RE: Adult Stories बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )
"अभी कैसे मरू? अभी तो शहनाई बजाने वाले छुट्टी पर गए हुए हैं। उनके बिना शादी कैसे होगी ?"
“मुझे उस बॉयफ्रेंड का नाम बताओ।"
"क्यों ?"
"ताकि मैं अभी जाकर उसकी गर्दन मरोड़कर आऊं।"
"फांसी हो जाएगी ।" ।
"ऐसे जीने से तो फांसी पर चढ़ जाना कहीं अच्छा है।"
"अभी आपके पास वक्त भी तो नहीं । जो ताजा-ताजा काम मिला है, उसे तो किसी ठिकाने लगाइए ।"
"कैसे जाना तुमने अमर चावला के बारे में ? और अगर तुमने फिर अपने बॉयफ्रेंड का नाम लिया तो कच्चा चबा जाउन्गा।"
"आज मंगलवार है ।"
मैंने कहरभरी निगाहों से उसकी तरफ देखा ।।
"सब कुछ डायरैक्ट्री में लिखा है" - वह बदले स्वर में बोली - "उसके घर का पता । उसके फार्म का पता । उसके धंधे को पता । मैंने फोन करके तसदीक भी कर ली है कि वह ग्यारह छतरपुर वाला ही चावला है।"
"धधे का पता क्या है ?"
"चावला मोटर्स, मद्रास होटल, कनॉट प्लेस ।"
"यह वो चावला है ?"
"वो का क्या मतलब ? आप जानते हैं उसे ?"
"जानता नहीं लेकिन उसकी सूरत और शोहरत से वाकिफ हूं। चावला मोटर्स का बहुत नाम है दिल्ली शहर में । वह इंपोर्टेड कारों का सबसे बड़ा डीलर बताया जाता है।"
"और वह आपका क्लायंट बनना चाहता है !"
"वह नहीं । कोई मिसेज चावला, जो कि पता नहीं कि उसकी मां है, बीवी है, बेटी है या कुछ और है।"
"बेटी हुई तो चांदी है आपकी ।"
मैंने उत्तर न दिया। अब बहस का वक्त नहीं था। मुझे काम पर लगना था। शाम आठ बजे की मुलाकात के वक्त से पहले मैंने कथित मिसेज चावला की बैकग्राउंड जो टटोलनी थी। मद्रास होटल के पीछे वह एक बहुत बड़ा अहाता था, जिसमें दो कतारों में कोई दो दर्जन विलायती कारें खड़ी थीं। पिछवाड़े में एक ऑफिस था जिसका रास्ता कारों की कतारों के बीच में से होकर था।
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