RE: kaamvasna साँझा बिस्तर साँझा बीबियाँ
रानी से यह सब सुन कर रहा नहीं गया और वह बोल उठी, "मैं आप सब से छोटी हूँ। अगर आप सब इजाजत दें तो मेरा एक सवाल है।" सब चुप हो कर रानी की और आश्चर्य से देखने लगे और अपना सर हिला कर सम्मति दी।
रानी ने कहा, "मैं मानती हूँ की हमें एक दूसरे से चीटिंग यानी धोखेबाजी नहीं करनी चाहिए, पर हम भारतीय नारियाँ ऐसे संस्कार में पली हैं की आसानी से अपने बदन का प्रदर्शन नहीं कर सकतीं। हम खुल्लमखुल्ला बात नहीं कर सकतीं। हमें शर्म आती है। हम अपने पति के साथ भी एकदम बिंदास होकर सेक्स नहीं कर सकतीं, कपडे नहीं उतार सकतीं, तो दूसरों के सामने की तो बात ही क्या? मेरी आप लोगों से बिनती है की हमारी मज़बूरी को भी समझियेगा। आप लोगों को हमें कुछ तो ढील देनी चाहिए।"
सब भौंचक्के हो कर एक दूसरे को देखते रहे। तब राज ने कहा, "रानी ठीक कहती है। देखिये, मैं एक बात मानता हूँ। हम सब कभी कभी थोड़ा झूठ बोल लेते हैं। हम सब कभी कभी थोड़ी सी बेईमानी भी तो करते ही हैं। जब हम स्कूल में गुल्ली मारते थे तब, घर में पिक्चर देखने या गर्ल फ्रेंड से मिलने जाना होता था तब, ताश खेलते हुए, बच्चे थे तब एडल्ट फिल्म देखने के लिए माँ बाप से , कोई ख़ास काम हो तो ऑफिस में भी झूठ बोलते थे और बोलते है। तो अगर कभी कभी हम सेक्स में भी थोड़ा झूठ बोलें तो हमें बुरा नहीं मानना चाहिए। बल्कि थोड़ी चोरी हो तो सेक्स में कुछ ज्यादा ही रोमांच आता है। हम पति पत्नी कभी थोड़ा सा भटक जाएँ या फिर थोडासा फिसल जाएँ तो हमें बातका बतंगड़ नहीं बनाना चाहिए। 'थोड़ी सी बेवफाई' तो चलती है यार। हम अगर एक दूसरे से छिपकर थोड़ा इधर उधर कुछ कर लेते हैं, एक दूसरे की बीबी से चोरी छुपी से थोड़ी ज्यादा छूट भी ले लेते हैं, तो जानते हुए भी अनजान बनने में कोई बुराई नहीं है। इसका मजा लेना चाहिए। इतना विश्वास तो हमें अपने पति या पत्नी पर रखना होगा और इतनी छूट तो हमें एक दूसरे को देनी होगी। आजकल यह सब चलता है।"
सब राज की बात को ध्यान से सुन रहे थे। राज ने कहा, "पर हाँ, हमारी वचनबद्धता हमारे पति या पत्नी में ही होनी चाहिए। अगर हमने 'थोड़ी सी बेवफाई' कर ली तो क्या होगया? हमारे पति या पत्नी हमारे जीवन का एक अटूट हिस्सा होना चाहिए, क्यूंकि हमारे भाई बहन, माँ बाप, बच्चे सब इसी सम्बन्ध पर टिके हुए हैं। इस लिए यह इमारत को कोई क्षति नहीं पहुंचनी चाहिए।"
कुमुद बोल पड़ी, "राज हमें सब कुछ खुल्लम खुल्ला बोलने की जरुरत नहीं है। पर अगर हम प्यार से खुल्लम खुल्ला बोलते हैं तो कोई हर्ज भी नहीं है। हमें जो कुछ करना है, वह खुल्लम खुल्ला करें या फिर थोड़ा छुपा कर, हमें एक दूसरे की नाजुकता और संवेदनशीलता का ध्यान रखना चाहिए। हम सब अलग अलग व्यक्तित्व रखते हैं तो स्वाभाविक है की हम सब अलग अलग तरीके से बात करेंगे, सेक्स भी अलग अलग तरीके से करेंगे। वाकई मझा तो उसी में है। थोड़ी सी बेवफाई में भी तो मज़ा आता है। याद करो, हम सब ने स्कूल या कॉलेज में किसी लड़के या लड़की से चोरी छुपके मिलना, सब की नज़रों से बच कर किस करना, नजर चुरा के चूँचियों को दबाना, मौक़ा मिलने पर कोई कोने में दो पैरों के बिच में उंगली डाल देना और कभी कभी तो और भी आगे बढ़कर सेक्स भी कर लेना, कुछ न कुछ तो किया था न? कितना मजा आता था न? पर क्या हुआ? अब हम पति पत्नी बन कर अपना अपना धर्म तो निभा रहे है न? तो चोरी छुपी हो या खुल्लम खुल्ला; जो करना है, जैसे करना है, करें; पर सोच समझ कर करें।"
कमल ने कहा, "भाई मैं भी तो यही कह रहा हूँ। विशेषता में ही एकता है। हम सब विशेषता चाहते हैं, विविधता चाहते हैं, नयी नयी चीझें आजमाना चाहते हैं। तो चलो चाहे छुप कर या फिर खुल्लम खुल्ला, चलो हम आज प्यार की नयी रीत अपनाते हैं।"
कमल की बात सुन कर रानी ने चौँक कर पूछा, "क्या मतलब है तुम्हारा कमल?"
कमल ने कहा, "बूझो तो जानूं। बस इतना कहना ही काफी है।"
तब कुमुद ने कहा, "बस बहुत हो गया। अब और कोई सीरियस बात नहीं करनीं। चलो हम कोई खेल खेलते हैं।" खेल का नाम सुनकर रानी की आँखें चमक उठीं। वह एकदम बैठ गयी और उत्सुकता से सुनने लगी की कुमुद कौनसा खेल खेलने के लिए कह रही थीं। वह समझ गयी की जो भी खेल होगा, कुछ न कुछ नया रंग लाएगा जरूर।
कमल ने कहा, "खेल क्यों? क्या खेल खेलेंगे?"
राज ने कहा, "हम एक दूसरे को हिंदी पिक्चर के बारेमें एक सवाल पूछेंगे। सवाल सरल होना चाहिए। जो जवाब दे देगा वह पास। फिर सवाल पूछने की बारी उसीकी होगी। अगर जवाब नहीं दे पाया तो फिर पूछने वाला जो सजा देगा उसे मानी पड़ेगी। बोलो मंजूर है?"
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