RE: Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी
अध्याय 36
हॉस्पिटल का माहौल गमगीन था,पिता का पार्थिव शरीर मरचुरी में रखा गया था,माँ ICU में एडमिट थी ,बहनो की आंखे रो रो कर सूज गई थी ,मैं बिल्कुल किसी पत्थर की तरह निश्चल सा हो गया था,मन और शरीर शून्य से पड़ गए थे,क्या हुआ क्यो हुआ कुछ भी समझ के परे था,
भैरव सिंह(रश्मि के पिता) और डॉ चूतिया पूरे दिन साथ ही रहे,लेकिन उनके सांत्वनाये मेरे किसी काम नही आ रही थी ..
तभी ICU का दरवाजा खुला ..
कुछ डॉक्टरस बाहर आये ,और भैरव सिंह के पास पहुचे ..
“राजा साहब ,पेशेंट की हालत खतरे से बाहर है लेकिन अभी जख्मो को भरने और सामान्य होने में समय लगेगा,”
तभी मुझे अचानक से होश आया ,वो डॉ जा चुका था और मैं खड़ा हुआ ..डॉ चूतिया और भैरव सिंह मुझे देखने लगे ,मैं अभी तक एक आंसू नही रोया था जैसे मेरे आंसू ही सुख गए हो ..
“लगातार दो बम विस्फोट हुए ,हमारे कारो में,पापा को फोन आया और उन्हें किसी ने बताया की हमारे कार में भी बम रखा गया है,आखिर क्यो..???अगर उसे हमे मारना ही होता तो बताने की क्या जरूरत थी की हमारे कार में बम है ..”
मैंने उठाते ही कहा और दोनो ही चौक गए ..और मुझे देखने लगे ..
“ऐसे मत देखिए,मेरा मेरे पिता के साथ जीवन में कभी नही बना,पहली बार बनने लगा था लेकिन शायद प्रकृति को यही मंजूर है की हम अलग ही रहे ,और इस समय मैं कमजोर नही पड़ सकता,ना जाने क्या हो रहा है,अगर उन्हें जयजाद ही चाहिए थी वो पहले ही मार देते लेकिन अभी अटैक क्यो,और अगर उनका टारगेट मैं था या मेरी माँ या बहने थी तो स्वाभाविक है की अभी वो इंसान शांत नही बैठेगा ,और मेरे कमजोर होने का मतलब है की उसका ताकतवर हो जाना,मैं अपने परिवार पर कोई खतरा नही होने दूंगा “
मेरी आंखों में जैसे ज्वाला नाचने लगा था ,डॉ चूतिया ने मेरे कंधे पर अपना हाथ रखा ..
“डॉ साहब अब मेरी माँ खतरे से बाहर है ,मेरे ख्याल से अब मुझे पूरी ताकत से इस काम में लग जाना चाहिए ,मुझे अभी पुलिस स्टेशन जाना होगा “
“ह्म्म्म चलो हम भी साथ चलते है ,”
भैरव सिंह बोल उठा
“नही अंकल शायद आपको यही रहना चाहिए,मेरे जाने के बाद कोई तो यंहा होना चाहिए जो मेरे परिवार को सम्हाले,”
अंकल ने हामी भरी और मैं डॉ चूतिया के साथ पुलिस स्टेशन चला गया ..
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“डॉ साहब दोनो गाड़ियों में रिमोट टाइमर वाले बम लगाए गए थे,मतलब रिमोट से टाइमर को कंट्रोल किया जा रहा था ,इसमे रिमोट दबाते ही टाइमर आन हो जाता है ,”
इंस्पेक्टर हमे बता रहा था ..
“और पापा के नंबर पर लास्ट काल किसका था जिसने उन्हें बताया की हमारी काम में बम लगा हुआ है..”
“नही पता सर ,इंटरनैशनल नंबर था जो सिर्फ एक बार यूज़ किया गया,शायद इसी काम के लिए उसे लिया गया था जिससे वो ट्रेक ना किया जा सके..”
“ह्म्म्म :hmm: लेकिन सोचने वाली बात है की अगर उसे तुम लोगो को मारना ही था तो उसने काल क्यो किया ??”
डॉ ने सवाल किया और मेरे दिमाग के कीड़े दौड़ाने लगे ..
“क्योकि उसे सभी को नही मरना था ,वो किसी को बचा रहा था..”
मेरे दिमाग में वो नजारा फिर से घूमने लगा .मैंने अपनी आंखे बंद की सब कुछ क्लियर दिखने लगा था..मैं बोलने लगा ..
“हम बाहर आये सभी खुश थे,पिता जी ने पहली बार अपनी गलती मानी थी,मुझे लगा की आज वो मुझे वापस मिल गए ,हम सभी भाई बहन एक कार से जाने वाले थे वही पिता जी और माँ दूसरी कार से...उस कातिल में दोनो कारो में बम रखा क्योकि उसे पता नही था की कौन किस कार से जाएगा ...अब शायद उसका टारगेट मैं या मेरी बहने थी इसलिए उसने रिमोट से कार में लगे बम को एक्टिव किया ,शायद 2 या 3 मिनट का टाइमर रहा होगा,ताकि गाड़ी थोड़ी आगे बाद जाए ,लेकिन तभी मेरी माँ पिता जी को छोड़कर हमारे साथ बैठ गयी और मामला गड़बड़ हो गया,उसने पिता जी को काल किया और बताया की कार में बम लगा है,जैसे ही वो उतरे की उसने पिता जी की कार में लगे बम को भी एक्टिव कर दिया होगा,पिता जी ने हमे तो बचा लिया लेकिन ….और उसके कुछ देर बाद ही पिता जी की कार भी फट पड़ी...ताकि हमे लगे की वो सब को मारना चाहता था…….लेकिन उसने टारगेट किया था वो किसी को बचा रहा था ???”
मैंने आंखे खोली इंस्पेक्टर और डॉ मुझे ही देख रहे थे…
“तुम्हारी माँ को ..वो तुम्हारी माँ को बचा रहा था..”
डॉ उत्तेजना में बोल उठे…
“.लेकिन क्यो.???.”इंस्पेक्टर जैसे गहरी नींद से अचानक ही जाग गया हो ..
दोनो मुझे ही देख रहे थे...मैं दोनो को एक नजर देखा और अपनी आंखे बंद कर ली ,मेरी रूह मेरे शरीर से बाहर थी और मैं सीधे हॉस्पिटल में ,भैरव सिंह मेरी माँ के कमरे में था,उसका हाथ मेरी माँ के हाथ में था,उसकी आंखों में आंसू था ..
माँ अभी भी बेहोश थी ,तभी दरवाजा खुला और रश्मि अंदर आयी उसने अपने पिता के कंधे पर हाथ रखा ..
“अपने आप को सम्हालो पापा ..”
“कैसे सम्हालु बेटी ,आखिर कैसे ,मेरे कारण ही इसकी ये हालत हुई है ,मेरे कारण ही अनुराधा ने जीवन भर दुख ही पाया,कभी पति से प्यार नही पाया सिर्फ मेरे कारण,चंदानी को हमेशा से शक था की अनुराधा उससे नही मुझसे प्यार करती थी ,उसने इसे पा तो लिया लेकिन इस दर्द से कभी बाहर नही निकल पाया था वो ,उसे तो ये भी लगता था की राज उसका नही मेरा बेटा है ,इसलिए कभी उसने राज को अपना बेटा ही नही माना ,उससे हमेशा ही गैरो की तरह बर्ताव किया ,आज जब सब कुछ ठीक होने वाला था तो ...ये हादसा …”
वो चुप हो गया था ..
लेकिन उसकी बात से रश्मि चौक गई थी ..
“पापा क्या राज सच में आपका खून है “
भैरव ने एक बार रश्मि को देखा और अपने आंसू पोछे ..
मेरे ख्याल से अब हमे चंदानी के अंतिम यात्रा की तैयारी करनी चाहिए ..
वो उठ कर बाहर चला गया लेकिन …….
लेकिन उसकी एक बात से रश्मि और मुझे अंदर किसी गहरे तल बहुत कुछ बदल सा गया था …….
मेरी आंखे खुली मेरे आंखों में फिर से पानी था …..
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