RE: kaamvasna साँझा बिस्तर साँझा बीबियाँ
कुमुद ने कमल के लण्ड से अपना हाथ हटा लिया क्यूंकि कुमुद को दर्द हो रहा था। तब कमल ने अपने पाजामे का नाडा खोल दिया और अपने लण्ड को खुल्ला छोड़ दिया। कमल अपनी पत्नी कुमुद के पीछे था इसलिए राज और रानी उसे देख नहीं पाए पर उन्होंने देखा की कमल अपना पजामा उतार चुका था और वह कुमुद की बाहों के ऊपर से अपना एक हाथ लंबा कर अपनी बीबी कुमुद के स्तनोँ को दबा रहा था और साथ साथ रानी के हाथ जो कुमुद के स्तनोँ को सेहला रहे थे उन्हें दबा कर अपनी इच्छा प्रकट कर रहा था। पीछे से कमल कुमुद की गांड की दरार में हलके से अपना लण्ड फँसा ने में जुटा हुआ था।
यह देखकर राज भी उत्तेजित हो कर अपनी बीबी रानी के स्तनों को और जोश से मलने लगा। राज का सपना साकार होने वाला था। कुमुद के नग्न बदन के दर्शन करनेका राजका पहला सपना तो साकार हो ही चुका था। अब उसे दूसरे सपने का फलीभूत होने का बेसब्री से इंतजार था। वह बेचैन था की कब उसे कमल भैया की पत्नी और उसकी चाह, कुमुद के नंगे बदन को अपने हाथों से सहलाने का, दुलार करने का मौक़ा मिले।
कमरे में सेक्स की खुशबु चारों और फ़ैल रही थी। दोनों बीबियों ने जो परफ्यूम लगाए थे उसके साथ चारों की योनियों से रिसते हुए रस की खुशबु मिल कर एक रोमांचक सी महक कमरे को तरबतर कर रही थी। कोई कुछ भी बोल नहीं रहा था। सब का ध्यान 'अब आगे क्या होगा ' पर केंद्रित था। हालांकि सबको आज रात का अंजाम भलीभांति पता था, पर फिर भी आखिरी वक्त पर कहीं कोई पासा उलटा ना पड़ जाए, कहीं कोई बेगम नाराज ना हो जाए, उसकी आशंका से दोनों पति अपनी पत्नियों को कुछ ज्यादा ही खुश रखने में मशगूल थे।
हालांकि दोनों मर्द अपनी बीबी से ज्यादा दूसरे की बीबी के बारेमें सोच रहे थे; पर क्यूंकि बीबियों की रजामंदी के बगैर जो वह करना चाहते थे वह नहीं हो सकता था इस लिए, दोनों पति अपनी बीबियों को यह जताने में लगे हुए थे की उनका ध्यान अपनी बीबियों पर ही था। कोई भी पति दूसरे की बीबी को छेड़ने की पहल नहीं कर रहा था। हाँ कमल कुमुद के स्तनों को सहलाते हुए रानी के हाथ को दबा कर अपनी कामना का संकेत जरूर दे रहा था।
तब अचानक कमल धीरे से ऊपर की और उठा और अपनी बीबी कुमुद को पलंग पर सीधा लिटा कर उसके दोनों पाँवों के बिच जा पहुंचा। कुमुद कुछ बोले या कुछ विरोध करे उसके पहले कमल ने कुमुद की टांगें फैला दी और उनके बिच अपने मुंह को डालकर अपनी बीबी की चूत को चाटने लगा।
राज की नजर कुमुद की चूत पर अटक सी गयी। राज ने कई बार कुमुद को मन ही मन में चोदा था। कुमुद की चूत की कई बार वह कल्पना कर चुका था। पर अपनी आँखों से साक्षात् जब देखा तो पाया की कुमुद की चूत उसकी कल्पना से भी कहीं खूबसूरत थी। दो लचीली सपाट और कमनीय जाँघों के बिच छोटी सी हलके बालों में घिरी हुई कुमुद की गुलाबी चूत का कोई जवाब ही नहीं था। रानी के मुकाबले कुमुद की जांघें पतली और सुआकार थीं। कुमुद की पतली कमर और वहाँ से जाँघों का घुमाव कितना खूबसूरत था। राज देखता ही रहा।
शुरू में कुमुद शर्मिंदगी और उलझन के मारे अपने पति का विरोध करती रही पर जैसे ही कमल की जीभ ने कुमुद की चूत की पंखुड़ियों में अपना जादू फैलाना शुरू किया की वह मचलने लगी। अपने बदन पर उसका नियत्रण ना रहा और जल्द ही वह कामुक कराहें और आहें भरने लगी। शर्मिंदगी और उलझन पर स्त्री सुलभ व्यभिचार भाव हावी हो गया। उसे होश ना था की राज और रानी दोनों उसकी चूत की चुसाई देख रहे थे और वह नंगी लेटी हुई उन दोनों के सामने अपने स्त्रीत्व का प्रदर्शन करा रही थी।
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