RE: kaamvasna साँझा बिस्तर साँझा बीबियाँ
राज की बात सुन कर कुमुद रोते रोते ही बरबस हंस पड़ी और बोली, "राज तुम तो बातों बातों में काफी आगे बढ़ गए! तुमने तो मुझे बगैर पूछे अपनी गर्ल फ्रेंड बना डाला। खैर, जब तुम्हारे भैया को कोई एतराज नहीं तो मुझे क्यों एतराज होगा? लड़की तो मैं हूँ ही और फिर तुम्हारी फ्रेंड भी तो हूँ। मेरी समझ में यह नहीं आता था की मेरे मन की बात मैं किस से करूँ? मैं तुम्हें अपना मानती हूँ और एक राज ही है जिसे मैं अपने मनके राज़ बता सकती हूँ। मैं खुले दिल से आज मेरे मन की उलझन तुम्हें बताना चाहती हूँ। यह बात कमल, मेरे और एक दूसरी स्त्री के शारीरिक सम्बन्ध के बारे में है।"
राज ने धीरे से कहा, "ओह! तो यह बात है! कुमुद शायद तुम जो कहने जा रही हो वह बात जातीय संबंधों और सेक्स को लेकर है। अगर ऐसा है तो फिर हम दोनों के बिच में जो औपचारिकता की दिवार है वह ख़तम होनी चाहिए। क्यूंकि अगर तुम मुझे आप कहके बुलाओगी या फिर हम दोनों के बिच में खुल्लम खुल्ला बात नहीं होगी तो ना तुम मुझे ठीक से बता पाओगी और ना मैं ठीक से समझ पाउँगा। इस लिए क्या हम खुल्लम खुल्ला बात नहीं कर सकते?"
कुमुद ने मुड़कर राज की और देखा और राज का हाथ अपने हाथों में लेती हुई बोली, "ठीक बात है राज। जब हम इतने करीब आ ही गए हैं तो बेहतर है की अपने मन की बात स्पष्ट रूप से कहें। और हाँ, बात सेक्स के बारे में ही है।"
राज ने कुमुद का हाथ अपने हाथों में दबाते हुए कमल का रानी के साथ आजमाया हुआ पेंच कुमुद के साथ आजमाया और कहा, "जब बात सेक्स की ही है तो फिर हमें एक दूसरे से कुछ भी छुपाना नहीं चाहिए और जो बात हो वह खुल्लम खुल्ला स्पष्ट रूप में बोलनी चाहिए। तो फिर क्या इसके लिए तुम्हे सभ्य शब्दों का ही प्रयोग करना जरुरी है? मैं चाहूँगा की तुम मुझसे स्पष्ट बात करो। सेक्स या फिर साथ में सोना की जगह कहो चोदना, पुरुष लिंग की जगह बोलो लण्ड. स्त्री लिंग की जगह बोलो चूत। तब तो बात में कोई असमंजस नहीं रहेगा। क्यों की अगर ऐसे शब्द बोलने में तुम्हें हीचकीचाहट है तो फिर हम खुल्लम खुला बात कैसे कर सकते हैं? मैं कुछ गलत तो नहीं कह रहा?"
राज की बात सुनकर कुमुद एकदम चुप हो गयी और राज की और एक अजीबो गरीब नजर से देखने लगी। शायद कुमुद को राज की बात सुनकर एक झटका सा लगा। राज मन ही मन अफ़सोस करने लगा। वह डर गया की उसकी बात सुनकर कमल की पत्नी जो इतनी रूढ़िवादी थी कहीं उठकर उसे तमाचा ही ना मार दे। उसे लगा की उसने यह अश्लील माने जाने वाले शब्द बोलकर भयंकर भूल कर दी थी। कुमुद के चेहरे का रंग जैसे उड़ सा गया। थोड़ी देर के लिए उसने राज की बात का कोई उत्तर नहीं दिया। शायद कुमुद कोई गंभीर सोच में डूब गयी।
पर थोड़ी देर बाद कुछ हिचकिचाते हुए कुमुद थोड़ी मुस्कुराई और बड़ी ही दबी सी आवाज में बोली, "नहीं राज, तुमने ठीक ही कहा है। मैं और कमल, हम पति पत्नी जब सेक्स के बारेमें बात करते हैं तो थोड़े ही सभ्य शब्दों का प्रयोग करते हैं? कमल तो खुल्लम खुल्ला ही नंगे शब्दों का ही उपयोग करता है और मुझसे भी वही शब्द बुलवाता है। पर पता नहीं तुम्हारे साथ ऐसे शब्द मैं बोल पाऊँगी या नहीं। पर हाँ कोशिश जरूर करुँगी। तो सुनो। यह बात कहते हुए मुझे डर हैं की कहीं तुम्हारा दिल टूट न जाए। पर खैर अब बात तो करनी ही पड़ेगी। तुम्हारा प्रिय दोस्त, यानी मेरा पति कमल जब मुझसे सेक्स करता है, सॉरी, मुझे चोदता है तो वह हकीकत में तुम्हारी बीबी यानी रानी के सपने देखता है। अपने मन में वह सोचता है की वह मुझसे नहीं रानी से सेक्स, सॉरी मुझ को नहीं रानी को चोद रहा है। यह मुझे तब पता चला जब वह मुझे चोदते एक बार अनजानेमें ही 'रानी डार्लिंग तुम्हारी चूत बड़ी गरम है।' ऐसे ही कुछ बोलने लगा। मैं सोचती हूँ की कहीं ऐसा तो नहीं की मेरे पति और तुम्हारी बीबी के बिच में अवैध सम्बन्ध हों और हमें पता भी ना चले?"
कुमुद की बात सुनकर राज ने चैन की सांस ली। जरूर वह एक कदम आगे बढ़ चुका था और अब उसे कमल की चाणक्य निति की सफलता का पक्का विश्वास हो गया। जाने अनजाने कुमुद भी दोनों पुरुषों की जाल में फंस ने वाली लग रही थी।
राज कुमुद की बात सुनकर ठहाका मार कर हंसने लगा और बोला, "कुमुद डार्लिंग, बस इतनी सी बात? तुम इसके लिए अपने इतने बहुमूल्य आंसू बहा रही थी?"
कुमुद राज की बात सुनकर रिसियाती हुई बोली, "इसमें हंसने की क्या बात है? क्या यह गंभीर मामला नहीं है? क्या तुम्हें यह सब पता है?"
राज अपनी हंसी को नियंत्रित करते हुए बोला, "देखो, मैंने तुम्हें बात बात में कुमुद डार्लिंग कहा। तुमने उस पर ध्यान भी नहीं दिया। जैसे हमारे बिच में एक खुल्लम खुल्ला बात करने का सम्बन्ध है वैसे ही मेरी बीबी रानी और तुम्हारे पति कमल के बीचमें भी यह सम्बन्ध हो सकता है या नहीं? दूसरी बात, कमल भैया के लिए तो मैं अपनी जान देने के लिए भी तैयार हूँ। शायद तुम्हें पता नहीं होगा की हम दोनों तो बचपन में एक ही पत्नी के साथ शादी करने के ख्वाब देख रहे थे। जब थोड़े बड़े हुए तो फिर हमने सोचा की जरूर हम एक दूसरे की पत्नी अगर अच्छी लगी तो मिल बाँट कर भोगेंगे। पर शादी के बाद तो बीबियों की भी सुननी पड़ती है न? खैर, वह अगर रानी को चोदना चाहते हैं और अगर रानी को उसमें कोई एतराज नहीं है तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है। पर बात चोदने की कहाँ है? कमल भैया तो रानी को चोदने की सिर्फ कल्पना ही तो कर रहे थे? वास्तव में तो वह रानी को चोद नहीं रहे हैं, तो फिर तुम इतनी परेशान क्यूँ हो रही हो?"
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