RE: Adult Stories बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )
"काम की बात बाद में" - मैं बोला - "पहले मेरी एक बात का जवाब दो ।”
पूछिए ।"
"कोई ऐसा तरीका है जिससे तुम मुझे हासिल हो सको ?"
"है" - वह विनोदपूर्ण स्वर में बोली - "बड़ा आसान तरीका है।"
"कौन सा ?" - मैं आशापूर्ण स्वर में बोला।
मुझसे शादी कर लो।" ।
"ओह !" - मैंने आह-सी भरी ।
वह हंसी ।
"मैं एक बार शादी करके पछता चुका हूं, मार खा चुका हूं। दूध का जला छाछ फेंक-फूककर पीता है।"
"दैट इज यूअर प्रॉबलम ।" मैं खामोश रहा।
"अब बताइये, काम मिला ?"
"लगता है कि मिला । अब तुम भी अपनी तनखाह की हकदार बनकर दिखाओ ।”
"वो कैसे ?"
"डायरैक्ट्री में एक नंबर होता है जिस पर से पता बताकर वहां के टेलीफोन का और उसके मालिक का नंबर जाना जा सकता है।"
"बशर्ते कि उस पते पर फोन हो ।"
"फोन होगा। तुम ग्यारह नंबर छतरपुर के बारे में पूछकर देखो । यह कोई फार्म है और इसका मालिक कोई चावला हो सकता है। ऐसे बात न बने तो डायरैक्ट्री निकाल लेना और उसमें दर्ज हर चावला के नंबर पर फोन करके मालूम करना कि छतरपुर में किसका फार्म है।"
"कोई बताएगा ?"
"जैसे मुझे ईट मार के बात करती हो, वैसे पूछोगी तो कोई नहीं बताएगा । आवाज में जरा मिश्री, जरा सैक्स घोलकर पूछोगी तो सुनने वाला तुम्हें यह तक बताने से गुरेज नहीं करेगा कि वह कौन-सा आफ्टर-शेव लोशन इस्तेमाल करता है, विस्की सोडे के साथ पीता है या पानी के साथ, औरत..."
"बस बस । मैं मालूम करती हूं।" पांच मिनट बाद ही वह वापस लौटी।
"उस फार्म के मालिक का नाम अमर चावला है । गोल्फ लिंक में रिहायश है । कोठी नंबर पच्चीस ।”
"कैसे जाना ?"
"बहुत आसानी से । मैंने अपने एक बॉयफ्रेंड को फोन किया । वह दौड़कर छतरपुर गया और वहां से सब-कुछ पूछ
आया ।"
"इतनी जल्दी ?"
"फुर्तीला आदमी है। बहुत तेज दौड़ता है। आपकी तरह हर वक्त कुर्सी पर पसरा थोड़े ही रहता है..."
"वो शादी करने को भी तैयार होगा ?"
"हां ।"
"तो जाकर मरती क्यों नहीं उसके पास ?"
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