Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी
03-19-2020, 12:22 PM,
#70
RE: Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी
अध्याय 44

अभी तक कोई घर नही पहुचा था तो मैंने निकिता दीदी से बात की और हॉस्पिटल चला गया ,

मा खुस थी की उन्हें घर ले जाया जा रहा है ,वंहा भैरव सिंह भी मौजूद थे ,मुझे देखकर वो थोड़ा नर्वस हुए ..

“नमस्ते अंकल कैसे हो आप “

में भी उसके मजे लेना चाहता था

“ठीक हु ,तूम कहा गए थे ??”

“बस थोड़ा काम था ,उस कातिल के बारे में जानकारी इकठ्ठा कर रहा हु “

“ह्म्म्म”

सब मिलकर मा को घर ले आये और एक नर्स भी साथ आयी जिसे 24 घण्टे मा के साथ ही रहना था ,उसके लिए एक कमरा भी दे दिया ,घर आते ही अपने कमरे में पहुचने पर माँ रोने लगी ,उनका पति मरा था ये स्वाभाविक भी था,और उस कमरे में आते ही उन्हें पापा की याद आ गई ..

पापा कितने भी कमीने क्यो ना रहे हो मा ने हमेशा ही उन्हें प्यार किया था…..

लेकिन कहते है की वक्त हर जख्म को भर देता है ,सब कुछ फिर से ठीक हो जाएगा मुझे ऐसी ही उम्मीद थी…

बड़े दिनों बाद मैं अपने कमरे में सोया था …

निशा अभी मा के पास थी ,मैं अपने कपड़े निकाल कर अपने बिस्तर में गिर गया ,तभी कमरे का दरवाजा खुला मुझे लगा की निशा होगी लेकिन ये नेहा दीदी थी …

“कितना बेसरम है तू घर में तीन तीन जवान बहन है और तू नंगा ही सोया है वो भी दरवाजा खोल कर “

उन्होंने आंखे बन्द करते हुआ कहा ..

उनकी बात सुनकर मैं जोरो से हंस पड़ा

“अरे दीदी आप लोगो से कैसी शर्म “

मैं उठकर एक टॉवेल लपेट लिया

“तू निशा और निकिता दीदी के सामने नंगा घुमा कर मेरे सामने नही “

मैं थोड़ा चौका

“क्या निकिता दीदी ?:?:”

“तुझे क्या लगता है मुझे पता नही चलेगा,निशा मेरी खबरी है उसने मुझे सब बता दिया :laugh:“

“लेकिन निशा को कैसे पता चला :?:“

“उसने उस दिन तुझे दीदी के कमरे में जाते देख लिया था ,लेकिन उसने तुझसे कुछ नही कहा अभी तक “

“ओह तो ये बात है “

“हा यही बात है “वो मेरे बिस्तर में आकर बैठ गई

मैं भी उनके बाजू में बैठ चुका था ,नेहा दीदी भी कुछ कम नही थी,ऊँचाई में थोड़ी छोटी थी लेकिन शरीर बहुत ही जानदार था ,बड़े बड़े वक्ष और निकला हुआ लेकिन टाइट पिछवाड़ा उनकी सबसे आकर्षक चीजे थी ..

“ऐसे दीदी आपको जानकर बुरा नही लगा “

उन्होंने मुझे देखा और मुस्कुराई

“नही ,असल में दीदी को तो तेरी जरूरत थी ,देख ना पहले कैसे चुप चाप रहती थी और अब कितनी अच्छे से रहती है,पुराना बॉयफ्रेंड भी वापस मिल गया उन्हें”

“हम्म और आपको मेरी जरूरत नही है “

मैंने उन्हें मुस्कुराते हुए देखा

“बिल्कुल है ..”उन्होंने भी मुस्कुराते हुए जवाब दिया

“तो आज की रात आपने नाम “उन्होंने हल्के से मेरे गाल में चपत लगा दी

“जरूरत है इसका मलतब ये नही तेरे साथ वो सब कर लू जो तो और निशा करते हो ,तू मेरा भाई है और मैं भी तुझसे बहुत प्यार करती हु लेकिन इसका मतलब नही की मुझे तेरा जिस्म चाहिए “

मैंने उन्हें प्यार से देखा क्योकि वो सच कह रही थी ,मैंने उनके आंखों में देखा और उनके अंदर की वासना को जगाने की कोशिस करने लगा जिसमे मैं एक्सपर्ट हो चुका था ..

वो मेरी आंखों में खोने लगी

“ये तू क्या कर रहा है मेरे साथ “

“कुछ भी नही ,” मैंने मुस्कराते हुए कहा और अपने हाथ उनकी कमर पर रख दिया ..मैंने उन्हें थोड़ा अपनी ओर खिंचा ..

वो मुझसे सट चुकी थी ,उन्होंने एक ढीली सी नाइटी पहनी थी और शायद अंदर वक्षो में कुछ नही पहना था,उनके वक्षो का आभास मुझे साफ साफ होने लगा ,मेरा शैतान भी जगाने लगा था ,

मेरे हाथ उनके वक्षो पर आ गए मैंने उसे हल्के से सहलाया

“आह ,राज “

उनकी आंखे बंद होने लगी थी की उन्होंने अपना सर झटका और जोरो से उठकर खड़ी हो गई ..

“तूने अभी ये मेरे साथ क्या किया ,तुझे समझ नही आता जो मैंने कहा था ,मैं तुझसे प्यार करती हु तू मेरा भाई है लेकिन ये सब छि …”

वो तेजी से मेरे कमरे से बाहर निकल गई ,मेरा जादू पहली बार फेल हो रहा था ...लेकिन मुझे इसका दुख नही था मुझे दुख इस बात का था की मैंने दीदी को समझ नही पाया ...और उन्हें दुखी कर दिया ..

मैं उनके पीछे दौड़ा लेकिन उन्होंने खुद को अपने कमरे में बन्द कर लिया

“दीद मुझे माफ कर दो प्लीज “मैं उनके दरवाजे के बाहर खड़ा था

“चले जा यंहा से अभी मुझे तुझसे कोई बात नही करनी “

“दीदी ..”

“राज प्लीज् चले जा ,मैं नही चाहती की कुछ बुरा हो जाए ऐसे भी हमारे परिवार पर अभी संकट आया हुआ है ..”

मुझे दीदी की बात सही लगी और मैं एक बार फिर उन्हें सॉरी बोलकर वंहा से निकल गया,लेकिन इस हादसे ने मेरी नींद ही छीन ली थी,मैंने एक शार्ट नीचे डाली और थोड़ा टहलने निकल गया ,नीचे निकिता दीदी और निशा माँ के कमरे में थी मैं उनके कमरे की ओर ही जा रहा था की मेरे कान ने एक सिसकी सुनी ..

ये सना के कमरे से आई थी ,उसका कमरा माँ पिता जी के कमरे के पास हि था ,मैं उस ओर चल पड़ा ,अंदर लाइट जल रही थी लेकिन दरवाजा लगा हुआ था मैंने थोड़ा ध्यान लगाया तो मुझे साफ साफ सुनाई दिया की सना की हल्की हल्की आह निकल रही है ..

मुझे भी शैतानी सूझ गई और मैंने दरवाजा खटखटा दिया ..

उसकी सिसकी बंद हो चुकी थी ..

“कौन है “

“मैं हु सना “

“ओह भैया ..रुकिए खोलती हु “

थोड़े देर में उसने दरवाजा खोला चहरा लाल टमाटर हो रहा था सांसे अभी भी थोड़ी तेज ही थी ,कपड़े जैसे जल्दी जल्दी में पहने गए थे ,एक टीशर्ट और एक शॉर्ट देख कर ही लग रहा था की अंदर कुछ भी नही पहना है ,,बिस्तर में पड़ा मोबाइल और हेडफोन इस बात की गवाही दे रहा था की बंदी पोर्न या कुछ ऐसा ही देख रही थी और शायद उंगली कर रही थी …

“जी भइया आप ???“

“या यंहा से गुजर रहा था तेरी आवाज सुनी तो घबरा गया की तू ठीक है की नही “

“आवाज :o ...कैसी आवाज भइया:fear:”

“लगा की तू दर्द से कहार रही है ,तू ठीक तो है ना “

सना के चहरे में डर साफ साफ दिख रहा था ,और मैं मन ही मन हंस रहा था ,उसको उस हालत में देखकर मेरा लिंग टाइट होने लगा था जो की मेरे शार्ट में एक तंबू जैसा बनाने लगा ,यू ही बाहर खड़े होकर बात करना मुझे ठीक नही लगा मैं खुद ही अंदर आकर उसके बिस्तर में बैठ गया ..

मैंने उसका मोबाइल उठा लिया

“क्या देख रही थी कोर्स का पढ़ रही थी क्या “

वो हड़बड़ाए हुए मेरी ओर भागी और हाथो से मोबाइल छीन लिया

“अरे क्या हुआ “

“नही भइया वो..”

“वो क्या बैठ यंहा “

वो घबराते हुए मेरे बाजू में बैठ गई

मैंने अपने हाथो से उसके बालो को सहलाया ,

कितनी मासूम और प्यारी लग रही थी सना,एक बार मुझे भी लगा की मैं शायद इसके साथ गलत कर रहा हु ,फिर मेरी नजर उसके अनछुए वक्षो पर गई ,सारी शराफत जैसे तेल लेने चली गई थी ..

वो शर्म और डर से लाल हुए जा रही थी जिससे उसका गोरा रंग पूरी तरह से लाल हो गया था ,बाल अभी भी बिखरे हुए थे ,मैंने देखा की उसके बिस्तर के पास रखे ड्रेसिंग में नीचे का दराज कुछ खुला हुआ है लगा जैसे जल्दी में बंद किया हो ..

मैं वंहा पहुचा ,सना जो की अभी नजर नीचे किये बैठी थी मुझे उस तरफ जाते देख बिजली की तेजी से उठ खड़ी हुई

“भइया “

डर से जैसे उसका पूरा चहरा पिला पड़ गया था ,मुझे समझ आ गया था की हो न हो इस दराज में कुछ तो है ,मैंनेभी बिना देर किये उसे खोल दिया ,और मैंने जो अदंर देखा उसे देखकर मेरा लिंग एक बार फिर जोरो से फुकार मारने लगा ..

“ओह तो मेडम इस लिए सिसकिया ले रही थी “

मैंने दराज के अंदर हाथ डालकर उस सिलिकॉन के खिलौने को बाहर निकाला जिसे डिलडो कहा जाता है ,एक बड़ा सा डिलडो उसकी दराज से मुझे मिला ,लाल कलर का ,

वो जैसे जम गई हो ,नजर नीचे ही थी और पसीने से पूरी तरह से भीग चुकी थी..

मैंने पहला काम ये किया की कमरे का दरवाजा बंद किया और उसके पास आकर खड़ा हो गया..

“इतनी मासूम सी है ,इतनी प्यारी है मुझे तो लगता था की तू बड़ी ही शरीफ है ,डॉ बनेगी लेकिन तू तो अभी से इंगजेक्शन साथ लिए घूम रही है ...तू इतना बड़ा ले लेती है “

वो बुरी तरह से घबराई हुई थी और कांप रही थी मैंने उसका हाथ पकड़कर उसे बिस्तर में खीच लिया और अपने गोद में बिठा लिया मेरा लिंग सीधा उसके मख्खन जैसे नितंबो पर जा लगे लेकिन फिर भी वो हिली नही ..

मैं उसके गालो को हल्के से सहलाने लगा

“अरे बात ना सच में ले लेती है इसे पूरा “

उसने ना में सर हिलाया

“तेरे पास कहा से आया ये “

“वो ..वो दीदी ने दिया “

“दीदी ने किसने “

“निकिता दीदी ने ,बोली की अब ये मेरे किसी काम की नही तो तू मजे कर “

मैं जोरो से हंसा

“अरे पागल जब असली चीज सामने हो तो इन खिलौनों से क्यो खेल रही है “

मैं खड़ा हुआ और अपना शार्ट नीचे कर दिया,मेरा फंफनाता हुआ लिंग मेरी कमर में झूलने लगा था ,सना की आंखे जैसे ही उसपर गई उसकी नजरे ही वंहा जम गई ,वो मुह फाड़े इसे देख रही थी ,देखती भी क्यो ना इसके सामने तो वो डिलडो भी फैल था ..

मैंने उसका हाथ अपने हाथो से पकड़ा और उसे अपने लिंग में लगा दिया

“तेरे डिलडो से भी मजबूत ,और रियाल भी है चाहे तो मुह में डालकर भी देख ले “

अचानक ही उसने मेरे लिंग को छोड़ दिया

“नही भइया ये आप क्या कह रहे है”

सना कच्ची कली थी और बहुत ही नाजुक भी,शायद बेचारी ने आज ही पहली बार ये सब ट्राय करने की कोशिस की हो और पकड़ी गई,लेकिन मुझे ये भी पता था की वो जिस उम्र में है वो हार्मोन्स के सबसे ज्यादा उछलने की उम्र है ,और सना का बदन भी अब भोग लगाने के लायक तो हो ही चुका था ..

मैं उसके बाजू में बैठकर उसके बालो को सहलाने लगा ..

“देख सना मैंने तुझे अपनी बहनो जैसा ही प्यार किया है,और मेरी बहन को किसी चीज की कमी नही होनी चाहिए,निकिता दीदी जिस असली चीज के बारे में बोल रही थी वो यही है ,तो तू भी तो मेरी बहन है तुझे क्यो इस फालतू खिलौने से खेलने दे सकता हु जब तेरे भाई के पास इससे भी अच्छी चीज है ..है ना “

उसने एक बार मुझे देखा उसकी आंखों में गजब का आश्चर्य था ..

“निकिता दीदी और आप “

“तो क्या हुआ मेरी जान मेरी आंखों में देख “

उसने मेरी आंखों में देखा और मेरा काम हो गया वो ऐसे भी पहले से ही गर्म थी तो उसे और गर्म करना मेरे लिए चुटकियों का खेल था ..

मैंने उसे बिस्तर में लिटा दिया और उसके होठो में होठ डालकर अच्छे से उसके वक्षो की मालिस शुरू कर दी ..

अब हम दोनो ही तड़फ रहे थे ,मैंने उसके शॉर्ट के अंदर अपने हाथ डाले उसकी अनछुई योनि कामरस से पूरी तरह से गीली थी ,लग रहा था की आज ही इसने अपने जंगल को साफ किया था ,मेरी एक उंगली अंदर जाते हुए वो उछाल पड़ी ..

उसका मुह खुला का खुला था,ये भी एक कच्ची काली थी तो इसके लिए भी मुझे थोड़ी मेहनत करनी पड़ेगी ..

ये सोचकर मैंने उसे अपने गोदी में उठा लिया और सीधे अपने कमरे में ले गया ,टॉमी मुझे देखकर खड़ा हो गया वो अभी मेरे बिस्तर में ही सोया हुआ था ...उसने एक बार मुझे और सना को देखा और जैसे सब कुछ जान गया बिस्तर से उतर कर नीचे लेट गया..

वो भी सोचता होगा की कुत्ता तो मैं हु लेकिन असली कुत्ता तो ये साला राज ही है ……

उसके बाद खेल शुरू हुआ और वो लगभग 1 घंटे तक चलता रहा ,तेल लगा लगा कर मैंने सना के कोमल और सीलबंद माल को अच्छे से खोल दिया था ,वो अभी भी इतनी कसी हुई थी की मेरा लिंग आधे में ही अटक जाता ,लेकिन एक दो बार के ओर्गास्म के बाद मेरा लिंग उसके अंदर पूरी तरह से समाने लगा था ..

लेकिन मेरी वही पुरानी प्रॉब्लम साला वो बेचारी थककर चूर हो चुकी थी लेकिन अभी भी मेरा लिंग वैसे ही अपने अकड़ में था …

मुझे सना पर दया आ गई उसका आज पहली बार ही था तो मैंने उसे कपड़े पहना कर फिर से अपने गोद में उठा लिया ..

जैसे ही मैं अपने कमरे से निकला था नेहा दीदी भी अपने कमरे से निकली और मुझे देखकर उनके चहरे में आपार गुस्सा उमड़ पड़ा ..

“इस बेचारी को तो बक्स देता “

मैंने तुरंत ही सना को गोद से उतार दिया वो बेचारी शर्म से नीचे देखे जा रही थी ,दीदी की नजर मेरे लिंग में गई जो अभी मेरे शार्ट में ही उछाल रहा था ..

“तू पूरा हवसी हो गया है अब इस बेचारी की ये हालात करने के बाद भी तेरा मन नही भरा ..छि ,भाई नही शैतान है तू “

उन्होंने गुस्से में सना का हाथ पकड़ा और उसे उसके कमरे की ओर ले जाने लगी तभी वो पलटी ..

“वही खड़ा रह निशा या निकिता दीदी को भेजती हु तेरे अंदर के शैतान को ठंडा करने “

और वो नीचे चली गई ..मैं अवाक वही खड़ा रह गया था ,

नेहा दीदी मुझे समझ ही नही आ रही थी ,एक तरफ उन्हें ये सब गलत लगता था वही दूसरी तरफ वो मेरा सपोर्ट भी कर रही थी …

ख़ैर थोड़ी देर में निशा कमरे में आयी और फिर सारी रात मैंने पहले निशा को फिर निकिता दीदी को प्यार किया जब तक मेरे नन्हे शैतान ने पानी नही छोड़ दिया…(यंहा प्यार का मतलब चोदना ही है लेकिन प्यार बोल दो तो अच्छा लग जाता है
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RE: Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी - by sexstories - 03-19-2020, 12:22 PM

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