RE: Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी
अध्याय 56
आखिरकार वो ही दिन आ गया जब हमारी शादी हुई ,पूरा माहौल खुश था,शहनाइयां बज रही थी ,दिल झूम रहा था ..
पहले मेरी बारात गई और फिर दूसरे दिन निकिता दीदी की शादी होनी थी ,बारात आने ही वाली थी और में दीदी के कमरे में गया …
वो दुल्हन के परिधान में बैठी हुई बहुत ही प्यारी लग रही थी ..
मैंने सबसे उनसे अकेले बात करने के लिए थोड़ा समय मांगा…
“क्या हुआ भाई”
मुझे अपने चहरे को इतना गौर से देखते हुए दीदी ने कहा
“आप बहुत ही सुंदर लग रही हो “
मैंने उनके माथे को चुम लिया..
वो भी मुस्कुरा रही थी
“दीदी ,रोहित जैसा भी है आपसे बहुत ही प्यार करता है “
“जानती हुई इसलिए तो इस शादी के लिए राजी हो गई,और तू तो है ना सब सम्हालने के लिए “
वो मुस्कुराई
“सब का मतलब…”
मैं उन्हें देखकर मुस्कुराया
“सब का मतलब सब ..अगर रोहित मुझे खुश नही कर पाया तो “
मैं हल्के से मुस्कुराने लगा
“वो कर लेगा फिक्र मत कीजिये,हमारे बीच जो भी हुआ है आजतक उसे सब पता है ,लेकिन आज के बाद आप उसकी है,मैंने उसे ट्रेन किया है वो अब मानसिक और शारीरिक रूप से पहले से बहुत ही अच्छा और मजबूत इंसान बन चुका है..”
“जानती हु भाई लेकिन उसकी बस वो देखने वाली बीमारी उसके सर में ना चढ़े वरना करने की जगह बाद देखता रह जाएगा “
हम दोनो ही इस बात पर जोरो से हँस पड़े
“डोंट वरी वो सम्हाल लेगा अब “
“और भाई रश्मि को खुश रखना,ये बड़ी बात है की वो तुमसे इतना प्यार करती है,तू नसीबवाला है की तुझे समझने वाली बीबी तुझे मिल रही है और एक बात और अपने हैवान को अपने काबू में रखना ,बेचारी के लिए सब कुछ नया होगा “
मैंने मुस्कराते हुए हा में सर हिलाया और उनका माथा फिर से चूम लिया …
दीदी की बिदाई हो चुकी थी ,सही शादी के भागदौड़ में थके हुए थे..दूसरे दिन मेरी सुहागरात होनी थी ..
मुझे सुबह से ही अपने कमरे में घुसने नही दिया गया था ,रात में जब मैं वंहा पहुचा तो पूरा कमरा अच्छे से सजाया गया था..
अंदर मेरी दो बहने मेरा इंतजार कर रही थी …
“भाई पहले शगुन दो फिर हम जाएंगे “
निशा ने इठलाते हुए कहा ,मेरी जान रश्मि अभी सिकुड़ी हुई अंदर ही अंदर मुस्कुराते हुए बैठी थी ..
वही निशा और नेहा दीदी मेरे बिस्तर पर आराम से बैठी थी ,टॉमी भी मानो कोई शगुन की आस में उनके साथ ही बैठा हुआ था ..
“क्या शगुन चाहिए “
मेरी बात सुनकर दोनो एक दूसरे को देखने लगी
फिर निशा ने ही आगे की बात की
“भाई पूरा पर्स खाली करेंगे तब ही भाभी के पास आने देंगे वरना हम यही बैठे है “
“अच्छा तो बैठे रहो मेरी जान से प्यार करने में मैं शरमाउंगा क्या ??”
“हा तू तो बेशर्म ही है,चल चुप चाप शगुन निकाल “
इस बार नेहा दीदी ने मुझे झाड़ा “
“अरे तो बताओ तो की कितना ??”
मेरी बात सुनकर फिर से दोनो बहने एक दूसरे को देखने लगे ..
“मुझे एक शगुन चाहिए “निशा बोल उठी
“अरे मेरी जान मेरा जो भी है वो तेरा ही तो है तू बोल ना तुझे क्या चाहिए “
आखिर मैंने भी बोला
“मुझे चाहिये...कि ..आप भाभी से बेहद प्यार करोगे और साथ ही उनका पूरा ख्याल रखोगे “
निशा की मासूम सी आवाज मेरे कानो में पड़ी
मेरे और नेहा दीदी के साथ साथ रश्मि भी मुस्कुराने लगी थी
“अच्छा तुझे क्या लगता है की मैं तेरी भाभी को प्यार नही करूँगा “
मैंने निशा को छेड़ा
“मैं जानती हु की आप भाभी से कितना प्यार करते हो लेकिन फिर भी मुझे कसम दो “
निशा का बालहठ जारी था
“”तू बोले तो जान दे दु तेरी भाभी के लिए .”
मेरी बात सुनकर सब थोड़ी देर के लिए चुप हो गए
“अच्छा खाई में लटक कर भी दिमाग ठिकाने नही आया ना आपका ,चलो सीधे सीधे प्रोमिश करो मुझसे “
निशा की इस बात ने कहि ना कहि मेरा दिल ही जीत लिया था ,मैं उसके हाथ में अपना हाथ रखकर बोल पड़ा..
“”मैं तेरी भाभी से जान से भी ज्यादा प्यार करूँगा ,वो मेरी जान है उसके लिये कुछ भी करूँगा ओके ..”
मेरी बात सुनकर जन्हा निशा के चहरे में नूर आ गया वही रश्मि थोड़ी और सहम सी गई ,ना जाने घूंघट के अंदर का क्या माजरा था ..
“भाई अब शगुन दे और हमे बिदा कर “
नेहा दीदी ने साफ शब्दो में कहा
“अरे तो बोलो ना,अपनी बहनो के लिए तो जान हाजिर है “
“जान नही बस तू पर्स इधर दे “
मैंने मुस्कुराते हुए अपना पर्स उन्हें दे दिया…
“ छि कैसा कंगाल आदमी है ,इतनी बड़ी प्रॉपर्टी का मालिक हो गया है फिर भी जेब में सिर्फ 2 हजार रुपये “
“अरे दीदी क्रेडिट कार्ड रख लो जो लेना हो ले लेना “
“हमे बस नेंग के लिये चाहिए,अभी यंहा से निकलेंगे तो पूरे परिवार वाले पूछेंगे की भाई ने कितना दिया ,ये क्रेडिट नही केस होता है “
“ओह..कैश तो इतना ही है “
“कोई बात नही इतने में काम चला लेंगे “
दीदी ने पैसे अपने पास रख लिए और रश्मि के सर पर एक किस किया साथ ही मेरे माथे को भी चूमा ,वही निशा ने भी किया ..
“बेस्ट ऑफ लक भाई”
दोनो मुस्कुराते हुए वंहा से निकल गई ,साथ ही टॉमी को भी ले गयी ..
“अरे उसे तो छोड़ दो ,उसे कहा ले जा रही हो “
मेरी बात सुनकर दोनो ही हँस पड़ी वही मुझे रश्मि की भी हंसी की आवाज सुनाई दी ..
“आज इसे हम लोगो के पास रखने दे ओके..”
मैंने कोई बहस नही किया ,क्योकि अगर वो ऐसा कर रही थी तो कुछ सोचकर ही कर रही थी ...
ये परम्पराए भी अजीब होती है ,इतनी दौलत होते हुए भी मेरी बहने 2 हजार में खुश हो गई ..
खैर सामने रश्मि शरमाई और सहमी ही बैठी थी ,ऐसे जिनकी लव मैरिज हुई हो उन्हें ऐसे शर्माना तो शोभा नही देता लेकिन सच कहो तो ये शर्म एक औरत को और भी खूबसूरत बना देता है ..
मैंने धीरे से उसका घूंघट उठाया,वो हल्के हल्के मुस्कुरा रही थी ..
“हाय मेरी जान कितनी खूबसूरत लग रही हो “
सच में वो बेहद ही सूंदर लग रही थी ,सुंदरता सिर्फ जिस्म की नही होती असल में सूंदर होना और सूंदर दिखना दोनो में फर्क है ,कोई दुनिया की नजर में सूंदर हो सकता है लेकिन आप को सूंदर ना लगे वही कोई दुनिया की नजर में सुंदर नही हो वो आपको बेहद ही सूंदर लगे ,जैसे की मा को उसके बच्चे हमेशा से सूंदर लगते है चाहे वो जैसे भी हो ..
प्रेम में होने से सुंदरता और भी बढ़ जाती है ,मैं प्रेम में था एक गहरे प्रेम में था और रश्मि भी शायद मेरे लिए वैसा ही महसूस करती थी..
मुस्कराती हुई रश्मि को देखकर मुझे समझ ही नही आ रहा था की मैं शुरू कहा से करू क्योकि मैं जो भी करता तो हो सकता है उसकी मुस्कराहट चली जाती और मै ये नही होने देना चाहता था ..
“इन लोग टॉमी को भी ले गए “
मैंने बात बढ़ाने के लिए कहा,हमारे रिलेशन को इतना दिन हो गया था फिर भी मुझे यंहा बैठकर नर्वस सी फिलिंग आ रही थी ..
मेरी बात सुनकर वो हंसी
“मैंने ही कहा था “
“वाट ? क्यो??”
“मुझे शर्म आती ना इसलिए “
“अरे तो टॉमी से क्या शर्माना “
वो फिर से हल्के से हंसी “
“नही पता लेकिन उसके सामने “
“उसके सामने क्या ?”
“वो मेरा देवर जो है “
रश्मि की बात सुनकर मुझे बेहद प्यार आया और मैंने उसके गालो को चुम लिया
“अच्छा वो तुम्हारा देवर है “
“अब आप मेरे पति हो “
मुझे अचानक ही ये याद आया की मैं सच में उसका पति हु ,ये हो गया था ..ये फिलिंग भी मेरे दिमाग से निकल गई थी ,पति होने की फिलिंग ..वो मेरी पत्नी थी इसका मतलब बहुत ही बड़ा था.एक जिम्मेदारी साथ थी ,और उसके साथ ही एक अधिकार भी ..
मैंने रश्मि को जोरो से जकड़ लिया था .
“क्या हुआ आपको “
वो मुझे आप कहने लगी थी ,मेरे चहरे में ये सुनकर मुस्कान आ गई
“तुम मेरी हो गई जान “
“मैं तो हमेशा से ही आपकी हु “
“लेकिन आज दुनिया के सामने भी हो गई ,”
“और आप भी अब मेरे हो “
“हा मेरी जान “
मैंने रश्मि के होठो पर अपने होठो को रख दिया ,झलकते हुए पैमानों से होठो का रस मेरे होठो में घुलने लगा था ,उसने भी अपनी बांहे मेरे गले में डालकर मुझे खुद को सौप दिया था..
हम आगे बड़े और तब तक नही रुके जब तक हम एक दूसरे में खो ही नही गए …..
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