होठ जैसे किसी मादक रस के प्याले हो वो भरे हुए थे और मुझे आमंत्रित कर रहे थे..

मैंने उसके होठो को अपने होठो से मिला दिया

मैं उसके गुलाबी होठो को चूमने लगा ,उसके कोमल स्तनों पर मेरे हाथ पहुच गए थे,मैं उसे आहिस्ते से मसलने लगा था

वो आहे भरने लगी थी ,हमारे होठ मिले और हम एक दूसरे के रस का स्वाद लेने में मस्त हो गए ..

धीरे धीरे हमारे दुनिया हमारे लिए जैसे अनजान हो गई थी ,हम एक दूसरे में खोने लगे थे ……

कुछ देर के लिए मैं निशा का मासूम चहरा देखने लगा ,वो सच में बहुत ही प्यारी लग रही थी ,उसपर उस कसा हुआ जिस्म ..

“क्या हुआ भइया क्या देख रहे हो “

“देख रहा हु मेरी सोना कितनी प्यारी है “

उसने मुझे बहुत ही प्यार से देखा और मेरे होठो को फिर से चूमने लगी ,

अब तक मेरे अंदर का हवस थोड़ा शांत हो चुका था ,उसे भी समझ आ गया था की मैं सिर्फ शैतान नही हु ,मेरे अंदर इंसानियत और अहसासों की अहमियत आज भी जिंदा है ….

मैं पूरे ही मनोयोग से उसके होठो को चूस रहा था,और उसके वक्षो को हल्के हल्के सहला रहा था …

“आह भइया मैं कबसे तड़फ रही थी आपके लिए “

“मैं भी मेरी रानी ..”

मैंने उसके टीशर्ट को निकाल दिया और उसके वक्षो को अपने मुह में डाल कर चूसने लगा ..

वो मेरे बालो पर अपने हाथो को जकड़ रही थी ..

और मुझे अपनी ओर खीच रही थी ,मेरे हाथ नीचे जाकर उसके पेंट को उतारने लगे ,मेरे भी कपड़े कब जिस्म से अलग हो गए थे मुझे इसका कोई एतबार नही था..

मैं नीचे सरका मेरे सामने मेरी प्यारी बहन की प्यारी सी योनि थी ,

वो बिल्कुल ही साफ सुथरी दिखाई दे रही थी ,गुलाबी योनि के पास जाते ही उसकी खुसबू मेरे नथुनों में भरने लगी थी ,मैंने अपने जीभ से एक बार उसे चाट लिया

“आह भइया “

मेरी प्यारी बहन की मादक आवाज मेरे कानो में पड़ी ,वो अंगड़ाई लेते हुए अपने कूल्हों को मेरे मुह से सटाने लगी थी ,मैं भी इत्मीनान से अपने जीभ से उसके योनि को सहला रहा था,मुझे कोई भी जल्दी नही थी


निशा की चिकनी योनि अब गीली भी थी मैंने अपने लिंग को उसके योनि से सहलाया ,वो चुहकी

“आह आओ ना देर क्यो करते हो “

उसके आवाज में एक गजब की मदहोशी थी ..

मैंने बिल्कुल उसके योनि के मुहाने पर अपने लिंग को टिकाया और उसके गीलेपन से गीला मेरा लिंग अपनी बहन की प्यारी सी योनि में सरकता चला गया …..

मैं हल्के हल्के धक्के मार रहा था ,वो भी हल्के हल्के से आहे भर रही थी ….
हम दोनो ही पूरी तरह से मस्त हो चुके थे,हमारे पोजिशन बदलते जाते थे और हमे पता भी नही लगता

मैं कभी उसे पलट कर उसके पीछे हो जाता था ..

तो कभी वो मेरे ऊपर ….

आखरी में वो तूफान शांत हुआ जब निशा जोरो से झड़ गई और साथ ही मैंने भी अपना वीर्य उसके योनि में छोड़ दिया ….

हम दोनो ही निढाल होकर पड़े हुए थे ,

लेकिन इस प्रेम में हमने दरवाजा ही खुला छोड़ दिया था और दो आंखे हमे ये सब करते हुए देख रही थी ……..
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RE: Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी - by sexstories - 03-19-2020, 12:12 PM

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